बीकानेर. रक्षाबंधन का पर्व 11 अगस्त यानि आज मनाया जा रहा है. लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का योग है. भद्रा योग को शुभ नहीं माना जाता है. ऐसे में रक्षाबंधन के पूरे दिन भद्रा योग होने से राखी बांधने के मुहूर्त को लेकर (Raksha Bandhan 2022 muhurat time) हो रही भ्रांतियों के बीच ईटीवी भारत ने ज्योतिष और धर्म शास्त्र से जुड़े लोगों से रक्षाबंधन के मुहूर्त को लेकर बातचीत की.
पंडित नथमल पुरोहित का कहना है कि रक्षाबंधन के दिन 2:48 बजे तक राखी बांधी जा सकती है. क्योंकि भद्रा योग भले ही हो, लेकिन उस वक्त तक बजरा पाताललोक में रहेगी और 2 बजकर 48 मिनट पर भद्रा पृथ्वीलोक पर वास (Raksha Bandhan 2022 Bhadra Kaal) करेगी. पुरोहित का कहना है कि मकर राशि के चंद्रमा में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है, लेकिन कुंभ राशि में चंद्रमा के साथ भद्रा पृथ्वी लोक पर वास करेगी. ऐसे में 2 बजकर 38 मिनट के बाद रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाना चाहिए.
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वहीं पंडित राजेंद्र किराडू का कहना है कि हमारे धर्म शास्त्रों में भद्रा को हर काम में वर्जित बताया है. इसमें विशेष रूप से होलिका दहन और रक्षाबंधन शामिल है. वे कहते हैं कि इस बार रक्षाबंधन के दिन चतुर्दशी तिथि घटित हो रही है और सुबह 10:38 से पूर्णिमा तिथि शुरू होगी. किराडू का कहना है कि शास्त्रों में इस बात का साफ उल्लेख है कि पर्व के दिन या अन्य किसी शुभ कार्य की करने के दिन भद्रा का योग आ रहा है, तो मध्यान्ह के पश्चात उसका शुभ फल शुरू हो जाता है. क्योंकि शास्त्रों में परिहार और अपवाद अध्याय है और उसके मुताबिक मध्यान्ह के बाद भद्रा का शुभ फल प्राप्त होना शुरू हो जाता है. ऐसे में रक्षाबंधन का पर्व 11.30 बजे बाद मनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा सुबह 10:38 से रात्रि 8.52 तक रहेगी. ऐसे में रक्षाबंधन का पूरा दिन भद्रा का योग है. लेकिन जिस तरह की भ्रांतिया चल रही हैं वह पूरी तरह से गलत हैं.
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वहीं ज्योतिषाचार्य अविनाशचंद्र व्यास कहते हैं कि पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन के दिन कई बार ऐसा योग आता है, जब पूरे दिन भद्रा होती है. ऐसी स्थिति में शास्त्रों को देख कर उनके मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व मनाना चाहिए. व्यास कहते हैं कि हमारे पौराणिक शास्त्र धर्मसिंधु में इस बात का जिक्र है कि न्यूनतम तीन मुहूर्त की पूर्णिमा में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है, जो कि भद्रा के योग से मुक्त हो. वे कहते हैं कि 12 अगस्त को सूर्योदय के साथ पूर्णिमा तिथि है, लेकिन वह तीन मुहूर्त की नहीं हैं. ऐसे में रक्षाबंधन की 11 अगस्त को ही मनाया (Raksha Bandhan 2022 date) जाएगा. वे कहते हैं कि भद्रा का योग इस बार भले ही रक्षाबंधन के दिन हो, लेकिन भद्रा का इस बार पृथ्वी पर वास पर नहीं है. ऐसे में इसका दोष नहीं है और प्रदोष काल यानि कि सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद कुल डेढ़ घण्टे में अगर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है, तो वह और बेहतर है क्योंकि उस वक्त प्रदोष काल होता है.