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वन विस्तार के लिए सामाजिक वानिकी योजना को जीवंत करें: अशोक गहलोत

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Published : Oct 8, 2020, 10:54 PM IST

सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर वन विभाग की समीक्षा बैठक ली. बैठक में उन्होंने कहा कि आमजन वनों का महत्व समझेगा और पौधरोपण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित होगी तो हम वनों के विस्तार के लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकेंगे.

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सीएम गहलोत वन विभाग की समीक्षा बैठक

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर वन विभाग की समीक्षा बैठक ली. बैठक में उन्होंने कहा कि आमजन वनों का महत्व समझेगा और पौधरोपण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित होगी तो हम वनों के विस्तार के लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए वन विभाग के अधिकारी जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर गांव-ढाणी तक अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए लोगों को भी जागरूक करें.

उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग एवं एनजीओ आदि का सहयोग लेकर पौधरोपण कार्यक्रम को व्यापक रूप दिया जा सकता है. इसके साथ ही पौधरोपण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए नर्सरी विकास पर विशेष जोर दिया जाए. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर लोगों को नर्सरी तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करें, इससे पौधरोपण के लिए आवश्यकता के अनुरूप पौधे उपलब्ध हो सकेंगे. साथ ही लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विभाग के साथ समन्वय कर औषधीय गुणों वाले पौधे लगाए जाएं. इससे विभाग को अतिरिक्त आय भी होगी.

पढ़ें: सीएम गहलोत के गढ़ में सैंकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ पहुंचे पायलट

गहलोत ने निर्देश दिए कि विलायती बबूल (जूलीफ्लोरा) को हटाकर उनके स्थान पर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने के कार्य को गति दी जाए. गोचर भूमि से भी विलायती बबूल हटाया जाए. इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के साथ बैठक कर योजना तैयार की जाए. बैठक में तीन माह में राजस्थान राज्य वन विकास निगम के गठन पर चर्चा हुई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वनों की उत्पादकता बढ़ाने, इमारती लकड़ी, बांस एवं लघु वन उपज के उत्पादन में वृद्धि के लिए इस वर्ष के बजट में 'राजस्थान राज्य वन विकास निगम' गठित करने की घोषणा की गई थी. वन विभाग तीन माह के अन्दर यह निगम गठित करें. उन्होंने कहा कि विभाग लघु वन उपज का लाभप्रद मूल्य दिलाया जाना भी सुनिश्चित करे. गहलोत ने रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है. वन विभाग बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में किसी तरह की कोताही नहीं बरतें.

पढ़ें: EXCLUSIVE : निगम चुनाव के लिए बीजेपी पूरी तरह तैयार, प्रत्याशी चयन का ये रहेगा आधार...

उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की कमी को दूर किया जाए. प्रमुख शासन सचिव वन एवं पर्यावरण श्रेया गुहा ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि 96 नई नर्सरियों की स्थापना के लिए कृषि वानिकी सब मिशन के तहत प्रस्ताव कृषि विभाग को भेजे गए हैं. साथ ही, 60 हजार हेक्टेयर में विलायती बबूल हटाकर स्थानीय प्रजाति के वृक्ष लगाने के लिए करीब 954 करोड़ की योजना तैयार कर ग्रीन क्लाईमेट फण्ड के तहत नाबार्ड को भेजी गई है. उन्होंने बताया कि नवाचार 'नगर वन योजना' के तहत उदयपुर के माछला मगरा, जोधपुर के कायलाना, जयपुर के गोनेर, कोटा के देवली अरब एवं आवली रोजड़ी तथा अजमेर के पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में नगर वन विकसित करने के लिए प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे हैं.

वहीं, शिक्षा विभाग के साथ समन्वय कर स्कूल नर्सरी योजना संचालित की जाएगी. जिसमें 1000 विद्यालयों का चयन कर प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों के माध्यम से पौध तैयार करवाई जाएगी. इससे जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में विद्यार्थियों में जागरूकता पैदा होगी.

जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर वन विभाग की समीक्षा बैठक ली. बैठक में उन्होंने कहा कि आमजन वनों का महत्व समझेगा और पौधरोपण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित होगी तो हम वनों के विस्तार के लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए वन विभाग के अधिकारी जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर गांव-ढाणी तक अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए लोगों को भी जागरूक करें.

उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग एवं एनजीओ आदि का सहयोग लेकर पौधरोपण कार्यक्रम को व्यापक रूप दिया जा सकता है. इसके साथ ही पौधरोपण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए नर्सरी विकास पर विशेष जोर दिया जाए. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर लोगों को नर्सरी तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करें, इससे पौधरोपण के लिए आवश्यकता के अनुरूप पौधे उपलब्ध हो सकेंगे. साथ ही लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विभाग के साथ समन्वय कर औषधीय गुणों वाले पौधे लगाए जाएं. इससे विभाग को अतिरिक्त आय भी होगी.

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गहलोत ने निर्देश दिए कि विलायती बबूल (जूलीफ्लोरा) को हटाकर उनके स्थान पर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने के कार्य को गति दी जाए. गोचर भूमि से भी विलायती बबूल हटाया जाए. इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के साथ बैठक कर योजना तैयार की जाए. बैठक में तीन माह में राजस्थान राज्य वन विकास निगम के गठन पर चर्चा हुई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वनों की उत्पादकता बढ़ाने, इमारती लकड़ी, बांस एवं लघु वन उपज के उत्पादन में वृद्धि के लिए इस वर्ष के बजट में 'राजस्थान राज्य वन विकास निगम' गठित करने की घोषणा की गई थी. वन विभाग तीन माह के अन्दर यह निगम गठित करें. उन्होंने कहा कि विभाग लघु वन उपज का लाभप्रद मूल्य दिलाया जाना भी सुनिश्चित करे. गहलोत ने रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है. वन विभाग बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में किसी तरह की कोताही नहीं बरतें.

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उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की कमी को दूर किया जाए. प्रमुख शासन सचिव वन एवं पर्यावरण श्रेया गुहा ने प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि 96 नई नर्सरियों की स्थापना के लिए कृषि वानिकी सब मिशन के तहत प्रस्ताव कृषि विभाग को भेजे गए हैं. साथ ही, 60 हजार हेक्टेयर में विलायती बबूल हटाकर स्थानीय प्रजाति के वृक्ष लगाने के लिए करीब 954 करोड़ की योजना तैयार कर ग्रीन क्लाईमेट फण्ड के तहत नाबार्ड को भेजी गई है. उन्होंने बताया कि नवाचार 'नगर वन योजना' के तहत उदयपुर के माछला मगरा, जोधपुर के कायलाना, जयपुर के गोनेर, कोटा के देवली अरब एवं आवली रोजड़ी तथा अजमेर के पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में नगर वन विकसित करने के लिए प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे हैं.

वहीं, शिक्षा विभाग के साथ समन्वय कर स्कूल नर्सरी योजना संचालित की जाएगी. जिसमें 1000 विद्यालयों का चयन कर प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों के माध्यम से पौध तैयार करवाई जाएगी. इससे जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण के सम्बन्ध में विद्यार्थियों में जागरूकता पैदा होगी.

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