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हाथी गांव के 20 हाथियों पर सवारी बैन, वन विभाग ने पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को दिए आदेश

हाथी गांव के हाथियों पर अब हाथी सवारी करने पर बैन लगाया गया है. साथ ही हाथियों को सफारी से भी हटाने के आदेश दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक कमेटी ने हाथियों का हेल्थ चेकअप किया था, जिसके बाद 20 हाथी अनफिट पाए गए.

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Published : Feb 8, 2021, 10:08 PM IST

जयपुर की ताजा हिंदी खबरें, People for the Ethical Treatment of Animals India
हाथी गांव के 20 हाथियों पर सवारी बैन

जयपुर. हाथी गांव के 20 हाथियों पर हाथी सवारी बैन कर दी गई है. स्वास्थ्य मामलों की वजह से हाथियों को सफारी से भी हटाने के आदेश दिए गए हैं. वन विभाग ने पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक कमेटी ने हाथियों का हेल्थ चेकअप किया था, जिसके बाद 20 हाथी अनफिट पाए गए.

वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत गठित कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों और पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया की ओर से कमेटी रिपोर्ट को लागू करने के अनुरोध के बाद राजस्थान वन विभाग ने पुरातत्व संग्रहालय विभाग को आमेर किले पर पर्यटन सवारी के लिए इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया है.

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हाथी गांव के 20 हाथियों पर सवारी बैन

आदेश के मुताबिक 20 अस्वस्थ, बूढ़े और कुपोषित हाथियों में से तीन टीबी की बीमारी से ग्रसित है. कई अन्य दृष्टि रोग और पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित बताए गए हैं. पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स की चीफ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता के मुताबिक राजस्थान सरकार के शुक्रगुजार है, जिन्होंने विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश पर गौर करते हुए कुछ उम्र दराज और बीमार हाथियों को तत्काल सफारी के प्रयोग नही लिए जाने का आदेश दिया है.

उम्मीद की जा रही है सरकार कमेटी के अन्य सभी सुझावों का पालन करते हुए पर्यटकों को शाही सवारी के अनुभव का अवसर प्रदान करेगी. जिससे हाथियों को भी आराम मिलेगा और उन्हें जबरन सवारी कराने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. कमेटी की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्टि रोग से ग्रसित है और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोग से पीड़ित हैं. जिनमें बड़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल है. इनमें से 29 हाथियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी जो वहां के हाथियों की औसतन उम्र जितनी है.

कमेटी की ओर से जिन तीन हाथियों की जांच की गई और तीनों टीवी से ग्रसित पाए गए. पूरे मामले को लेकर हाथी माली की काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट में कोई भी हाथी अनफिट नहीं था, जब फाइनल रिपोर्ट में कई हाथियों को अंधा और कई को टीवी बताया गया है. मामले में हाथी मालिकों ने वन विभाग के इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि हम इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.

पढ़ें- निकायों में डिप्टी चेयरमैन के नतीजे घोषित...13 निकायों में महिलाएं, एक में ट्रांसजेंडर बना डिप्टी चेयरपर्सन

हाथी विकास समिति के अब्दुल अजीज के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां आए जांच कमेटी ने गलत रिपोर्ट बनाई है. जांच दल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं थे, बल्कि उसमें रिटायर्ड चिकित्सकों को लिया गया था. जब जांच हुई थी तब जांच में सभी हाथी पूरी तरह से स्वस्थ थे. फिर अब अचानक फाइनल रिपोर्ट में कैसे हाथियों को अस्वस्थ बताया गया है.

इसके अलावा अभी 1 महीने पहले ही खुद वन विभाग ने हाथियों का चेकअप किया था. वन विभाग की रिपोर्ट में हाथी स्वस्थ बताए गए हैं. ऐसे में किस रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए, यह असमंजस का विषय बना हुआ है. ऐसे में हाथी मालिक इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कर रहे हैं.

