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EXCLUSIVE: रविवार को हो सकता है 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम चुनाव की तारीखों का एलान

राजस्थान के 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम के चुनाव की तारीखों का एलान रविवार को हो सकता है. कोरोना संक्रमण के दिशा-निर्देशों की पालना कराते हुए चुनाव कराना आयोग के लिए चुनौती से कम नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र में चुनाव के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की है.

Municipal corporation election dates, Rajasthan Election Commission
रविवार को हो सकता है चुनाव की तारीखों का एलान
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Published : Oct 9, 2020, 11:01 PM IST

जयपुर. राज्य की 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम के चुनाव की तारीखों का एलान रविवार को हो सकता है. निकाय चुनाव को आगे बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी में जुट गया है. राज्य निर्वाचन आयोग सभी तैयारियां पूरी कर रविवार शाम तक चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है.

रविवार को हो सकता है चुनाव की तारीखों का एलान

शहरी क्षेत्रों में जहां कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में इन क्षेत्रों में नगर निगम में शांतिपूर्ण चुनाव कराना राज्य निर्वाचन आयोग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन पंचायत राज संस्थाओं के 3 चरणों के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने के बाद निर्वाचन आयोग इस बात को लेकर काफी सजग है कि पंचायती राज संस्थाओं की तर्ज पर शहरी क्षेत्र के चुनाव की सफलता पूर्वक संपन्न हो सके.

पढ़ें- गहलोत सरकार को 'सुप्रीम' झटका, जोशी बोले- निकाय चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना बड़ी चुनौती

हालांकि, नगर निकाय चुनाव सिंबल पर लड़े जाएंगे और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं प्रचार प्रसार में भी जुटेंगे. ऐसे में कोरोना संक्रमण के दिशा निर्देशों की पालना कराते हुए चुनाव कराना आयोग के लिए चुनौती से कम नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र में चुनाव के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की है.

आयोग ने जारी की गाइडलाइन

  • जिन शहरी निकायों के लिए मतदान होना है, उन निकायों के लिए मतदान के 1 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट केस की सूचना संबंधित आरओ और नियुक्त नोडल स्वास्थ्य अधिकारी को सीएमएचओ उपलब्ध कराएंगे. यह सूचना आयोग निर्वाचन दलों के पीठासीन अधिकारियों को उपलब्ध कराएगा.
  • अगर वोटिंग वाले दिन कोरोना रोगी मतदाता निकाय की सीमा क्षेत्र में है तो संबंधित नोडल स्वास्थ्य अधिकारी उससे मतदान की इच्छा जानने के लिए अधीनस्थ स्वास्थ्य करने को कहेगा. फिर स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस से मतदाता सूची में उसके नाम संबंधी वार्ड संख्या, भाग संख्या और क्रमांक भी लेगा. मतदान की इच्छा जताने पर संबंधित नोडल स्वास्थ्य अधिकारी संबंधित पीठासीन अधिकारी संपर्क कर उसके लिए समय निर्धारित करवाएंगे और फिर से वोटर को सूचित किया जाएगा.
  • ऐसे वोटरों का मतदान सबसे अंत में होगा. ऐसा वोटर स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में चिकित्सा विभाग के प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मतदान कर सकेगा.
  • स्वास्थ्य कर्मी पीठासीन अधिकारी को उस व्यक्ति का मतदाता सूची में नाम, भाग संख्या और अन्य विवरण उपलब्ध कराएगा. उसकी पहचान के लिए पीपीई किट या मास्क नहीं हटाया जाएगा. मतदान अधिकारी इसके अलग से नोट डालकर उसे मतदान की अनुमति देगा.
  • मतदान दलों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे मतदाताओं की उंगली पर स्याही का निशान और मतदाता रजिस्टर में हस्ताक्षर कराने की अनिवार्यता लागू नहीं होगी.
  • अगर केंद्रीय राज्य की गाइडलाइन के अनुसार ऐसा कोरोना अस्पताल या होम आइसोलेशन से नहीं हटाया जा सकता है तो यह आदेश उस पर लागू नहीं होगा और ऐसे मतदाता को निजी और सरकारी अस्पताल या होम आइसोलेशन में मतदान के लिए नहीं लाया जाएगा.
  • इसके साथ ही निकायों के लिए कोरोना के संक्रमित व्यक्तियों के नामांकन दाखिल करने और शहरी निकाय क्षेत्र के दौरान कोरोना के बचाव के अलग से गाइडलाइन जारी की गई है.

निर्वाचन आयोग की जानकार सूत्रों की मानें तो निर्वाचन आयोग रविवार शाम तक 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम के कार्यक्रम जारी कर सकता है. इसमें खासतौर से पंपलेट बांटकर प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जा सकती है. साथ ही उनकी संख्या भी निर्धारित की जा सकती है.

आयोग डिजिटल रूप से प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने पर विशेष फोकस करेगा. इसके साथ ही कैंडिडेट और समर्थकों को मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा. आयोग का मानना है कि पंपलेट एक हाथ से दूसरे हाथ में जाने से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

हाईकोर्ट जा सकता है आयोग...

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक चुनाव कराने के लिए निर्देश दिए हैं. अगर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव के लिए कम से कम 20 दिन का समय चाहिए तो ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग रविवार को चुनाव कार्यक्रम जारी करता है तो सुप्रीम कोर्ट की जारी गाइडलाइन के अनुसार चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं.

लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए आयोग इस बार ज्यादा से ज्यादा चरणों में चुनाव संपन्न करना चाहेगा. ऐसे में 31 अक्टूबर तक चुनाव पूर्ण रूप से संपन्न नहीं होंगे. इसलिए निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट में गत 31 अक्टूबर की गाइडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग कर सकता है.

