जयपुर. उच्च शिक्षा विभाग में तबादलों से जुड़े सियासी विवाद में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के बाद अब पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव भी कूद गए हैं. देवनानी ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय विचारधारा से जुडे़ काॅलेज शिक्षकों को टार्गेट करते हुए उनके दूर-दराज स्थानांतरण करना शर्मसार करने वाला ही नहीं, बल्कि प्रदेश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
देवनानी ने एक बयान जारी कर कहा कि संकुचित मानसिकता से पोषित कांग्रेस सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री ने आरएसएस विचार से जुड़े शिक्षकों को प्रताड़ित करने के उद्देश्य से पांच-सात सौ किमी दूर स्थानान्तरण किए हैं. गहलोत सरकार की ओर से शिक्षा के मंदिरों में की गई स्थानान्तरण की राजनीति शर्मनाक है. देवनानी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग में हाल ही में किए गए स्थानांतरण के दौरान कांग्रेस समर्थित शिक्षक गुट ने पहले तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े शिक्षकों के नाम स्थानान्तरण सूची में होने का आरोप लगाकर सूची पर रोक लगवा दी और बाद में संशोधित सूची जारी कर राष्ट्रीय विचार वाले शिक्षक संगठनों से जुडे़ शिक्षकों को चुन-चुन कर निशाना बनाते हुए पांच-सात सौ किमी दूर तक स्थानान्तरित कर दिया गया है.
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देवनानी ने कहा कि विभिन्न काॅलेजो में ढाई हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. ऐसे महाविद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था सुचारू करने के लिए क्षेत्रीय विधायकों की अनुशंषा पर जारी स्थानान्तरण सूची को एक शिक्षक गुट और अन्य राज्य मंत्री के दबाव में रद्द कर दिया गया है, जबकि वर्तमान में 90 प्रतिशत महाविद्यालयों में प्राचार्य नहीं है. कांग्रेस सरकार को स्थानान्तरण की राजनीति छोड़कर शैक्षिक व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिए. रिक्त पदों को भरने के साथ ही शिक्षकों की लम्बित पदौन्नतियां शीघ्र करानी चाहिए, जो 97 नए महाविद्यालय खोले हैं. उनके लिए पद सृजित कराए. भवनों का निर्माण कराए. वर्तमान में एसे महाविद्यालयों में दरी पट्टी पर बैठकर विद्यार्थी अध्ययन के लिए मजबूर है. देवनानी ने कहा कि सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन राजनीति के वशीभूत होकर अपने विचार के प्रति इतनी आशक्ति और राष्ट्रीय विचार के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को टारगेट करना लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.