बीकानेर. कोरोना महामारी के इस दौर में बहुत से ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जो समाज के लिए बेहतर कार्य कर रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं बीकानेर के याकूब भाटी. याकूब भाटी बीकानेर में चाय और अंडा का ठेला लगाते हैं. लेकिन इस महामारी के दौरान याकूब भाटी जैसे आदमी समाज के उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो साधन-संपन्न तो हैं लेकिन उनके पास मानव सेवा का जज्बा नहीं है.
4 महीने पहले याकूब भाटी को शहर में कोई भी नहीं पहचानता था, लेकिन अब शहर के आम नागरिक से लेकर बीकानेर के लगभग सभी सरकारी दफ्तर के कर्मचारी याकूब भाटी को सैनिटाइजर वाले के रूप में पहचानने लगे हैं. बता दें कि याकूब भाटी पिछले 4 महीने से खुद के पैसे से शहर में सैनिटाइजेशन का काम कर रहे हैं.
![Sanitization in Bikaner, Yakub Bhati of Bikaner](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8380058_biakner1.jpg)
याकूब भाटी कंधे पर सोडियम हाइपोक्लोराइट के घोल से भरी टंकी लटकाए और गले में 1 मीटर व्यास वाली रिंग डालकर सुबह होते ही निकल पड़ते हैं. याकूब पिछले 4 महीने से शहर के हर गली-मोहल्ले और सरकारी दफ्तर को लगभग 2 से 3 बार पूरी तरह सैनिटाइज कर चुके हैं.
![Sanitization in Bikaner, Yakub Bhati of Bikaner](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8380058_biakner3.jpg)
पढ़ें- Special: जिंदगी बचाने की जिद...घर-परिवार से दूर कुछ इस तरह फर्ज निभा रहे 'योद्धा'
याकूब का कहना है कि 22 मार्च को कोरोना को लेकर देशभर में खतरे की घंटी बजी थी. उनका कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनकी रोजी-रोटी का साधन चाय की दुकान बंद हो गई. भाटी ने बताया कि एक दिन घर बैठे वह सोचता रहा कि आगे कैसे खुद और परिवार को कोरोना से सुरक्षित रखूंगा. इसके बाद उन्होंने घर बैठने के बजाए लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया और अगले ही दिन मोटरसाइकिल पर कोरोना से बचाव का स्लोगन लिखकर शहर में घूमना शुरू कर दिया.
![Sanitization in Bikaner, Yakub Bhati of Bikaner](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8380058_biakner2.jpg)
परिचित से पुरानी स्प्रे की ढोलकी मांग कर शुरू किया छिड़काव
भाटी ने बताया कि इसके बाद उसे किसी ने बताया कि सोडियम हाइपोक्लोराइट से स्प्रे करने पर कोराना का संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. इसके बाद उन्होंने किसी परिचित से पुरानी स्प्रे की ढोलकी मांगी और सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद मालिक ने ढोलकी वापस ले ली, लेकिन धुन के पक्के याकूब ने पैसे का जुगाड़ कर खुद की ढोलकी खरीद ली और लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के काम में जुट गए, उनका यह काम आज भी जारी है.
एक पेट्रोल पंप संचालक आया आगे...
याकूब भाटी का कहना है कि शहर के घरों-दुकानों के अलावा सभी सरकारी कार्यालयों को सैनिटाइज करने के बाद कलेक्ट्रेट में खड़े वाहनों, बैरिकेट्स और पुलिस के डंडे को सैनिटाइज करता है. लगन के पक्के याकूब की मदद के लिए शहर के एक पेट्रोल पंप संचालक आगे आए ओर उसने एक हजार रुपए का पेट्रोल बाइक में डलवाया.
पढ़ें- SPECIAL: अंजीर की खेती से बदलेगी सरहदी 'धरती पुत्रों' की तकदीर
जिला कलेक्ट्रेट में एडिशनल एसपी के गनमैन टिंकू ने बताया कि आज की इस आपाधापी के समय में ऐसे आदमी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो अपनी जान की परवाह किए बगैर निःस्वार्थ भाव से महामारी के दौर में इस काम में लगे हुए हैं.
बहरहाल, चाय का ठेला लगाने वाले याकूब भाटी जैसे आदमी समाज के उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो साधन-संपन्न तो हैं लेकिन उनके पास मानव सेवा का जज्बा नहीं है. याकूब भाटी जैसे शख्स समाज के लिए किसी प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं हैं. अगर लोग इसी तरह से अपनी भागीदारी निभाते रहे और अपने क्षेत्र के बारे में सोचते रहे तो वहां पर कोरोना तो क्या, कोई भी बीमारी पैर नहीं पसार सकेगी.