बीकानेर. बीकानेर विकास की पटरी पर दौड़ रहा है. ऐसे में यदि आधुनिक बीकानेर के विकास में योगदान की बात की जाए, तो सबसे पहले नाम बीकानेर रियासत के तत्कालीन महाराजा गंगासिंह का आता है. पूर्व महाराजा गंगासिंह 19वीं शताब्दी में बीकानेर रियासत के राजा बने और सबसे लंबे समय तक राज्य को संभाला. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी के साथ हुई संधि को वर्साय की संधि के नाम से जाना जाता है. 28 जून, 1919 को जर्मनी पर अंकुश लगाने के लिए हुई इस संधि में ब्रिटिश हुकूमत के समय भारत की ओर से पूर्व महाराजा गंगासिंह बतौर सलाहकार शामिल हुए. बाद में (Maharaja Ganga Singh signed on Treaty of Versailles) भारत की ओर से संधि पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति रहे.
इस संधि में अंग्रेजी हुकूमत के तत्कालीन विदेश मंत्री एडमिन सैमुअल मांटेग्यू और सत्येंद्र सिन्हा भी साथ रहे. लेकिन पूरी भूमिका में महाराजा गंगासिंह रहे. इतिहासकार और श्रीडूंगरगढ़ के राजकीय कन्या महाविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रशेखर कच्छावा कहते हैं कि वर्साय की संधि में पूर्व महाराजा गंगासिंह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका में थे. लेकिन इस पहलू को देखने से पहले हमें उनके व्यक्तित्व और अंग्रेजी हुकूमत के साथ उनके संबंधों के कारणों पर भी गौर करना होगा. वे कहते हैं कि पूर्व महाराजा गंगासिंह ने जब राज संभाला था, तब वे अल्पायु थे. उस समय अंग्रेज एजेंट उनके साथ रहे और पूर्व महाराजा गंगासिंह की शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज में हुई. 1917 में हुए प्रथम विश्व युद्ध में भी गंगा सिंह ने अपनी फौज के साथ युद्ध में भाग लिया.
स्वायत्तता की उठाई मांग: कच्छावा कहते हैं कि पूर्व महाराजा गंगासिंह दूरद्रष्टा थे. इस बात का प्रमाण उनके किए गए कामों से मिलता है. इसके साथ ही उचित मंच पर उचित बात करने की उनकी सोच कितनी गहरी थी, उसकी एक बानगी 1917 में उनकी लंदन के बारे में देखने को मिलती है और उस वक्त उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के जिम्मेदारों तक इस बात को पहुंचाया कि भारत को स्वायत्तता की जरूरत है. क्योंकि इंग्लैंड में यह स्वायत्तता काफी सालों से चल रही है. इस दौरान उन्होंने भारतीय शासकों, देश की बात कहते हुए तर्क दिया था कि भारत में भी स्वप्रशासन की व्यवस्था होनी चाहिए. कच्छावा कहते हैं कि पूर्व महाराजा गंगासिंह ने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया. भारत ने उसमें ब्रिटिश हुकूमत को आर्थिक सहयोग भी किया और 1919 के बाद अंग्रेजों की भारतीयों के प्रति सोच बदली.
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राष्ट्रसंघ की स्थापना में भी पहले भारतीय राजकुमार: 1919 के प्रथम विश्वयुद्ध के बाद राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई और महत्वपूर्ण बात है कि राष्ट्रसंघ की स्थापना में जिन लोगों के हस्ताक्षर हुए उसमें पूर्व महाराजा गंगासिंह प्रथम भारतीय राजकुमार के रूप में वहां मौजूद रहे और उनके हस्ताक्षर भी उस राष्ट्रसंघ की स्थापना में (Maharaja Ganga Singh हुए. प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी को इसका जिम्मेदार मानते हुए उस पर नियंत्रण और प्रतिबंधों को लेकर मित्र राष्ट्रों ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए और उसे संधि का नाम देकर उसको नियंत्रित किया गया. इतिहास में इसे वर्साय की संधि कहा जाता है.
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शुरू होगी गैलरी: पूर्व महाराजा गंगासिंह से जुड़े कुछ दुर्लभ चित्र ईटीवी भारत को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय की इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मेघना शर्मा ने उपलब्ध करवाए हैं. इसमें वर्साय की संधि का दुर्लभ फोटो भी शामिल है. महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में पूर्व महाराजा गंगा सिंह से जुड़े दस्तावेजों और उनके महत्वपूर्ण कामों को लेकर एक गैलरी शुरू की जा रही है. जहां उनके यह चित्र प्रदर्शित होंगे.