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जामा मस्जिद में 5 लोगों ने अदा की ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज, गाइडलाइन का रखा ख्याल

प्रदेशभर में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. ईद के मौके पर खास नमाज मस्जिद और ईदगाह में अदा की जाती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते 5 लोगों की मौजूदगी में ही राजधानी जयपुर के जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई.

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जामा मस्जिद में 5 लोगों ने अदा की ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज
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Published : Aug 1, 2020, 2:57 PM IST

जयपुर. प्रदेशभर में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. ईद के मौके पर खास नमाज मस्जिद और ईदगाह में अदा की जाती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और मुस्लिम समाज ने यह फैसला किया था कि इस बार सामूहिक रूप से नमाज कहीं भी अदा नहीं की जाएगी. इसी के मद्देनजर महज 5 लोगों की मौजूदगी में ही राजधानी जयपुर के जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद और दिल्ली रोड स्थित ईदगाह में 5 लोगों ने ही ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की है.

जामा मस्जिद में 5 लोगों ने अदा की ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज

इससे पहले ईद उल फितर की विशेष नमाज भी 5 लोगों की ही मौजूदगी में अदा की गई थी. जामा मस्जिद में ईद उल अजहा की नमाज के दौरान जौहरी बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी. वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ नजर आया है. जामा मस्जिद में मुफ्ती अमजद और दिल्ली रोड स्थित ईदगाह में मुफ्ति वाजिद अली हसन ने नमाज पढ़ाई. लोगों ने कोरोना को लेकर जारी सरकार की गाइडलाइन का ख्याल रखते हुए अपने घरों में ही ईद की विशेष नमाज अदा की है.

मुफ्ती अमजद ने कहा कि प्रदेश के लोकप्रिय 4 महीने से कोरोना के कारण परेशानी में रह रहे हैं और सरकार की गाइडलाइन का पालन भी किया जा रहा है. इसी का ध्यान रखते हुए जामा मस्जिद में कुछ लोगों ने ही विशेष नमाज अदा की. मुफ्ती अमजद ने कहा कि खुदा हमारी दुआ सुने और इस महामारी से हमें निजात दिलवाए ताकि, बिगड़े हुए हालात फिर से ठीक हो सके.

यह भी पढ़ें- बाड़ेबंदी में बंद विधायकों के वेतन रोकने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

राजस्थान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खानूखान बुधवाली ने कहा समाज की लोगों को बुलाकर पहले ही आग्रह किया गया था कि सामूहिक रूप से ईद की नमाज नहीं अदा की जाए, क्योंकि अगर भीड़ आएगी तो महामारी बढ़ेगी, क्योंकि यदि इंसान बचेगा तो ही मजहब बचेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महामारी के दौरान जो काम करें हैं वह काबिले तारीफ है. हमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए ईद मनानी है और किसी अन्य मजहब के लोगों को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए. बता दें कि 2 महीनें में ही यह दूसरा बड़ा त्योहार है, जब मुस्लिम समाज की ओर से सामूहिक रूप से विशेष समय नमाज अदा नहीं की गई है.

जयपुर. प्रदेशभर में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. ईद के मौके पर खास नमाज मस्जिद और ईदगाह में अदा की जाती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार मुस्लिम समाज के धर्मगुरु और मुस्लिम समाज ने यह फैसला किया था कि इस बार सामूहिक रूप से नमाज कहीं भी अदा नहीं की जाएगी. इसी के मद्देनजर महज 5 लोगों की मौजूदगी में ही राजधानी जयपुर के जौहरी बाजार स्थित जामा मस्जिद और दिल्ली रोड स्थित ईदगाह में 5 लोगों ने ही ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की है.

जामा मस्जिद में 5 लोगों ने अदा की ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज

इससे पहले ईद उल फितर की विशेष नमाज भी 5 लोगों की ही मौजूदगी में अदा की गई थी. जामा मस्जिद में ईद उल अजहा की नमाज के दौरान जौहरी बाजार में पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी. वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ नजर आया है. जामा मस्जिद में मुफ्ती अमजद और दिल्ली रोड स्थित ईदगाह में मुफ्ति वाजिद अली हसन ने नमाज पढ़ाई. लोगों ने कोरोना को लेकर जारी सरकार की गाइडलाइन का ख्याल रखते हुए अपने घरों में ही ईद की विशेष नमाज अदा की है.

मुफ्ती अमजद ने कहा कि प्रदेश के लोकप्रिय 4 महीने से कोरोना के कारण परेशानी में रह रहे हैं और सरकार की गाइडलाइन का पालन भी किया जा रहा है. इसी का ध्यान रखते हुए जामा मस्जिद में कुछ लोगों ने ही विशेष नमाज अदा की. मुफ्ती अमजद ने कहा कि खुदा हमारी दुआ सुने और इस महामारी से हमें निजात दिलवाए ताकि, बिगड़े हुए हालात फिर से ठीक हो सके.

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राजस्थान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष खानूखान बुधवाली ने कहा समाज की लोगों को बुलाकर पहले ही आग्रह किया गया था कि सामूहिक रूप से ईद की नमाज नहीं अदा की जाए, क्योंकि अगर भीड़ आएगी तो महामारी बढ़ेगी, क्योंकि यदि इंसान बचेगा तो ही मजहब बचेगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत महामारी के दौरान जो काम करें हैं वह काबिले तारीफ है. हमें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए ईद मनानी है और किसी अन्य मजहब के लोगों को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए. बता दें कि 2 महीनें में ही यह दूसरा बड़ा त्योहार है, जब मुस्लिम समाज की ओर से सामूहिक रूप से विशेष समय नमाज अदा नहीं की गई है.

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