जयपुर. पूर्व की वसुंधरा सरकार के दौरान झालावाड़ में शुरू किए गए एयरक्राफ्ट रेपेयरिंग एंड मैन्यूफैक्चरिंग सेंटर (एमआरओ) को गहलोत सरकार अब समीक्षा के दायरे में ले आई है. इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ना है या नहीं, इसका फैसला सरकार अब तभी करेगी. जब सिविल एविएशन विभाग इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर लेगा. इसके साथ ही अब केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज के तहत जोधपुर में नया एमआरओ सेंटर लाए जाने की संभावनाओं पर भी विचार शुरू कर दिया गया है.
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में सिविल एविएशन विभाग की तरफ से दोनों प्रस्ताव पर चर्चा की जा चुकी है. इस बैठक में सिविल एविएशन के अधिकारी भी मौजूद रहे.
एमआरओ में करीब 100 करोड़ रुपए का किया था निवेश
बैठक में इस बात पर चर्चा की गई झालावाड़ एमआरओ के लिए पिछली सरकार में करीब 100 करोड़ रुपए का निवेश किया गया. इसके लिए जमीन अधिगृहित की जा चुकी है. अब मौजूदा सरकार का मानना है कि इस प्रोजेक्ट में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है. इसलिए इस पर और पैसा खर्च करने से पहले इसके स्टेक होल्डर्स बोइंग और एयरबस से बातचीत कर ली जाए. इसके अलावा यह प्रस्ताव भी लाया गया कि इस एमआरओ सेंटर को या किसी नए एमआरओ सेंटर को जयपुर, जोधपुर या एनसीआर जैसी जगह पर लाया जाए. ताकि कंपनियों को यहां क्वालिफाइड स्टॉफ भी मिल सके.
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गौरतलब है, पिछली वसुंधरा सरकार में वल्लभ पित्ति ग्रुप के साथ एमआरओ को लेकर करीब 2 हजार करोड़ रुपए का एमओयू किया गया था. इसके लिए कंपनी को झालावाड़ में जमीन भी आवंटित की गई. देश में हैदराबाद और बंगलुरू जैसे शहरों में ही एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस एंड रिपेयरिंग सेंटर की सुविधा है. झालावाड़ इस सुविधा को शुरू करने वाला तीसरा शहर बना. लेकिन यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, इससे पहले प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया.
मुख्य सचिव बीबी गुप्ता ने बताया कि सिविल एविएशन विभाग के अधिकारियों से कहा गया है कि वे मौजूदा एमआरओ की फिजिबिलिटी चैक कर लें. इस पर अब तक 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जा चुका है. बिजली सब स्टेशन और पुलिस चौकी भी यहां लगाई गई है. अगर प्रोजेक्ट फिजिबल है तो इसे आगे बढ़ाएंगे. वहीं आत्मनिर्भर पैकेज के तहत जोधपुर में नया एमआरओ लाने की संभावनाएं भी देख रहे हैं.