जयपुर. प्रदेश में कोरोना वायरस से जंग के लिए चिकित्सा विभाग अलर्ट मोड पर है. ऐसे में स्क्रीनिंग के दौरान कोई संदिग्ध मरीज सामने आता है, तो उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है. कोरोना संकट के बीच एंबुलेंस की महत्ता और बढ़ गई है. एंबुलेंस समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो जरूरतमंद व्यक्ति को आइसोलेट किया जा सके. एक मोटे-मोटे अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 1500 एंबुलेंसों का संचालन हो रहा है.
एंबुलेंस..
एम्बुलेंस या रोगीवाहन, एक वाहन है जिसका प्रयोग किसी रोगी या दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को किसी स्थान से अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुँचाने या एक उपचार केन्द्र से दूसरे उपचार केन्द्र तक ले जाने में किया जाता है. अधिकतर मामलों में एक एम्बुलेंस में, रोगी के अस्पताल पहुँचने तक, उसे चिकित्सा सेवा भी प्रदान की जाती है.
राजस्थान में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद प्रदेश का चिकित्सा महकमा मुस्तैद हो गया था. स्वास्थ्य विभाग ने सबसे पहले सवाई मानसिंह अस्पताल में इलाज के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार किए. इसी दौरान एसएमएस हॉस्पिटल में अन्य क्षेत्रों से भी संदिग्ध लोगों का आना शुरू हो गया.
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ऐसे में संदिग्ध लोगों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस का उपयोग चिकित्सा विभाग की ओर से किया जा रहा है. जहां-जहां स्वास्थ्य विभाग की टीमें स्क्रीनिंग करने पहुंच रही है. इसके माध्यम से संदिग्ध व्यक्ति को तुरंत आइसोलेशन वार्ड या अस्पताल तक पहुंचाया जा रहा है.
अलर्ट मोड पर है 1500 एंबुलेंस
राजस्थान एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर करीब 1500 108-एंबुलेंस अलर्ट मोड पर है. साथ ही इन एंबुलेंस पर करीब 5 हजार लोगों का स्टाफ भी कोरोना की इस जंग में कंधे से कंधा मिला कर डटा हुआ है.
क्रिटिकल केयर एंबुलेंस भी उपलब्ध
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के पास इन एंबुलेंस के अलावा दो क्रिटिकल केयर एंबुलेंस भी मौजूद है. जिस पर वेंटिलेटर की सुविधा भी उपलब्ध है. हालांकि अभी तक ऐसी कोई सूचना सामने नहीं आई है, जिसमें इस एंबुलेंस का प्रयोग किया गया है. इसके अलावा निजी अस्पतालों में तैनात क्रिटिकल केयर एंबुलेंस का संचालन भी अब सरकार ने अपने हाथों में ले लिया है.
सूचना के 1 घंटे बाद पहुंची एंबुलेंस
एक ओर जहां प्रदेश में 1500 एंबुलेंस कोरोना की जंग में अलर्ट मोड पर है. वहीं, दौसा जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी देखने को मिली है. एक 70 वर्षीय बुजुर्ग के कर्फ्यू क्षेत्र में गश खाकर गिरने के करीब 1 घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची. चूंकि एंबुलेंस देर से पहुंची इसलिए बुजुर्ग ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
एंबुलेंस में नवजात ने तोड़ा दम
भरतपुर जिले के सरकारी अस्पताल पर आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही से नवजात ने दम तोड़ दिया. पीड़ित परिवार ने बताया कि अस्पताल में भर्ती करने के बजाए उन्हें अस्पताल से कहीं और जाने की बात कही गई. जब प्रसूता एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल जा रही थी, तो रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दिया. लेकिन थोड़ी देर बाद ही नवजात ने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद बड़ा सवाल ये था कि अगर गर्भवती महिला एंबुलेंस में ना होती तो उसकी जान भी जा सकती थी.