जयपुर. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसान बीते कुछ दिनों से सुर्खियों में है. उनके समर्थन में राजस्थान में भी सांकेतिक प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच शुक्रवार को भारतीय किसान संघ ने कृषि कानून और किसान आंदोलन पर अपना रुख स्पष्ट किया है.
किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता की और कहा कि 5 जून को जब सरकार कृषि संबंधी तीन विधेयक लाई थी. तब भारतीय किसान संघ ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी और इस पहल का स्वागत करते हुए इनमें कुछ संशोधनों की मांग उठाई, जो अब तक जारी है. उनका कहना है कि किसान संघ इन कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं करता है, लेकिन इनमें सुधार की दरकार है.
बद्रीनारायण चौधरी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि इन कृषि कानूनों में चार बड़े सुधारों की दरकार है. उन्होंने मांग की कि देशभर में मंडी के अंदर और बाहर समर्थन मूल्य से नीचे कोई भी खरीदारी नहीं हो. निजी व्यापारियों का पंजीयन एक पोर्टल के अंतर्गत हो और यह सभी के लिए उपलब्ध हो. इसके साथ ही उन्होंने बैंक गारंटी के माध्यम से किसान का भुगतान समय पर करने की व्यवस्था करवाने और इनसे संबंधित विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालय की व्यवस्था करवाने और सभी विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में करवाने की व्यवस्था लागू करने की मांग उठाई है.
इसके साथ ही चौधरी ने कहा कि किसानों के हित के लिए किसान संघ 40 साल से लगातार शांतिपूर्ण तरीके से प्रयास कर रहा है, लेकिन किसी भी हिंसक आंदोलन या उपद्रव का संघ समर्थन नहीं करता है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा किसानों से बातचीत के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी स्वागत किया है.
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भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने यह भी कहा कि मंडी प्रक्रिया शुरुआत में किसानों की हितैषी रही, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवस्था किसानों के शोषण का जरिया बन गई. देर से ही सही केंद्र ने एक देश एक बाजार और बिना टैक्स के कृषि उपज बेचने का कानूनी प्रावधान किया है. जिसका हम स्वागत करते हैं. लेकिन इनमें मुख्य रूप से चार सुधार की दरकार है.