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AAP की मजबूरी : उपचुनाव के बाद पंचायत चुनाव से भी दूर रही 'AAP'..तीसरे विकल्प का दावा खोखला या कारण है कुछ और !

राजस्थान में 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव और 2 जिलों में पंचायत राज चुनाव का शोरगुल जारी है. लेकिन इस सियासी दंगल से आम आदमी पार्टी गायब है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री का कहना है कि पंचायत राज चुनाव से आम आदमी पार्टी के दूर रहने के पीछे प्रदेश सरकार निर्वाचन विभाग की नीतियां जिम्मेदार हैं.

राजस्थान में आम आदमी पार्टी
राजस्थान में आम आदमी पार्टी
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Published : Oct 13, 2021, 5:13 PM IST

Updated : Oct 13, 2021, 9:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान में पिछले दिनों में निकाय चुनाव और पंचायत राज चुनाव में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई. अब धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव और अलवर-धौलपुर जिले में हो रहे पंचायत राज चुनाव में भी आम आदमी पार्टी दंगल में नहीं उतरी. ये चुनाव छोटे भले ही थे, लेकिन साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यदि पार्टी इसमें दमखम दिखाती उसका फायदा विधानसभा चुनाव में उसे मिलता.

आम आदमी पार्टी छोटे चुनाव के दंगल में शामिल क्यों नहीं हुई ? इसके पीछे एक बड़ा कारण है कि निकाय चुनाव या पंचायत का चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकती. आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री बताते हैं कि राजस्थान में राजनीतिक दलों के लिए इस तरह के नियम बनाए गए हैं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री से खास बातचीत (भाग 1)

इसमें पहली शर्त राष्ट्रीय दल का होना जरूरी है. दूसरी शर्त में प्रदेश में कम से कम तीन विधायक या एक सांसद होना जरूरी है. अगर कोई पार्टी ये दोनों शर्तें पूरी नहीं करती तो पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम राजस्थान में 6% वोट उसे मिले हों. आम आदमी पार्टी ये तीनों शर्तें पूरी नहीं करती. लिहाजा न तो नगर निकाय चुनाव में और न ही पंचायत राज चुनाव में उन्हें सिंबल मिल पाया. बिना सिंबल के पार्टी ने चुनाव लड़ना भी उचित नहीं समझा. आम आदमी पार्टी पदाधिकारियों का कहना है देश भर में इस प्रकार की शर्तें केवल राजस्थान में हैं. हालांकि इस मसले पर आप पार्टी ने कोर्ट की शरण ले रखी है.

तीसरा विकल्प देने का दावा, लेकिन अब तक प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं

पिछले दिनों राजस्थान के श्रीगंगानगर में आम आदमी पार्टी ने संभाग स्तर पर सभा का आयोजन किया था. आने वाले दिनों में अन्य संभाग मुख्यालय पर भी इस प्रकार की रैली और सभाओं का आयोजन करने का दावा था. पार्टी के पदाधिकारी यह भी दावा करते हैं कि राजस्थान की जनता को बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प देने का काम आम आदमी पार्टी ही करेगी.

पढ़ें- भाजपा में सब मूर्ख...पर ज्ञानवान सीएम के राज में प्रदेश की स्थिति बदतर क्यों ? : राठौड़

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी को अब तक राजस्थान में अपना प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं मिल पाया है. कुछ साल पहले तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष रामपाल जाट के इस्तीफे के बाद से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है. यही कारण है कि अब तक संगठनात्मक रूप से भी राजस्थान में पार्टी का पूरी तरह विस्तार नहीं हो पाया है. हालांकि महिला विंग और युवा विंग तो बनाए गए. लेकिन संगठन के मुखिया की जिम्मेदारी स्थाई तौर पर किसी भी नेता को नहीं मिल पाई. यही कारण है कि समय-समय पर प्रभारी संजय सिंह और सह प्रभारी खेमचंद जागीरदार राजस्थान आकर पार्टी की गतिविधियों को गति देने का काम करते हैं.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री से खास बातचीत (भाग 2)

2 साल बाद विधानसभा चुनाव, उसी पर फोकस

आम आदमी पार्टी से जुड़े प्रदेश सचिव की मानें तो पार्टी अभी छोटे चुनाव पर फोकस न करके साल 2023 के विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है. इसके लिए जल्द ही पार्टी का पूरा संगठन जिला इकाइयों पर इस दृष्टि से काम करता दिखेगा. उनके अनुसार बीते कुछ सालों में आम आदमी पार्टी ने राजस्थान के कई जिलों में अपनी पहचान बनाई है और आम लोगों को पार्टी से जुड़ने के लिए अभियान भी चलाया है.

