जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी पेश करना शहर के 80 वर्षीय मोहनलाल नामा को भारी पड़ गया. हाईकोर्ट ने गत दिनों न सिर्फ उनकी अर्जी को खारिज किया, बल्कि इसे पब्लिसिटी स्टंट बताकर पचास हजार रुपए का हर्जाना भी लगा दिया.
जुर्माना भरने को नहीं हैं 50 हजार
अदालत ने यह राशि कोविड वैक्सीनेशन फंड में जमा कराने को कहा है, लेकिन हालात यह है कि मोहनलाल नामा के पास 50 हजार रुपए तो दूर, घर चलाने के लिए भी पैसा नहीं है. उन्हें और उनकी पत्नी को बुजुर्ग सामाजिक सुरक्षा पेंशन राशि के तौर पर एक-एक हजार रुपए मासिक मिलते हैं. हर्जाना राशि के लिए नामा की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा गया है.
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कोविड में बेटे और भतीजे की हो चुकी मौत
नामा की ओर से पत्र में कहा गया कि उनका पूरा परिवार कोविड की चपेट में आने के चलते आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका है. उनके बेटे और भतीजे की कोरोना से मौत हो चुकी है. इसके अलावा वे और उनकी पत्नी भी संक्रमित होकर एक माह तक अस्पताल में भर्ती रहे हैं. पत्र में कहा गया कि उन्होंने कई जनहित मुद्दों को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है. सचिन पायलट व अन्य विधायकों की ओर से गत वर्ष दायर याचिका में वे पक्षकार बने थे. वहीं अब उन्होंने सौम्या गुर्जर के मामले में अदालत के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के दो अहम नजीर पेश कर पक्षकार बनने की गुहार की गई थी, लेकिन खंडपीठ ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया.
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मासिक पेंशन का 10 फीसदी काटने की लगाई गुहार
नामा ने पत्र में गुहार की है कि वे अदालती आदेश की पालना में हर्जाना राशि जमा कराने को तैयार है, लेकिन उनके पास पचास हजार रुपए की राशि नहीं है. ऐसे में सीएम कोष से उन्हें यह राशि दिलाई जाए और उन्हें दी जा रही एक हजार रुपए का मासिक पेंशन से हर माह दस फीसदी राशि काटकर समायोजन किया जाए.