जयपुर. प्रदेश में लगाया गया 2 फीसदी कृषि कल्याण फीस का विरोध तेज हो गया है. इसके विरोध में प्रदेश की 247 कृषि उपज मंडियों के साथ ही करीब 2 हजार आटा, दाल और तेल मिलों को 5 दिन के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया है. दूसरी ओर, इस निर्णय का विरोध बढ़ने पर कृषि विभाग की ओर से भी सफाई दी गई है.
प्रमुख शासन सचिव (कृषि) नरेश पाल गंगवार ने कहा कि कृषि उपज मंडी में उपज की खरीद-बिक्री पर लगाई गई कृषक कल्याण फीस का उपयोग किसान कल्याण के लिए ही किया जाएगा. विभाग का कहना है कि प्रदेश में कृषि जिन्सों का मंडी शुल्क 0.01 प्रतिशत से 1.60 प्रतिशत है, जबकि नजदीकी राज्यों में मंडी शुल्क की दरें तुलनात्मक रूप से अधिक हैं. पंजाब-हरियाणा आदि राज्यों में मण्डी शुल्क के अतिरिक्त विकास शुल्क पहले से ही लिया जा रहा है.
![Agriculture Department in Rajasthan, कृषक कल्याण फीस](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/rj-jpr-01-klyanfees-pkj-9024297_07052020065139_0705f_1588814499_152.jpg)
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वित्तीय वर्ष 2019-20 के परिवर्तित बजट में किसानों के लिए 'इजी ऑफ डूइंग बिजनेस' की तर्ज पर 'इजी ऑफ डूइंग फॉर्मिंग' की ओर पहला बडा कदम उठाते हुए 1 हजार करोड़ रुपये के 'कृषक कल्याण कोष' के गठन और इस कोष को किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने के लिए काम में लिए जाने की घोषणा की गई थी. इस घोषणा की अनुपालना में कृषि उपज मंडी अधिनियम में पिछले साल 16 दिसंबर को संशोधन कर कृषक कल्याण कोष गठित किया गया. इस कोष के माध्यम से समर्थन मूल्य पर क्रय की जा रही कृषि जिन्सों के तुरन्त भुगतान के लिए निधि की व्यवस्था, कृषि जिन्सों के बाजार भाव गिरने पर बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने, प्लेज फाईनेन्सिंग, कृषि प्रसंस्करण, राजस्थान कृषि व्यवसाय और कृषि निर्यात को प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत अनुदान स्वीकृति के लिए वित्त प्रबंधन एवं राज्य सरकार के अनुमोदन से कृषक कल्याण से संबंधित अन्य गतिविधियां करने का प्रावधान किया गया.
प्रमुख शासन सचिव गंगवार के मुताबिक घोषणा की अनुपालना में राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड की ओर से 1-1 हजार करोड़ (कुल 2 हजार करोड़ का ऋण) क्रमशः ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स और पंजाब नेशनल बैंक से राज्य सरकार की प्रतिभूति और ब्याज के साथ ही मूलधन के पुनर्भुगतान की वचनबद्धता के आधार पर लिया गया है. इस राशि में से 1500 करोड़ रुपये कृषि विभाग को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के राज्यांश प्रीमियम भुगतान के लिए हस्तान्तरित किए जाने की स्वीकृति जारी की गई है. भविष्य में भी इस कोष से राज्यांश प्रीमियम के लिए राशि की स्वीकृति जारी किया जाना संभावित है.
गंगवार ने बताया कि राज्य के किसानों की आय साल 2022 तक दोगुनी किये जाने के लक्ष्य के मद्देनजर रखते हुए कोष से कृषक कल्याण की विभिन्न गतिविधियां संपादित की जानी है. उल्लेखनीय है कि राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एंव कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति का क्रियान्वयन भी इसी कोष से किया जा रहा है. नीति के अन्तर्गत अब तक 15 प्रकरणों में 5.91 करोड़ रूपये का अनुदान स्वीकृत किया गया है और 38 आवेदन लंबित है.