पढ़ें- बाजरे पर MSP को लेकर भाजपा का वार, प्रवक्ता बोले- केन्द्र को गहलोत सरकार के अनुशंसा पत्र का इंतजार

पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार दिल्ली में केजरीवाल सरकार के किए गए कार्यों और जन कल्याणकारी योजनाओं को आधार बनाकर राजस्थान में भी आम लोगों को पार्टी से जोड़ा जा रहा है. इनका दावा है कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. हालांकि यदि समान विचारधारा से जुड़े कुछ दलित सहयोग करते हैं तो कुछ सीटों पर गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ा जाएगा. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी राजस्थान में भी अपना वजूद दिखाएगी.

अब राजस्थान में तीसरे विकल्प की संभावना

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली फतह किया और पंजाब में अपनी ताकत दिखाई. लेकिन राजस्थान में जिस प्रकार से सियासी हालात बन रहे हैं, उसमें उम्मीद की जा रही है कि अब भाजपा कांग्रेस के अलावा भी अन्य दलों को यहां की जनता अपना आशीर्वाद देंगी. ऐसे भी प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी कुछ सीटों पर अपने विधायक जिता कर लाती है. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी 2 सीटों पर जीत हासिल की थी, तो आरएलपी 3 सीटों पर अपने विधायक जिताने में कामयाब रही थी.

कुछ ऐसी ही उम्मीद आम आदमी पार्टी को भी है. पार्टी को लगता है कि अन्य दल जो चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी विचारधारा और जातिगत समीकरण सीमित हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी आमजन की पार्टी बनकर लड़ेगी और राजस्थान में उसे अच्छा परिणाम मिलेगा.

जयपुर. राजस्थान में पिछले दिनों में निकाय चुनाव और पंचायत राज चुनाव में आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हुई. अब धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव और अलवर-धौलपुर जिले में हो रहे पंचायत राज चुनाव में भी आम आदमी पार्टी दंगल में नहीं उतरी. ये चुनाव छोटे भले ही थे, लेकिन साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यदि पार्टी इसमें दमखम दिखाती उसका फायदा विधानसभा चुनाव में उसे मिलता.

आम आदमी पार्टी छोटे चुनाव के दंगल में शामिल क्यों नहीं हुई ? इसके पीछे एक बड़ा कारण है कि निकाय चुनाव या पंचायत का चुनाव में आम आदमी पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकती. आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री बताते हैं कि राजस्थान में राजनीतिक दलों के लिए इस तरह के नियम बनाए गए हैं, जिसके चलते आम आदमी पार्टी को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री से खास बातचीत (भाग 1)

इसमें पहली शर्त राष्ट्रीय दल का होना जरूरी है. दूसरी शर्त में प्रदेश में कम से कम तीन विधायक या एक सांसद होना जरूरी है. अगर कोई पार्टी ये दोनों शर्तें पूरी नहीं करती तो पिछले विधानसभा चुनाव में कम से कम राजस्थान में 6% वोट उसे मिले हों. आम आदमी पार्टी ये तीनों शर्तें पूरी नहीं करती. लिहाजा न तो नगर निकाय चुनाव में और न ही पंचायत राज चुनाव में उन्हें सिंबल मिल पाया. बिना सिंबल के पार्टी ने चुनाव लड़ना भी उचित नहीं समझा. आम आदमी पार्टी पदाधिकारियों का कहना है देश भर में इस प्रकार की शर्तें केवल राजस्थान में हैं. हालांकि इस मसले पर आप पार्टी ने कोर्ट की शरण ले रखी है.

