जयपुर. देश में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 51 साल पूरे होने पर बैंक कर्मचारियों की ओर से संकल्प दिवस मनाया गया. इस अवसर पर ग्राहकों को बेहतर सुविधा देने का संकल्प भी लिया गया. जयपुर में हुए कार्यक्रम में विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी और बैंक कर्मचारी मौजूद रहे. कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को राष्ट्रीयकरण से पहले के बैंकों की स्थिति और वर्तमान में चल रही बैंकों की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन के महासचिव महेश मिश्रा ने कहा कि 19 जुलाई 1969 को बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया. बैंकों राष्ट्रीयकरण से पहले गिने-चुने लोगों को ही बैंकों में जाने का अधिकार मिलता था. आमजन के लिए बैंक में प्रवेश पर पाबंदी लगी हुई थी. जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ, तो आम जनता को भी बैंकों में प्रवेश करने का मूलभूत अधिकार मिला और उनके भी खाते खोले गए.
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महेश मिश्रा ने कहा देश में पहले 8200 बैंक की ब्रांच हुआ करती थी जो बढ़कर आज 156329 हो गई है. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रांच में नहीं होती थी. आज ग्रामीण क्षेत्र में 52463 ब्रांच हैं. बैंकों में 1969 में जमा पूंजी 5000 करोड़ रुपए थी. वह बढ़कर आज 138 लाख करोड़ रुपये हो गई है. इसी तरह से लोन की राशि 3500 करोड़ रुपये थी. जो आज बढ़कर 101. 83 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है.
इसके कारण देश में श्वेत क्रांति, हरित क्रांति, औद्योगिक क्रांति और शिक्षा क्रांति का आगाज हुआ. जिससे आम जनता को फायदा मिला. साथ ही आज बैंकों में 10 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है.
राजस्थान प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन की उप महासचिव सुरजभान सिंह आमेरा ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण दिवस पर आज संकल्प दिवस मनाया गया और इस अवसर पर ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज एसोसिएशन की ओर से कर्मचारियों को बैंकों के ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने का आव्हान किया गया और यह संदेश दिया कि सभी तरह के बैंकों की आज देश की अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगिता और महत्ता बहुत है.
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आमेरा ने यह भी कहा कि सरकार से आव्हान भी किया गया कि जो 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपए बड़े-बड़े उद्योगपति व पूंजीपति डकार घर बैठे हैं. उनकी भी सरकार कार्रवाई कर वसूली करें. देश के कुटीर उद्योगों और बेरोजगारों का वित्त पोषण किया जाए, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके.
आमेरा ने कहा कि कर्मचारियों ने संकल्प लिया है कि बैंकों के ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं देंगे. साथ ही सरकार से मांग की है कि देश में बैंकों के निजीकरण और मर्जर पर रोक लगाई जाए.