जयपुर. प्रदेश में बीते 3 दिनों से बस पॉलिटिक्स चल रही है. एक ओर जहां राजस्थान के भरतपुर यूपी बॉर्डर पर सैकड़ों की तादाद में राजनीतिक बसें खड़ी है, जो यूपी जाने के लिए इंतजार कर रही है. लेकिन दूसरी ओर राजस्थान सरकार की श्रमिक बसें धड़ल्ले से यूपी में प्रवेश कर रही है.
राजस्थान सरकार ने जो श्रमिक बसें चलाई है उनकी बात की जाए तो बीते 3 दिनों में अब तक यूपी में 76 बसें, हिमाचल में एक बस, मध्यप्रदेश में 10 बसें, दिल्ली में 3 बसें और उत्तराखंड में 18 श्रमिक बसें भेजी गई हैं. 18 मई से श्रमिक बसों का ऑपरेशन शुरू हुआ था और अब तक कुल 108 बसें दूसरे राज्यों में श्रमिकों को लेकर गई है.
श्रमिक बसों को राज्य के अंदर दिया जा रहा प्रवेश
इनसब में खास बात यह है कि पहले जहां बसें केवल अपने राज्यों के बॉर्डर तक जा रही थी, अब इन श्रमिक बसों को राज्यों के अंदर भी प्रवेश दिया जा रहा है. यानी कि अब यह श्रमिक बसे श्रमिकों को उनके राज्यों के बॉर्डर पर नहीं छोड़ेगी बल्कि राज्यों के अंदर जिलों में छोड़ेगी. उत्तर प्रदेश के लिए जाने वाली बसों को हाथरस भेजा जा रहा है. इसी तरह से हिमाचल की बसों को शिमला और मंडी में भेजा जा रहा है. मध्यप्रदेश की बसों को श्योपुर, शिवपुरी और ग्वालियर तक भेजा जा रहा है.
इसी तरह दिल्ली की बसों को काले खां भेजा जा रहा है, तो उत्तराखंड की बसों को देहरादून तक भेजा जा रहा है. बता दें कि अब तक इन 108 श्रमिक बसों में 3800 श्रमिकों को उनके राज्यों में भेजा जा चुका है. आरएसआरटीसी के एमडी नवीन जैन ने कहा, सरकारी बसों को लेकर किसी तरीके कि कोई रोक-टोक नहीं है और संबंधित जिला कलेक्टरों से अनुमति लेने के बाद ही इन बसों को भेजा जाता है.
बुधवार रात से श्रमिक बसें जाएंगी महाराष्ट्र
राजस्थान से अभी उत्तर प्रदेश, हिमाचल, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड के लिए श्रमिक बसें भेजी जा रही हैं. अब तक इनमें करीब 3800 श्रमिकों को भेजा जा चुका है. बता दें कि बुधवार रात से महाराष्ट्र के लिए भी श्रमिक बसें शुरू हो जाएंगी और 20 बसें बुधवार को महाराष्ट्र के पुणे, मुंबई और गोंड्या जिलों में जाएगी.
महाराष्ट्र जाने वाली बसों को लेकर प्रदेश सरकार चाहती है कि वापस आते समय यह बसें खाली नहीं आए. बल्कि इसमें राजस्थान के श्रमिकों को भेज दिया जाए. इसे लेकर अभी प्रशासनिक तौर पर दोनों राज्यों में बात चल रही है. इसी तरीके से जो बसें अन्य राज्यों में जा रही है वहां से भी प्रयास किया जा रहा है कि यह बसें जब वापस लौटे तो राजस्थान के श्रमिकों को भी साथ ले आए.