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पूर्वी राजस्थान का रण: भाजपा हिन्दुत्व तो कांग्रेस ERCP के बूते चाहती है जीत

पूर्वी राजस्थान कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए अहम है. मिशन 2023 की तैयारी जोरों शोरों से दोनों ओर से की जा रही है. मुद्दे भी पकड़ रखे हैं. प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी खुलकर हिन्दुत्व कार्ड खेल रही है तो सत्ताधारी कांग्रेस ERCP के बहाने अपनी जमीन बचाए रखने की जुगत में (BJP Vs Congress In East Rajasthan) है.

Battle Of Eastern Rajasthan
पूर्वी राजस्थान का रण
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Published : Apr 16, 2022, 9:08 AM IST

जयपुर. राजस्थान का पूर्वी क्षेत्र इन दिनों हॉटकेक (Battle Of Eastern Rajasthan) बना हुआ है. पॉलिटिक्स के लिहाज से. प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां इलेक्शन मोड में आ गईं हैं और इस इलाके को अपने पाले में डालने को बेचैन हैं. मुद्दे उछाले और झट से लपके भी जाने लगे हैं. मुद्दों को ज्वलंत बनाया जा रहा है. प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी और सत्ताधारी पार्टी बिजली, पानी और धर्म जैसे मसलों पर एकदूसरे को घेर रही (BJP Vs Congress In East Rajasthan) हैं. इन दिनों भाजपा हिन्दुत्व तो कांग्रेस ईआरसीपी (ERCP) का राग पंचम सुर में अलाप रही हैं. भाजपा हिंदुत्व के सहारे पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी खोई जमीन फिर से तलाश रही है तो वहीं कांग्रेस पूर्वी राजस्थान के अपने गढ़ को बचाने का जतन कर रही है.

करौली में हुई हिंसा के बाद भाजपा, कांग्रेस को हिन्दू विरोधी पार्टी साबित करने में लगी है तो वहीं कांग्रेस ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना को पूर्वी राजस्थान में अपना घर बचाने का आधार बना रही है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ERCP को राष्ट्रीय परियोजना नहीं घोषित किए जाने पर लगातार केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. 13 जिलों में इसी मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन कांग्रेस की चुनावी रणनीति की चुगली कर रहा है.

पढ़ें- Political War on ERCP : जयपुर में कांग्रेस का 'हल्ला बोल'...जोशी बोले- इस्तीफा दें गजेंद्र सिंह

क्यों है कांग्रेस के लिए पूर्वी राजस्थान महत्वपूर्ण- दरअसल, पूर्वी राजस्थान में आने वाले 6 जिलों धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली,अलवर और दौसा जिले की 35 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 2018 विधानसभा चुनाव में केवल 3 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी के पास 27 सीट है. वहीं, 6 जिलों में बसपा से चुनाव जीतकर आने वाले 5 विधायक भी आते हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस विधायकों की पूर्वी राजस्थान में संख्या 27 हो जाती है.

इन 6 जिलों में 4 निर्दलीय विधायक भी हैं जो कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं. रालोद से चुनाव जीते मंत्री सुभाष गर्ग तो विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस का अलायंस थे. ऐसे में कांग्रेस के पास पूर्वी राजस्थान को फिर से जीतना एक बड़ी चुनौती बन गया है. यही कारण है कि भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को कांग्रेस ईआरसीपी के जरिए फेल करने की कोशिश कर रही है.

ये भी पढ़ें-ईआरसीपी पर जुबानी जंग: जोशी के पलटवार पर शेखावत ने कही ये बड़ी बात, गहलोत सरकार पर फोड़ा ठीकरा, समाधान की बताई राह

6 जिलों में कौन सा विधानसभा किसके पास:

कांग्रेसअलवर ग्रामीण, बानसूर, कठूमर, किशनगढ़ बास, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, तिजारा, बयाना, डीग कुम्हेर, कामां, नदबई, नगर, वैर, बांदीकुई, दौसा, लालसोट, सिकराय, बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा, हिंडौन, करौली, सपोटरा, टोडाभीम, बामनवास, खंडार और सवाई माधोपुर.
भाजपाअलवर शहर, मुंडावर और धौलपुर
निर्दलीयबहरोड़, थानागाजी, महवा और गंगापुर सिटी
रालोदसुभाष गर्ग

ईआरसीपी को मुद्दा बना कांग्रेस चाहती है जनता का साथ: चुनाव के पौने दो साल पहले से ही भाजपा के एक्टिव होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि भाजपा के पास धनबल बहुत है. साथ ही इलेक्ट्रोल बॉन्ड और संसाधनों से भाजपा को फायदा हो रहा है. अब भले ही सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करने को कह रहा है, लेकिन इनको सुनवाई पहले से ही इस मामले में शुरू करनी थी. क्योंकि इलेक्ट्रोल बॉन्ड से एक पार्टी को 90 से 95 फीसदी पैसा जा रहा है, जो भाजपा को जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सुनवाई करने को कह रहे हैं, लेकिन सुनवाई कब होगी पता नहीं.

ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना (ERCP) को कांग्रेस पार्टी मुद्दा बना रही है और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका नेतृत्व अपने हाथ में लिया हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनोें भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम लेकर कहा कि जब प्रधानमंत्री ने ईआरसीपी परियोजना को कोट करते हुए जिलों के नाम लिए उसके बाद क्या बचता है. उन्होंने कहा कि एक तो यह परियोजना तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के समय की है और दूसरा वर्तमान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री राजस्थान के ही हैं तो क्या वे एक काम नहीं करवा सकते. इसीलिए मुझे कहना पड़ता है कि वे कैसे मंत्री हैं.

ये भी पढ़ें- BJP Target Gehlot Government: करौली को सबने जलता देखा...राजस्थान में 'जंगलराज' गहलोतराज की विफलता- भाजपा

गहलोत ने कहा कि देश में अभी 16 परियोजनाएं चल रही है, लेकिन राजस्थान की मांग पुरानी होने के बावजूद पूरी नहीं हो रही. 4 महीने पहले मध्यप्रदेश और यूपी की परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलता है, जबकि राजस्थान के लोग जो सदियों से पानी के लिए तरसते हैं, अकाल का सामने करते हैं और पानी जहां पीने के योग्य नहीं है उस राज्य में अपने ही राज में बनाई गई परियोजना को भाजपा आगे क्यों नहीं बढ़ा रही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि भाजपा में मुख्यमंत्री के पांच-पांच उम्मीदवार होने के चलते पार्टी में वसुंधरा राजे से मतभेद चल रहे हों, लेकिन भाजपा के समय बनी हुई परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय कमजोरी के बावजूद हम 1000 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं और 9600 करोड़ इस बजट में रखे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसे ही इस परियोजना में देरी होती रही तो जैसे रिफाइनरी प्रोजेक्ट 40 हज़ार करोड़ से बढ़कर 74 हज़ार करोड़ की हो गई है, वैसा ही इस परियोजना में भी होगा.

सीएम गहलोत का कहना है कि राजस्थान के 25 के 25 सांसद संसद में अपना मुंह बंद कर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि जब जल शक्ति विभाग बनाया गया तो राष्ट्रपति भवन में हुई मीटिंग में मैंने इस बात की तारीफ की, लेकिन आश्चर्य है कि एक मंत्री अपने राज्य की योजना को ही राष्ट्रीय परियोजना नहीं घोषित करवा पा रहा है.

जयपुर. राजस्थान का पूर्वी क्षेत्र इन दिनों हॉटकेक (Battle Of Eastern Rajasthan) बना हुआ है. पॉलिटिक्स के लिहाज से. प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियां इलेक्शन मोड में आ गईं हैं और इस इलाके को अपने पाले में डालने को बेचैन हैं. मुद्दे उछाले और झट से लपके भी जाने लगे हैं. मुद्दों को ज्वलंत बनाया जा रहा है. प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी और सत्ताधारी पार्टी बिजली, पानी और धर्म जैसे मसलों पर एकदूसरे को घेर रही (BJP Vs Congress In East Rajasthan) हैं. इन दिनों भाजपा हिन्दुत्व तो कांग्रेस ईआरसीपी (ERCP) का राग पंचम सुर में अलाप रही हैं. भाजपा हिंदुत्व के सहारे पिछले विधानसभा चुनावों में अपनी खोई जमीन फिर से तलाश रही है तो वहीं कांग्रेस पूर्वी राजस्थान के अपने गढ़ को बचाने का जतन कर रही है.

करौली में हुई हिंसा के बाद भाजपा, कांग्रेस को हिन्दू विरोधी पार्टी साबित करने में लगी है तो वहीं कांग्रेस ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना को पूर्वी राजस्थान में अपना घर बचाने का आधार बना रही है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ERCP को राष्ट्रीय परियोजना नहीं घोषित किए जाने पर लगातार केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है. 13 जिलों में इसी मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन कांग्रेस की चुनावी रणनीति की चुगली कर रहा है.

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क्यों है कांग्रेस के लिए पूर्वी राजस्थान महत्वपूर्ण- दरअसल, पूर्वी राजस्थान में आने वाले 6 जिलों धौलपुर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली,अलवर और दौसा जिले की 35 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 2018 विधानसभा चुनाव में केवल 3 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी के पास 27 सीट है. वहीं, 6 जिलों में बसपा से चुनाव जीतकर आने वाले 5 विधायक भी आते हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस विधायकों की पूर्वी राजस्थान में संख्या 27 हो जाती है.

