जयपुर. कभी जयपुर शहर की प्यास बुझाने वाला जमवारामगढ़ बांध आज खुद पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है. जमवारामगढ़ बांध आज 123 वर्ष का हो गया है. जमवारामगढ़ बांध के 123 वें स्थापना दिवस के अवसर पर रंग बिरंगी रोशनी से सजावट की गई. जमवारामगढ़ समग्र विकास परिषद और रिलाइव जमवारामगढ़ मिशन की ओर से सजावट कर स्थापना दिवस मनाया गया. इस मौके पर लोगों ने जमवारामगढ़ बांध का स्थापना दिवस सेलिब्रेट किया.
जमवारामगढ़ बांध की महाराजा माधोसिंह द्वितीय ने स्थापना करवाई थी. 30 दिसंबर 1897 को जमवारामगढ़ बांध की नींव रखी गई थी. 1903 में जमवारामगढ़ बांध बनकर तैयार हुआ. 1931 से जमवारामगढ़ बांध का पानी जयपुर वासियों की प्यास बुझाने लगा.इसके बाद 1981 में जमवारामगढ़ बांध में एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता आयोजित हुई थी. धीरे-धीरे जमवारामगढ़ बांध देश-विदेश में जाना जाने लगा. दूर-दूर से पर्यटक भी जमवारामगढ़ बांध को देखने के लिए पहुंचने लगे. लेकिन, धीरे-धीरे वर्ष 2005 से बांध सूख गया. करीब 15 साल से जमवारामगढ़ बांध सूखा पड़ा है. कारण है जमवारामगढ़ बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियों के रास्तों में अतिक्रमण.
बारिश का पानी जमवारामगढ़ बांध तक नहीं पहुंच पाता है. जिसके वजह से बांध में पानी नहीं भर पाया. मामले को लेकर न्यायालय ने भी सख्ती दिखाई थी और बांध के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. लेकिन, प्रशासन अतिक्रमण हटाने के नाम पर केवल खानापूर्ति करके रह गया. जमवारामगढ़ बांध में पानी सूखने से आसपास के इलाके में बिजली स्तर नीचे हो गया. पहले बांध से पूरे जमवारामगढ़ क्षेत्र को सिंचाई का पानी मिलता था.
लोगों की मांग है कि जमवारामगढ़ बांध को फिर से जीवित किया जाए. ताकि जयपुर समेत आसपास के इलाकों में लोगों को पानी मिल सके. इससे किसानों को भी काफी फायदा होगा. जमवारामगढ़ बांध में पानी भरने से आसपास का जलस्तर भी ऊपर आएगा. जमवारामगढ़ बांध में मुख्य तौर पर दो नदियों का पानी पहुंचता है. बाणगंगा नदी और रोड़ा नदी जमवारामगढ़ बांध में पानी पहुंचाने वाली नदियां है. लेकिन, इन दोनों नदियों के रास्तों में अतिक्रमण होने की वजह से नदियों का पानी बांध तक नहीं पहुंच पाता है. बहाव क्षेत्र में कई जगह पर रसूखदारों के फार्म हाउस और रिसोर्ट बने हुए हैं. यही वजह है कि जमवारामगढ़ बांध जीवित नहीं हो पाया. जानकारी के मुताबिक, जमवारामगढ़ बांध में पानी लाने की योजना ईआरसीपी योजना कागजों में ही रह गई. रिलाइव जमवारामगढ़ मिशन की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर ईआरसीपीयोजना को मंजूर करने की मांग की गई है.
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जमवारामगढ़, शाहपुरा, आमेर, विराटनगर, कोटपूतली, मनोहरपुर इलाके से बारिश का पानी बाणगंगा नदी में शामिल होकर जमवारामगढ़ बांध तक पहुंचता था. बाणगंगा नदी तक सात नदियां मिलकर पानी पहुंचाती थीं. जिनमें माधोवेनी नदी, लखेर नदी, केदावत नदी, गोमती नदी, रहेल नदी और गुगालिया नदी शामिल है. इन सातों नदियों का पानी बाणगंगा नदी में जाकर मिलता है और बाणगंगा नदी जमवारामगढ़ बांध में पानी पहुंचाती है. लेकिन, अतिक्रमण होने की वजह से पानी रास्ते में ही रुक जाता है.