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एकादशी आज, भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व

स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ शनिवार (15 अगस्त) को अजा एकादशी भी है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. ऐसे में आज व्रतधारी पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय व्रत कथा सुनेंगे और कल रविवार को व्रत का पारण करेंगे.

Worshiping Lord Vishnu, भगवान विष्णु की पूजा अर्चना
अजा एकादशी पर व्रतधारी ने की पूजा
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Published : Aug 15, 2020, 2:58 PM IST

Updated : Aug 15, 2020, 5:05 PM IST

जयपुर. स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को अजा एकादशी भी है. भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. ऐसे में आज व्रतधारी पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय व्रत कथा सुनेंगे और कल रविवार को व्रत का पारण करेंगे.

हिंदू पंचांग के अनुसार अजा एकादशी पर जो भक्त व्रत सच्ची श्रद्धा और नियम सहित करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ समान फल प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है. इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. कहते हैं कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, वह इस लोक में तो सुख को भोगता ही है. साथ ही मृत्यु के बाद एकादशी के व्रत के प्रभाव से वह विष्णु लोक यानी श्री बैकुंठ धाम को हो जाता है.

पढ़ेंः 74 वां स्वतंत्रता दिवसः मुख्यमंत्री ने अमर जवान ज्योति पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि

यू तो हर दिन प्रभु का ध्यान लगाया जाता है. लेकिन एकादशी के दिन प्रभु की आराधना करने का विशेष महत्व है. इसलिए सभी तिथियों में अजा एकादशी की तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसे में शनिवार को ज्यादातर भक्त पूरे दिन निराहार व्रत कर रहे है. वहीं शाम के समय एकादशी की व्रत कथा सुनेंगे और गाय के घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करेंगे. रविवार यानी की कल दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर उसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करेंगे.

जयपुर. स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को अजा एकादशी भी है. भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. ऐसे में आज व्रतधारी पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय व्रत कथा सुनेंगे और कल रविवार को व्रत का पारण करेंगे.

हिंदू पंचांग के अनुसार अजा एकादशी पर जो भक्त व्रत सच्ची श्रद्धा और नियम सहित करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ समान फल प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है. इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. कहते हैं कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, वह इस लोक में तो सुख को भोगता ही है. साथ ही मृत्यु के बाद एकादशी के व्रत के प्रभाव से वह विष्णु लोक यानी श्री बैकुंठ धाम को हो जाता है.

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यू तो हर दिन प्रभु का ध्यान लगाया जाता है. लेकिन एकादशी के दिन प्रभु की आराधना करने का विशेष महत्व है. इसलिए सभी तिथियों में अजा एकादशी की तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसे में शनिवार को ज्यादातर भक्त पूरे दिन निराहार व्रत कर रहे है. वहीं शाम के समय एकादशी की व्रत कथा सुनेंगे और गाय के घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करेंगे. रविवार यानी की कल दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर उसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करेंगे.

Last Updated : Aug 15, 2020, 5:05 PM IST
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