जयपुर. राज्य की 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम के चुनाव की तारीखों का एलान रविवार को हो सकता है. निकाय चुनाव को आगे बढ़ाने को लेकर राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज होने के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारी में जुट गया है. राज्य निर्वाचन आयोग सभी तैयारियां पूरी कर रविवार शाम तक चुनाव कार्यक्रम जारी कर सकता है.

रविवार को हो सकता है चुनाव की तारीखों का एलान

शहरी क्षेत्रों में जहां कोरोना संक्रमण के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, ऐसे में इन क्षेत्रों में नगर निगम में शांतिपूर्ण चुनाव कराना राज्य निर्वाचन आयोग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन पंचायत राज संस्थाओं के 3 चरणों के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने के बाद निर्वाचन आयोग इस बात को लेकर काफी सजग है कि पंचायती राज संस्थाओं की तर्ज पर शहरी क्षेत्र के चुनाव की सफलता पूर्वक संपन्न हो सके.

पढ़ें- गहलोत सरकार को 'सुप्रीम' झटका, जोशी बोले- निकाय चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना बड़ी चुनौती

हालांकि, नगर निकाय चुनाव सिंबल पर लड़े जाएंगे और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं प्रचार प्रसार में भी जुटेंगे. ऐसे में कोरोना संक्रमण के दिशा निर्देशों की पालना कराते हुए चुनाव कराना आयोग के लिए चुनौती से कम नहीं है. राज्य निर्वाचन आयोग ने क्षेत्र में चुनाव के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की है.

आयोग ने जारी की गाइडलाइन

  • जिन शहरी निकायों के लिए मतदान होना है, उन निकायों के लिए मतदान के 1 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट केस की सूचना संबंधित आरओ और नियुक्त नोडल स्वास्थ्य अधिकारी को सीएमएचओ उपलब्ध कराएंगे. यह सूचना आयोग निर्वाचन दलों के पीठासीन अधिकारियों को उपलब्ध कराएगा.
  • अगर वोटिंग वाले दिन कोरोना रोगी मतदाता निकाय की सीमा क्षेत्र में है तो संबंधित नोडल स्वास्थ्य अधिकारी उससे मतदान की इच्छा जानने के लिए अधीनस्थ स्वास्थ्य करने को कहेगा. फिर स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस से मतदाता सूची में उसके नाम संबंधी वार्ड संख्या, भाग संख्या और क्रमांक भी लेगा. मतदान की इच्छा जताने पर संबंधित नोडल स्वास्थ्य अधिकारी संबंधित पीठासीन अधिकारी संपर्क कर उसके लिए समय निर्धारित करवाएंगे और फिर से वोटर को सूचित किया जाएगा.
  • ऐसे वोटरों का मतदान सबसे अंत में होगा. ऐसा वोटर स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में चिकित्सा विभाग के प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मतदान कर सकेगा.
  • स्वास्थ्य कर्मी पीठासीन अधिकारी को उस व्यक्ति का मतदाता सूची में नाम, भाग संख्या और अन्य विवरण उपलब्ध कराएगा. उसकी पहचान के लिए पीपीई किट या मास्क नहीं हटाया जाएगा. मतदान अधिकारी इसके अलग से नोट डालकर उसे मतदान की अनुमति देगा.
  • मतदान दलों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे मतदाताओं की उंगली पर स्याही का निशान और मतदाता रजिस्टर में हस्ताक्षर कराने की अनिवार्यता लागू नहीं होगी.
  • अगर केंद्रीय राज्य की गाइडलाइन के अनुसार ऐसा कोरोना अस्पताल या होम आइसोलेशन से नहीं हटाया जा सकता है तो यह आदेश उस पर लागू नहीं होगा और ऐसे मतदाता को निजी और सरकारी अस्पताल या होम आइसोलेशन में मतदान के लिए नहीं लाया जाएगा.
  • इसके साथ ही निकायों के लिए कोरोना के संक्रमित व्यक्तियों के नामांकन दाखिल करने और शहरी निकाय क्षेत्र के दौरान कोरोना के बचाव के अलग से गाइडलाइन जारी की गई है.

निर्वाचन आयोग की जानकार सूत्रों की मानें तो निर्वाचन आयोग रविवार शाम तक 129 नगर निकाय और 6 नगर निगम के कार्यक्रम जारी कर सकता है. इसमें खासतौर से पंपलेट बांटकर प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जा सकती है. साथ ही उनकी संख्या भी निर्धारित की जा सकती है.

आयोग डिजिटल रूप से प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने पर विशेष फोकस करेगा. इसके साथ ही कैंडिडेट और समर्थकों को मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा. आयोग का मानना है कि पंपलेट एक हाथ से दूसरे हाथ में जाने से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

हाईकोर्ट जा सकता है आयोग...

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक चुनाव कराने के लिए निर्देश दिए हैं. अगर राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव के लिए कम से कम 20 दिन का समय चाहिए तो ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग रविवार को चुनाव कार्यक्रम जारी करता है तो सुप्रीम कोर्ट की जारी गाइडलाइन के अनुसार चुनाव संपन्न कराए जा सकते हैं.

लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए आयोग इस बार ज्यादा से ज्यादा चरणों में चुनाव संपन्न करना चाहेगा. ऐसे में 31 अक्टूबर तक चुनाव पूर्ण रूप से संपन्न नहीं होंगे. इसलिए निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट में गत 31 अक्टूबर की गाइडलाइन को आगे बढ़ाने की मांग कर सकता है.

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