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हाइड्रोकार्बन खोज के लिए खातेदारी भूमि 15 वर्षों के लिए सबलेट कर सकेंगे खातेदार - No need to get permission for land conversion

कच्चे खनिज तेल के उत्पादन में राजस्थान अब देश में दूसरे स्थान पर आ गया है. प्रदेश में अब हाइड्रोकार्बन यानी की पेट्रोलियम उत्पादों की खोज के लिए खातेदार अपने स्तर से खातेदारी भूमि के लिए 15 वर्षों के लिए सबलेट कर सकेंगे. माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए खातेदार को भूमि रुपातंरण की अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं.

भूमि रुपातंरण की अनुमति लेने की जरूरत नहीं, जयपुर समाचार,  Crude Mineral Oil Production,  Rajasthan ranked second in the country , Facility for accountants to search for petroleum products
पेट्रोलियम उत्पादों की खोज के लिए खातेदारों को सहूलियत
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Published : May 4, 2021, 7:29 PM IST

जयपुर. प्रदेश में अब हाइड्रोकार्बन यानी की पेट्रोलियम उत्पादों की खोज के लिए खातेदार अपने स्तर से खातेदारी भूमि के लिए 15 वर्षों के लिए सबलेट कर सकेंगे. माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बयान जारी कर बताया कि इसके लिए खातेदार को भूमि रुपातंरण की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, अपितु केवल संबंधित तहसीलदार को सूचित करना ही पर्याप्त होगा. उन्होंने बताया कि इससे राज्य में हाइड्रोकार्बन खोज और दोहन कार्य में तेजी आएगी.

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल मंगलवार को सचिवालय में पेट्रोलियम विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि राज्य में इस समय 14 पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लीज जारी की हुई है जिनमें पेट्रोलियम पदार्थों की खोज का कार्य जारी है. इसी तरह से पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन के लिए 13 पेट्रोलियम माइनिंग लीज जारी कर उत्पादन कार्य हो रहा है. राज्य में मुख्यतः ओएनजीसी, वेदांता और आयल इण्डिया द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की खोज व दोहन का कार्य किया जा रहा है. बाम्बे हाई के बाद राजस्थान देश में घरेलू उत्पादन में दूसरे नंबर पर है. घरेलू उत्पादन में बाम्बे हाई की 40 प्रतिशत तो राजस्थान की 22 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना की दूसरी लहर से राजस्थान की टूरिज्म इंडस्ट्री पर फिर संकट

राज्य में बाड़मेर और जैसलमेर में क्रूड आयल का उत्पादन हो रहा है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में ओसतन प्रतिदिन एक लाख 22 हजार बैरल खनिज तेल का उत्पादन हो रहा है. वहीं 4 से 5 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भावों में लगातार सुधार होने लगा है. इससे राज्य में भी खनिज तेल के उत्पादन से राजस्व में बढ़ोतरी होगी.

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन में लगी कंपनियों के खोज व उत्पादन प्रगति की बारी-बारी से त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी ताकि प्रदेश में तेल व गैस के उत्पादन और राजस्व बढ़ाने की प्रभावी मोनेटरिंग हो सके. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के पेट्रोलियम और नेचुरल गैस विभाग की ऑपरेटिव व मैनेजमेंट कमेटी में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व होना चाहिए जिससे राज्य में इस क्षेत्र में हो रहे खोज व उत्पादन और राज्य के हितों की प्रभावी तरीके से रखा जा सके. उन्होंने भारत सरकार स्तर पर लंबित प्रकरणों को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने और समन्वय व नियमित पत्राचार के निर्देश दिए.

जयपुर. प्रदेश में अब हाइड्रोकार्बन यानी की पेट्रोलियम उत्पादों की खोज के लिए खातेदार अपने स्तर से खातेदारी भूमि के लिए 15 वर्षों के लिए सबलेट कर सकेंगे. माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बयान जारी कर बताया कि इसके लिए खातेदार को भूमि रुपातंरण की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी, अपितु केवल संबंधित तहसीलदार को सूचित करना ही पर्याप्त होगा. उन्होंने बताया कि इससे राज्य में हाइड्रोकार्बन खोज और दोहन कार्य में तेजी आएगी.

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल मंगलवार को सचिवालय में पेट्रोलियम विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने बताया कि राज्य में इस समय 14 पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लीज जारी की हुई है जिनमें पेट्रोलियम पदार्थों की खोज का कार्य जारी है. इसी तरह से पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन के लिए 13 पेट्रोलियम माइनिंग लीज जारी कर उत्पादन कार्य हो रहा है. राज्य में मुख्यतः ओएनजीसी, वेदांता और आयल इण्डिया द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की खोज व दोहन का कार्य किया जा रहा है. बाम्बे हाई के बाद राजस्थान देश में घरेलू उत्पादन में दूसरे नंबर पर है. घरेलू उत्पादन में बाम्बे हाई की 40 प्रतिशत तो राजस्थान की 22 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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राज्य में बाड़मेर और जैसलमेर में क्रूड आयल का उत्पादन हो रहा है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में ओसतन प्रतिदिन एक लाख 22 हजार बैरल खनिज तेल का उत्पादन हो रहा है. वहीं 4 से 5 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भावों में लगातार सुधार होने लगा है. इससे राज्य में भी खनिज तेल के उत्पादन से राजस्व में बढ़ोतरी होगी.

एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पादन में लगी कंपनियों के खोज व उत्पादन प्रगति की बारी-बारी से त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी ताकि प्रदेश में तेल व गैस के उत्पादन और राजस्व बढ़ाने की प्रभावी मोनेटरिंग हो सके. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के पेट्रोलियम और नेचुरल गैस विभाग की ऑपरेटिव व मैनेजमेंट कमेटी में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व होना चाहिए जिससे राज्य में इस क्षेत्र में हो रहे खोज व उत्पादन और राज्य के हितों की प्रभावी तरीके से रखा जा सके. उन्होंने भारत सरकार स्तर पर लंबित प्रकरणों को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने और समन्वय व नियमित पत्राचार के निर्देश दिए.

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