ETV Bharat / city

मजबूरी इसी का नाम है...खेत में बिखरे दानों को चुनकर बुझा रहे पेट की आग - सभी मजदूर हो रहे परेशान

भीलवाड़ा में जिले के मजदूर खेत खलिहानो से एक-एक दाना बीन कर उन दाने में से 2 जून की रोटी तलाश रहे हैं. कोरोना पर विजय प्राप्त करने वाले भीलवाड़ा शहर में तमाम कोरोना मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लॉकडाउन के चलते जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है.

Bhilwara news, भीलवाड़ा की खबर
दाने को बीनकर तलाश रहे हैं दो जून की रोटी
author img

By

Published : Apr 18, 2020, 9:15 PM IST

भीलवाड़ा. बेबसी और लाचारी की इससे बड़ी और कोई तस्वीर नहीं होगी. जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा है और कई गरीब परिवार ऐसे है जो दो वक्त की रोटी के मोहताज है. एक ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में. जहां के गरीब लोग खेतो में से उन दानो को चुन रहे है जिसे फसल की कटाई के बाद चिड़ियों के लिए छोड़ दिया जाता है. मगर आज नौबत यह आ गई है कि इन लोगों को उन बेजुबान पक्षियों के हिस्से का खाना उनसे छिनना पड़ रहा है.

दाने को बीनकर तलाश रहे हैं दो जून की रोटी

देशभर में कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन है. वहीं वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में 20 मार्च से कर्फ्यू लगा हुआ है. जिसकी वजह से जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई है. जिले के मजदूर खेत खलिहानो से एक-एक दाना बीन कर उन दाने में से 2 जून की रोटी तलाश रहे हैं. कोरोना पर विजय प्राप्त करने वाले भीलवाड़ा शहर में तमाम कोरोना मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लॉकडाउन के चलते जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है.

पढ़ेंः COVID-19 विशेषः कोरोना के जद में कैसे फंसता गया राजस्थान...देश में बन गया चौथा संक्रमित राज्य

ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग अजमेर और उदयपुर का दौरा किया. जहां हाइवे के किनारे चने की फसल समेटने के बाद खेत में कुछ चने के दाने बिखरे रहते हैं. उनको समेटने में अब मजबूर मजदूर जुटे हुए हैं. जहां जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयों और कमठाना मजदूर सहित अन्य प्रदेश में काम करने वाले युवा भी जो अपने घर आए हुए हैं वह भी अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए एक-एक दाना बिनते हुए दिखे.

पढ़ेंः धौलपुर: लॉकडाउन की अवहेलना पर पुलिस ने 25 लोगों को हिरासत में लिया, बाइक भी किए जब्त

खलिहान में एक-एक दाना बिन रहे मजदूर चाहे गंगाबाई हो या कमला देवी चाहे सुनीता हो या नानूराम सभी ने एक ही स्वर में कहा है कि जब से कोरोना की शुरुआत हुई है तब से हमारे पास ना हमें किसी मकान बनाने के कमठाने पर काम नही मिल रहा. मजदूर बताते है कि हम परिवार को पालने के लिए फसल समेटने के बाद खेत में जो एक-एक दाना बिखरा रहता है उनको सुबह से शाम तक बिनते हैं और उस दाने को तैयार करके शाम को दुकान पर बेचकर कर खाना बनाने का सामान लाते है. ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए महिलाओं ने कहा कि हम सभी ग्रामीण महिलाएं हैं शादी के बाद घुंघट ही हमारा मास्क है. हम यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि लोक डाउन खत्म होने के बाद इन मजदूरों के लिए केंद्र और राज्य सरकार क्या फैसला लेती है जिससे यह मजबूर नहीं रहे.

भीलवाड़ा. बेबसी और लाचारी की इससे बड़ी और कोई तस्वीर नहीं होगी. जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा है और कई गरीब परिवार ऐसे है जो दो वक्त की रोटी के मोहताज है. एक ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में. जहां के गरीब लोग खेतो में से उन दानो को चुन रहे है जिसे फसल की कटाई के बाद चिड़ियों के लिए छोड़ दिया जाता है. मगर आज नौबत यह आ गई है कि इन लोगों को उन बेजुबान पक्षियों के हिस्से का खाना उनसे छिनना पड़ रहा है.

दाने को बीनकर तलाश रहे हैं दो जून की रोटी

देशभर में कोरोना महामारी से निपटने के लिए लॉकडाउन है. वहीं वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा शहर में 20 मार्च से कर्फ्यू लगा हुआ है. जिसकी वजह से जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद हो गई है. जिले के मजदूर खेत खलिहानो से एक-एक दाना बीन कर उन दाने में से 2 जून की रोटी तलाश रहे हैं. कोरोना पर विजय प्राप्त करने वाले भीलवाड़ा शहर में तमाम कोरोना मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लॉकडाउन के चलते जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद है.

पढ़ेंः COVID-19 विशेषः कोरोना के जद में कैसे फंसता गया राजस्थान...देश में बन गया चौथा संक्रमित राज्य

ईटीवी भारत की टीम ने भीलवाड़ा जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग अजमेर और उदयपुर का दौरा किया. जहां हाइवे के किनारे चने की फसल समेटने के बाद खेत में कुछ चने के दाने बिखरे रहते हैं. उनको समेटने में अब मजबूर मजदूर जुटे हुए हैं. जहां जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयों और कमठाना मजदूर सहित अन्य प्रदेश में काम करने वाले युवा भी जो अपने घर आए हुए हैं वह भी अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए एक-एक दाना बिनते हुए दिखे.

पढ़ेंः धौलपुर: लॉकडाउन की अवहेलना पर पुलिस ने 25 लोगों को हिरासत में लिया, बाइक भी किए जब्त

खलिहान में एक-एक दाना बिन रहे मजदूर चाहे गंगाबाई हो या कमला देवी चाहे सुनीता हो या नानूराम सभी ने एक ही स्वर में कहा है कि जब से कोरोना की शुरुआत हुई है तब से हमारे पास ना हमें किसी मकान बनाने के कमठाने पर काम नही मिल रहा. मजदूर बताते है कि हम परिवार को पालने के लिए फसल समेटने के बाद खेत में जो एक-एक दाना बिखरा रहता है उनको सुबह से शाम तक बिनते हैं और उस दाने को तैयार करके शाम को दुकान पर बेचकर कर खाना बनाने का सामान लाते है. ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए महिलाओं ने कहा कि हम सभी ग्रामीण महिलाएं हैं शादी के बाद घुंघट ही हमारा मास्क है. हम यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि लोक डाउन खत्म होने के बाद इन मजदूरों के लिए केंद्र और राज्य सरकार क्या फैसला लेती है जिससे यह मजबूर नहीं रहे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.