बीकानेर. रीट परीक्षा के दौरान बीकानेर में चप्पल में डिवाइस (device in slippers) लगाकर अभ्यर्थियों को नकल कराने के गिरोह (reet exam copying gang) का भंडाफोड़ हुआ था. करीब 40 दिन के अंतराल में पुलिस ने नकल कराने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड तुलसाराम कालेर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. डिवाइस लगी चप्पल बी.टेक इंजीनियर के खुराफाती दिमाग की उपज थी.
मास्टरमाइंड तुलसाराम कालेर (reet mastermind tulsaram kaler) की एक पूरी टीम थी. जो उसके लिए ऐसे अभ्यर्थियों को तलाश करते थे जो नकल के जरिए पास होना चाहते हैं और इसके बदले बड़ी रकम देने को तैयार हैं. पुलिस ने निजी स्कूल में बनाए गए परीक्षा केंद्रों के संचालक को भी गिरफ्तार किया है. इस संचालक के जरिए पेपर को आउट करने का प्लान था. इस मामले में पुलिस ने बीकानेर के गंगाशहर थाना के अलावा जयनारायण व्यास कॉलोनी के साथ ही अजमेर, जालौर और अन्य जिलों में भी मुकदमा दर्ज किया.
बीकानेर के नए पुलिस अधीक्षक योगेश यादव के पदभार संभालने के बाद पुलिस इस मामले में और एक्टिव हुई. कालेर को गंगाशहर थाना पुलिस और स्पेशल टीम ने जयपुर से गिरफ्तार किया. कालेर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अब तक कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. रीट नकल मामले को लेकर पुलिस पहले से सजग थी. इसी वजह से पुलिस ने रीट परीक्षा के दिन ही इस गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया था और मुख्य सरगना तुलसाराम कालेर को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. गंगाशहर थानाधिकारी रानी दान चारण कहते हैं कि अब पुलिस ने कालेर और उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है. अब वे भविष्य में नकल कराने के बारे में सोचेंगे भी नहीं.
बी.टेक इंजीनियर है सप्लायर
रीट परीक्षा में जिन खास चप्पलों जिसके जरिए चीटिंग कराने का प्लान था उनका सप्लायर दिल्ली का एक युवक है. पुलिस ने दिल्ली से चप्पल सप्लायर सुरेंद्र धारीवाल को गिरफ्तार कर लिया. सुरेंद्र ने ही पूरे नेटवर्क का खुलासा किया. चीटिंग के जरिए लोगों को पास करवाने का उपकरण बनाने वाला सुरेंद्र धारीवाल खुद पेशे से इंजीनियर है. जांच में पता चला कि 2011 में सुरेंद्र ने दिल्ली के एक यूनिवर्सिटी से बीटेक किया था. आरोपी सुरेंद्र दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर के पास नजफगढ़ का रहने वाला है और वर्तमान में दिल्ली के जनकपुरी इलाके में रहता है.
इंटरनेट के जरिए आया संपर्क में
गंगाशहर थानाधिकारी रानी दान चारण ने बताया कि पुलिस की कालेर और सुरेंद्र से पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि अगस्त में ही कालेर और सुरेंद्र धारीवाल के बीच सम्पर्क हुआ था. कालेर पहले भी नकल कराने के मामले में गिरफ्तार हो चुका था. ऐसे में उसे किसी ऐसे आदमी की तलाश थी जो किसी नए तरीके से नकल कराने के उपकरण बना सके. सुरेंद्र ने इंटरनेट पर अपने नंबर और अपने काम के बारे में जानकारी दी हुई थी जिस पर कालेर ने उससे संपर्क किया.
सुरेंद्र ने दिया चप्पल का आइडिया
कालेर ने अगस्त में सुरेंद्र से संपर्क किया और इस दौरान उसे अपनी योजना बताई. सुरेंद्र ने उसे चप्पल का आईडिया दिया और प्रयोग के तौर पर एक चप्पल भी दी. इसके बाद कालेर ने इसे बेहतर मानते हुए सुरेंद्र को और डिवाइस वाली चप्पलों का ऑर्डर दिया और प्रति चप्पल 30 से 40 हजार में सौदा तय हुआ. डिवाइस लगी चप्पल को कालेर और सुरेंद्र ने बाकायदा मेटल डिटेक्टर से पूरी तरह से चेक किया. दरअसल कालेर खुद पुलिस में रह चुका है, ऐसे में उसे पुलिस के तौर तरीकों की जानकारी है. नकल को रोकने को लेकर पुलिस की सक्रियता और सख्ती को ध्यान में रखते हुए उसने बाकायदा मेटल डिटेक्टर से चप्पल और डिवाइस ब्लूटूथ को चेक किया. इस तरह आश्वस्त होने पर ही उसने और चप्पलों का आर्डर दिया था.
चेक, मोबाइल और मेटल डिटेक्टर भी बरामद
पुलिस ने कालेर की गिरफ्तारी के बाद उससे मोबाइल, चेक और मेटल डिटेक्टर भी बरामद किया है. इस पूरे मामले में अब गंगाशहर थाना पुलिस ने कालेर और उसके सहयोगियों की रिमांड के दौरान पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश किया है. जहां कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. वहां से अब आगे कालेर के खिलाफ दर्ज मुकदमों में संबंधित थाना पुलिस उसे आगे पूछताछ के लिए जेल से ले जा सकती है. हालांकि गंगाशहर थाना पुलिस ने कालेर की गिरफ्तारी के बाद उससे करीब 46 जोड़ी डिवाइस लगी चप्पल और 34 मोबाइल फोन के साथ ही मोबाइल चार्जर, डिवाइस चार्जर और अन्य सामान के साथ ही एक मेटल डिटेक्टर भी बरामद कर लिया है.
अब मोबाइल से कड़ी जोड़ने की तैयारी
इस मामले में पुलिस अब कालेर के पास मिले मोबाइल के सिम के आधार पर उन लोगों तक भी पहुंचने का प्रयास कर रही है, जिनके ये मोबाइल हैं. क्योंकि वे लोग ही नकल करने के लिए कालेर से मिले थे. ऐसे में अब पुलिस की जांच में इस कड़ी को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
कुल मिलाकर इस पूरे मामले में नकल कराने की साजिश रचने वाले तुलसाराम कालेर को मास्टरमाइंड कहा जा सकता है तो नकल के लिए डिवाइस लगी चप्पल बनाने वाले इंजीनियर सुरेंद्र धारीवाल को भी इस खेल का मास्टरमाइंड कह सकते हैं.