इन 6 जिलों में 4 निर्दलीय विधायक भी हैं जो कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं. रालोद से चुनाव जीते मंत्री सुभाष गर्ग तो विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस का अलायंस थे. ऐसे में कांग्रेस के पास पूर्वी राजस्थान को फिर से जीतना एक बड़ी चुनौती बन गया है. यही कारण है कि भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को कांग्रेस ईआरसीपी के जरिए फेल करने की कोशिश कर रही है.

ये भी पढ़ें-ईआरसीपी पर जुबानी जंग: जोशी के पलटवार पर शेखावत ने कही ये बड़ी बात, गहलोत सरकार पर फोड़ा ठीकरा, समाधान की बताई राह

6 जिलों में कौन सा विधानसभा किसके पास:

कांग्रेसअलवर ग्रामीण, बानसूर, कठूमर, किशनगढ़ बास, राजगढ़ लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, तिजारा, बयाना, डीग कुम्हेर, कामां, नदबई, नगर, वैर, बांदीकुई, दौसा, लालसोट, सिकराय, बाड़ी, बसेड़ी, राजाखेड़ा, हिंडौन, करौली, सपोटरा, टोडाभीम, बामनवास, खंडार और सवाई माधोपुर.
भाजपाअलवर शहर, मुंडावर और धौलपुर
निर्दलीयबहरोड़, थानागाजी, महवा और गंगापुर सिटी
रालोदसुभाष गर्ग

ईआरसीपी को मुद्दा बना कांग्रेस चाहती है जनता का साथ: चुनाव के पौने दो साल पहले से ही भाजपा के एक्टिव होने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि भाजपा के पास धनबल बहुत है. साथ ही इलेक्ट्रोल बॉन्ड और संसाधनों से भाजपा को फायदा हो रहा है. अब भले ही सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करने को कह रहा है, लेकिन इनको सुनवाई पहले से ही इस मामले में शुरू करनी थी. क्योंकि इलेक्ट्रोल बॉन्ड से एक पार्टी को 90 से 95 फीसदी पैसा जा रहा है, जो भाजपा को जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सुनवाई करने को कह रहे हैं, लेकिन सुनवाई कब होगी पता नहीं.

ईस्ट राजस्थान कैनाल परियोजना (ERCP) को कांग्रेस पार्टी मुद्दा बना रही है और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसका नेतृत्व अपने हाथ में लिया हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनोें भी तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम लेकर कहा कि जब प्रधानमंत्री ने ईआरसीपी परियोजना को कोट करते हुए जिलों के नाम लिए उसके बाद क्या बचता है. उन्होंने कहा कि एक तो यह परियोजना तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के समय की है और दूसरा वर्तमान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री राजस्थान के ही हैं तो क्या वे एक काम नहीं करवा सकते. इसीलिए मुझे कहना पड़ता है कि वे कैसे मंत्री हैं.

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गहलोत ने कहा कि देश में अभी 16 परियोजनाएं चल रही है, लेकिन राजस्थान की मांग पुरानी होने के बावजूद पूरी नहीं हो रही. 4 महीने पहले मध्यप्रदेश और यूपी की परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिलता है, जबकि राजस्थान के लोग जो सदियों से पानी के लिए तरसते हैं, अकाल का सामने करते हैं और पानी जहां पीने के योग्य नहीं है उस राज्य में अपने ही राज में बनाई गई परियोजना को भाजपा आगे क्यों नहीं बढ़ा रही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि भाजपा में मुख्यमंत्री के पांच-पांच उम्मीदवार होने के चलते पार्टी में वसुंधरा राजे से मतभेद चल रहे हों, लेकिन भाजपा के समय बनी हुई परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय कमजोरी के बावजूद हम 1000 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं और 9600 करोड़ इस बजट में रखे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर ऐसे ही इस परियोजना में देरी होती रही तो जैसे रिफाइनरी प्रोजेक्ट 40 हज़ार करोड़ से बढ़कर 74 हज़ार करोड़ की हो गई है, वैसा ही इस परियोजना में भी होगा.

सीएम गहलोत का कहना है कि राजस्थान के 25 के 25 सांसद संसद में अपना मुंह बंद कर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि जब जल शक्ति विभाग बनाया गया तो राष्ट्रपति भवन में हुई मीटिंग में मैंने इस बात की तारीफ की, लेकिन आश्चर्य है कि एक मंत्री अपने राज्य की योजना को ही राष्ट्रीय परियोजना नहीं घोषित करवा पा रहा है.

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