जयपुर. हाथी गांव के 20 हाथियों पर हाथी सवारी बैन कर दी गई है. स्वास्थ्य मामलों की वजह से हाथियों को सफारी से भी हटाने के आदेश दिए गए हैं. वन विभाग ने पुरातत्व और संग्रहालय विभाग को आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक कमेटी ने हाथियों का हेल्थ चेकअप किया था, जिसके बाद 20 हाथी अनफिट पाए गए.

वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से प्रोजेक्ट एलीफेंट के तहत गठित कमेटी की ओर से दिए गए सुझावों और पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स इंडिया की ओर से कमेटी रिपोर्ट को लागू करने के अनुरोध के बाद राजस्थान वन विभाग ने पुरातत्व संग्रहालय विभाग को आमेर किले पर पर्यटन सवारी के लिए इस्तेमाल हो रहे 20 बीमार हाथियों को काम से हटाने का आदेश दिया है.

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हाथी गांव के 20 हाथियों पर सवारी बैन

आदेश के मुताबिक 20 अस्वस्थ, बूढ़े और कुपोषित हाथियों में से तीन टीबी की बीमारी से ग्रसित है. कई अन्य दृष्टि रोग और पैरों के गंभीर रोगों से पीड़ित बताए गए हैं. पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स की चीफ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता के मुताबिक राजस्थान सरकार के शुक्रगुजार है, जिन्होंने विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश पर गौर करते हुए कुछ उम्र दराज और बीमार हाथियों को तत्काल सफारी के प्रयोग नही लिए जाने का आदेश दिया है.

उम्मीद की जा रही है सरकार कमेटी के अन्य सभी सुझावों का पालन करते हुए पर्यटकों को शाही सवारी के अनुभव का अवसर प्रदान करेगी. जिससे हाथियों को भी आराम मिलेगा और उन्हें जबरन सवारी कराने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. कमेटी की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया था कि निरीक्षण किए गए 98 हाथियों में से 22 हाथी दृष्टि रोग से ग्रसित है और 42 हाथी पैरों के गंभीर रोग से पीड़ित हैं. जिनमें बड़े हुए नाखून, कटे फटे तलवे और पथरीली सड़कों पर चलने के कारण पैरों में बन चुके जख्म शामिल है. इनमें से 29 हाथियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी जो वहां के हाथियों की औसतन उम्र जितनी है.

कमेटी की ओर से जिन तीन हाथियों की जांच की गई और तीनों टीवी से ग्रसित पाए गए. पूरे मामले को लेकर हाथी माली की काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट में कोई भी हाथी अनफिट नहीं था, जब फाइनल रिपोर्ट में कई हाथियों को अंधा और कई को टीवी बताया गया है. मामले में हाथी मालिकों ने वन विभाग के इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि हम इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.

पढ़ें- निकायों में डिप्टी चेयरमैन के नतीजे घोषित...13 निकायों में महिलाएं, एक में ट्रांसजेंडर बना डिप्टी चेयरपर्सन

हाथी विकास समिति के अब्दुल अजीज के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यहां आए जांच कमेटी ने गलत रिपोर्ट बनाई है. जांच दल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं थे, बल्कि उसमें रिटायर्ड चिकित्सकों को लिया गया था. जब जांच हुई थी तब जांच में सभी हाथी पूरी तरह से स्वस्थ थे. फिर अब अचानक फाइनल रिपोर्ट में कैसे हाथियों को अस्वस्थ बताया गया है.

इसके अलावा अभी 1 महीने पहले ही खुद वन विभाग ने हाथियों का चेकअप किया था. वन विभाग की रिपोर्ट में हाथी स्वस्थ बताए गए हैं. ऐसे में किस रिपोर्ट पर भरोसा किया जाए, यह असमंजस का विषय बना हुआ है. ऐसे में हाथी मालिक इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कर रहे हैं.

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