तीसरा विकल्प देने का दावा, लेकिन अब तक प्रदेश अध्यक्ष तक नहीं

पिछले दिनों राजस्थान के श्रीगंगानगर में आम आदमी पार्टी ने संभाग स्तर पर सभा का आयोजन किया था. आने वाले दिनों में अन्य संभाग मुख्यालय पर भी इस प्रकार की रैली और सभाओं का आयोजन करने का दावा था. पार्टी के पदाधिकारी यह भी दावा करते हैं कि राजस्थान की जनता को बीजेपी और कांग्रेस के अलावा तीसरा विकल्प देने का काम आम आदमी पार्टी ही करेगी.

पढ़ें- भाजपा में सब मूर्ख...पर ज्ञानवान सीएम के राज में प्रदेश की स्थिति बदतर क्यों ? : राठौड़

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या आम आदमी पार्टी को अब तक राजस्थान में अपना प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं मिल पाया है. कुछ साल पहले तत्कालिक प्रदेश अध्यक्ष रामपाल जाट के इस्तीफे के बाद से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद खाली है. यही कारण है कि अब तक संगठनात्मक रूप से भी राजस्थान में पार्टी का पूरी तरह विस्तार नहीं हो पाया है. हालांकि महिला विंग और युवा विंग तो बनाए गए. लेकिन संगठन के मुखिया की जिम्मेदारी स्थाई तौर पर किसी भी नेता को नहीं मिल पाई. यही कारण है कि समय-समय पर प्रभारी संजय सिंह और सह प्रभारी खेमचंद जागीरदार राजस्थान आकर पार्टी की गतिविधियों को गति देने का काम करते हैं.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री से खास बातचीत (भाग 2)

2 साल बाद विधानसभा चुनाव, उसी पर फोकस

आम आदमी पार्टी से जुड़े प्रदेश सचिव की मानें तो पार्टी अभी छोटे चुनाव पर फोकस न करके साल 2023 के विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है. इसके लिए जल्द ही पार्टी का पूरा संगठन जिला इकाइयों पर इस दृष्टि से काम करता दिखेगा. उनके अनुसार बीते कुछ सालों में आम आदमी पार्टी ने राजस्थान के कई जिलों में अपनी पहचान बनाई है और आम लोगों को पार्टी से जुड़ने के लिए अभियान भी चलाया है.

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पार्टी पदाधिकारियों के अनुसार दिल्ली में केजरीवाल सरकार के किए गए कार्यों और जन कल्याणकारी योजनाओं को आधार बनाकर राजस्थान में भी आम लोगों को पार्टी से जोड़ा जा रहा है. इनका दावा है कि अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. हालांकि यदि समान विचारधारा से जुड़े कुछ दलित सहयोग करते हैं तो कुछ सीटों पर गठबंधन के आधार पर चुनाव लड़ा जाएगा. लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी राजस्थान में भी अपना वजूद दिखाएगी.

अब राजस्थान में तीसरे विकल्प की संभावना

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली फतह किया और पंजाब में अपनी ताकत दिखाई. लेकिन राजस्थान में जिस प्रकार से सियासी हालात बन रहे हैं, उसमें उम्मीद की जा रही है कि अब भाजपा कांग्रेस के अलावा भी अन्य दलों को यहां की जनता अपना आशीर्वाद देंगी. ऐसे भी प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी कुछ सीटों पर अपने विधायक जिता कर लाती है. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी 2 सीटों पर जीत हासिल की थी, तो आरएलपी 3 सीटों पर अपने विधायक जिताने में कामयाब रही थी.

कुछ ऐसी ही उम्मीद आम आदमी पार्टी को भी है. पार्टी को लगता है कि अन्य दल जो चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी विचारधारा और जातिगत समीकरण सीमित हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी आमजन की पार्टी बनकर लड़ेगी और राजस्थान में उसे अच्छा परिणाम मिलेगा.

Last Updated : Oct 13, 2021, 9:58 PM IST
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