भीलवाड़ा. डिजिटल और सोशल मीडिया के युग का प्रभाव हर व्यापार पर नजर आने लगा है. सामान खरीदने से लेकर डॉक्टर से सलाह लेने तक हर काम आज के समय में ऑनलाइन हो रहा है. इंटरनेट के दौर में सोशल मीडिया के कारण छोटी सी सूचना तुरंत हर जगह पहुंच जाती है. सामानों की खरीद बिक्री के साथ साथ अब चुनावी प्रचार भी ऑनलाइन होने लगा है. जिसका असर चुनाव प्रचार सामग्री बेचने वालों पर नजर आ रहा है.
चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने वाले पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य सोशल मीडिया के जरिए ही अपने अपने समर्थन में मतदान की अपील कर रहे हैं. प्रतिदिन उनके समर्थक अपने प्रत्याशी के समर्थन में सोशल मीडिया पर व्हाट्सएप और फेसबुक पर पोस्ट डालते हैं. जिस भी पार्टी से प्रत्याशी चुनाव मैदान में होता है उनका बैनर व पोस्टर भी सोशल मीडिया पर बना कर भेजते हैं. जिसके कारण चुनाव सामग्री बेचने वाले लोगों के व्यापार पर संकट आ गया है.
भीलवाड़ा में हो रहे पंचायती राज चुनावों में प्रचार का सामान बेचने के लिए देश के अन्य राज्यों से काफी संख्या में व्यापारी जिले में पहुंचे हैं. व्यापारियों के पास पंचायती राज चुनाव में प्रमुख पार्टियों के पोस्टर, बैनर, झंडे, मफलर टोपी आदी है. लेकिन इस बार इनका धंधा काफी प्रभावित हुआ है. जिसमें कोरोना संक्रमण और सोशल मीडिया पर प्रचार मुख्य कारण हैं. इनके माल की खपत पीछले साल के अपेक्षाकृत आधी भी नहीं हुई है.
ऑनलाइन प्रचार और सोशल मीडिया मुख्य कारक
चुनाव प्रचार सामग्री की बिक्री में आने वाली कमी का मुख्य कारण ऑनलाइन प्रचार है. इस डिजिटल समय में लगभग हर किसी के पास स्मार्ट फोन है. अधिकांश लोग इंटरनेट के जरिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से जुड़े हुए हैं. ऐसें में चुनाव प्रचार भी सोशल मीडिया पर ही हो रहा है. प्रत्याशी और पार्टियां ऑनलाइन भी प्रचार कर रही हैं. जिस कारण चुनाव प्रचार के लिए उपयोग में लिए जाने वाले सामानों की बिक्री में कमी आई है.
कोरोना गाइडलाइन का भी पड़ा है असर
कोरोना संक्रमण को देखते हुए चुनाव प्रचार को लेकर गाइडलाइन जारी किए गए हैं. जिसके तहत प्रचार में बहुत अधिक भीड़ एकत्रित नहीं करना है. साथ ही कई अन्य शर्तें भी हैं. ऐसे में प्रत्याशी पूर्णत प्रचार नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें प्रचार सामग्री की भी पहले से कम जरूरत पड़ रही है. जिसका खामियाजा प्रचार सामग्री बेचने वालों को भुगतना पड़ता है.
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उत्तर प्रदेश से चुनाव प्रचार सामग्री बेचने आए महबूब आलम ने बताया कि वह 10 वर्ष से यह काम कर रहे हैं. आलम ने बताया कि पहले चुनाव सामग्री अच्छी बिकती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद यह पहला चुनाव है. प्रशासन की ओर से चुनाव प्रचार में भीड़ एकत्रित करने की अनुमति नहीं दी गई है. इसलिए चुनाव सामग्री कम बिक रही है. साथ ही सोशल मीडिया पर भी पार्टियां अपने प्रत्याशियों का प्रचार करती हैं. इसलिए भी उनका सामान कम बिक रहा है. वर्तमान में प्रचार सामग्री की बिक्री में 60 प्रतिशत कमी आ गई है.
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वहीं चुनाव में प्रचार कर रहे कांग्रेस नेता मनीष मेवाड़ा ने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया का युग है. इस पंचायती राज चुनाव में सभी सदस्य सोशल मीडिया के जरिए भी अपने पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. हर छोटी से बड़ी सूचना सोशल मीडिया के जरिए प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुंच जाती है. जिससे चुनाव लड़ने के प्रत्याशियों को काफी फायदा मिलता है.
सोशल मीडिया और कोरोना संक्रमण के कारण चुनावी सामग्री बेचने वाले व्यापारियों के सामने भी बड़ी खड़ी हो गई है. उनका माल नहीं बिक रहा. ऐसे में इस कोरोना काल में उनका रोजगार भी खतरे में आ गया है.