जयपुर. साल 2020 में राजस्थान में आए सियासी संकट के बाद एक बार फिर भाजपा ने प्रदेश में मध्यावधि चुनाव की आशंका जताई है. भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने प्रदेश कांग्रेस और सरकार में चल रही मौजूदा स्थिति को देखते हुए कहा है कि जिस प्रकार कांग्रेस में आंतरिक सियासी संघर्ष (Arun Chaturvedi speaks on congress internal conflict) चल रहा है वह हमें मध्यावधि चुनाव की ओर ले जा सकता है. चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाजपा और मोदी सरकार पर लगाए आरोपों को भी सिरे से नकारा है.
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में बुधवार को जनसंघ संस्थापक सदस्य सुंदर सिंह भंडारी की पुण्यतिथि पर हुए पुष्पांजलि कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में अरुण चतुर्वेदी ने प्रदेश में मध्यवर्ती चुनाव की संभावना जताई है. चतुर्वेदी ने कहा कि आज जिस प्रकार कांग्रेस की स्थिति है, कुछ मुख्यमंत्री कांग्रेस के लोगों के लिए जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करते हैं और कांग्रेस के ही मंत्री-विधायक अपनी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाते हैं, यह सब दर्शाता है कि कांग्रेस के भीतर ही आंतरिक सियासी संघर्ष चरम पर है. चतुर्वेदी के अनुसार कांग्रेस नेताओं का यह संघर्ष प्रदेश को किसी भी स्थिति में ले जा सकता है.
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सीएम के आरोप निराधार, हवा में बातें उछालना उनका स्वभाव
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से भाजपा और मोदी सरकार पर लगाए आरोपों को निराधार बताया है. चतुर्वेदी ने कहा कि गहलोत हमेशा भाजपा पर राज्यों की सरकार कमजोर करने और गिराने का आरोप लगाते हैं लेकिन यदि मुख्यमंत्री के पास इससे जुड़े कोई तथ्य और सबूत हैं तो वो खुद प्रदेश के गृहमंत्री हैं. मामला दर्ज कराकर उसकी जांच करवाएं और कार्रवाई करें.
चतुर्वेदी ने कहा कि हवा में बातें उछाल कर मुद्दा बनाना मुख्यमंत्री गहलोत का स्वभाव बन चुका है और जहां तक संघ और प्रधानमंत्री पर आरोप लगाने की बात है तो सीएम सुबह उठकर मुंह धोने के बाद भाजपा और मोदी सरकार पर आरोप लगाने के साथ ही दिन की शुरुआत करते हैं.
कांग्रेस को कानून और संविधान पर विश्वास नहीं, राम भरोसे राजस्थान
दिल्ली में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से लगाए गए आरोपों पर चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस को देश के संविधान और कानून व्यवस्था पर विश्वास नहीं है. यही कारण है कि उनके नेता दिल्ली में सड़कों पर उतरकर उपद्रव कर रहे हैं. चतुर्वेदी के अनुसार साल 2002 में गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी गठित की थी जिसने 2010 में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री रहते हुए पूछताछ के लिए बुलाया था तब खुद मोदी अकेले पूछताछ के लिए गए और तकरीबन 10 घंटे पूछताछ के बाद वापस आ गए. आज उसी कानून के तहत जब राहुल गांधी जो खुद जमानत पर चल रहे हैं, उन्हें प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पूछताछ के लिए बुलाया जाता है तो कांग्रेस के नेता सड़कों पर उतरकर हंगामा कर रहे हैं और कानून व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास कर रहे हैं.