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हाईकोर्ट फैसला : पांच ग्राम पंचायतों के चुनाव पर लगी रोक जारी

राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) की ओर से कहा गया कि संवैधानिक प्रावधानों (constitutional provision) और पंचायती राज कानून (Panchayati Raj Law) के तहत क्षेत्र के डिलिमिटेशन और सीटों के बंटवारे से संबंधित कानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. इसके अलावा पंचायत के चुनाव से जुड़े मामले को सिर्फ चुनाव याचिका के जरिए ही उठाया जा सकता है.

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Published : Aug 13, 2021, 6:44 PM IST

ग्राम पंचायतों के चुनाव पर लगी रोक जारी
ग्राम पंचायतों के चुनाव पर लगी रोक जारी

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कोटा जिले की किशोरपुरा और खेड़ली तंवरान, बारां जिले की मेरमाचाह और बरला और करौली की गोठडा ग्राम पंचायत के चुनाव (Panchayat Election) के संबंध में जारी गत 2 जुलाई की अधिसूचना पर लगी रोक को जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 23 अगस्त को तय की है.

न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश ग्राम पंचायतों की ओर से दायर याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग (state election commission) की ओर से जवाब पेश किया गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 23 अगस्त तक टाल दी है.

अदालत ने गत 31 जुलाई को राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग (state election commission) से जवाब मांगते हुए चुनाव की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि संवैधानिक प्रावधानों और पंचायती राज कानून के तहत क्षेत्र के डिलिमिटेशन और सीटों के बंटवारे से संबंधित कानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.

पढ़ें- पंचायत चुनाव-2021 : 6 जिलों में होने वाले पंचायत चुनाव में 18 पर्यवेक्षक रखेंगे आदर्श आचार संहिता नजर, आयोग ने की सूची जारी

इसके अलावा पंचायत के चुनाव से जुड़े मामले को सिर्फ चुनाव याचिका के जरिए ही उठाया जा सकता है. इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कुछ तथ्यों को छिपाया गया है. आयोग की ओर से जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव को लेकर पूरी तैयार की जा चुकी थी, लेकिन इसी बीच 17 नई म्यूनिसिपल्टीज का गठन हो गया. जिसके चलते जिला परिषद व 12 जिलों की पंचायत समिति के चुनाव प्रभावित हो गए. जबकि 21 जिलों में गत दिसंबर माह में चुनाव कराए जा चुके हैं.

इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है. आयोग की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 7 जिलों में अगस्त तक और शेष पांच जिलों में 31 अक्टूबर तक चुनाव कराए जाने हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ग्राम पंचायतों के चुनाव डेढ़ साल पहले ही हुए हैं. अब पुनर्गठन के बाद वापस चुनाव कराए जा रहे हैं. जबकि ग्राम पंचायतों का गठन पांच साल के लिए किया गया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने कोटा जिले की किशोरपुरा और खेड़ली तंवरान, बारां जिले की मेरमाचाह और बरला और करौली की गोठडा ग्राम पंचायत के चुनाव (Panchayat Election) के संबंध में जारी गत 2 जुलाई की अधिसूचना पर लगी रोक को जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 23 अगस्त को तय की है.

न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश ग्राम पंचायतों की ओर से दायर याचिका पर दिए. सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग (state election commission) की ओर से जवाब पेश किया गया. वहीं राज्य सरकार की ओर से अपना जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 23 अगस्त तक टाल दी है.

अदालत ने गत 31 जुलाई को राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग (state election commission) से जवाब मांगते हुए चुनाव की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि संवैधानिक प्रावधानों और पंचायती राज कानून के तहत क्षेत्र के डिलिमिटेशन और सीटों के बंटवारे से संबंधित कानून को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.

पढ़ें- पंचायत चुनाव-2021 : 6 जिलों में होने वाले पंचायत चुनाव में 18 पर्यवेक्षक रखेंगे आदर्श आचार संहिता नजर, आयोग ने की सूची जारी

इसके अलावा पंचायत के चुनाव से जुड़े मामले को सिर्फ चुनाव याचिका के जरिए ही उठाया जा सकता है. इसके अलावा याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कुछ तथ्यों को छिपाया गया है. आयोग की ओर से जिला परिषद और पंचायत समिति के चुनाव को लेकर पूरी तैयार की जा चुकी थी, लेकिन इसी बीच 17 नई म्यूनिसिपल्टीज का गठन हो गया. जिसके चलते जिला परिषद व 12 जिलों की पंचायत समिति के चुनाव प्रभावित हो गए. जबकि 21 जिलों में गत दिसंबर माह में चुनाव कराए जा चुके हैं.

इसके अलावा चुनाव प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है. आयोग की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 7 जिलों में अगस्त तक और शेष पांच जिलों में 31 अक्टूबर तक चुनाव कराए जाने हैं. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ग्राम पंचायतों के चुनाव डेढ़ साल पहले ही हुए हैं. अब पुनर्गठन के बाद वापस चुनाव कराए जा रहे हैं. जबकि ग्राम पंचायतों का गठन पांच साल के लिए किया गया था.

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