भीलवाड़ा. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस जैसी बीमारी से भीलवाड़ा भी अछूता नहीं रहा है. प्रदेश में सबसे पहले और सबसे लंबा कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन भीलवाड़ा में ही लगा. प्रदेश में सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा से हुई थी. इसके साथ ही विद्यालयों में भी शैक्षणिक गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप हो गई. लेकिन करीब 11 महीनों के बाद अब सरकारी गाइडलाइन के साथ स्कूल खोल दिए गए हैं.
यहां विद्यालयों में कोरोना गाइडलाइन के साथ बच्चों को स्कूल में प्रवेश दे दिया गया लेकिन सामाजिक दूरी की पालना करवाना विद्यालय प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. वहीं अभिभावकों के मन में अभी भी यह चिंता है कि उनका बच्चा क्या स्कूल जाने के बाद कोरोना संक्रमण से सुरक्षित है. इसको लेकर सरकारी स्कूल प्रशासन की ओर से क्या इंतजाम किए गए हैं.
दरअसल 18 जनवरी से कक्षा 9 से 12 तक की नियमित क्लास सरकारी गाइडलाइन के अनुसार शुरू हो गई जिसमें भीलवाड़ा जिले के 574 विद्यालय के 106468 छात्र-छात्राएं स्कूल आए तो वहीं दूसरी तरफ 8 फरवरी से सरकारी गाइडलाइन के साथ कक्षा 6 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए भी विद्यालय खोल दिए गए हैं. इसमें जिले भर के 572 विद्यालयों में कक्षा 6 के 15285 और कक्षा 7 के 14796 और कक्षा 8 के 18996 छात्र-छात्राएं स्कूल पहुंचे.
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ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय राजेंद्र मार्ग के प्रधानाचार्य श्याम लाल खटीक ने कहा कि प्रदेश में सबसे पहले कोरोना की शुरुआत भीलवाड़ा में हुई. इसके पश्चात प्रदेश के साथ ही भीलवाड़ा में 13 मार्च को स्कूल बंद कर दिए गए थे. हालांकि लॉकडाउन के दिनों ऑनलाइन पढ़ाई हो रही थी लेकिन स्कूल में पढ़ाई को लेकर बच्चे काफी उत्साहित थे. स्कूल प्रबंधन ने भी सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखा है. स्कूल में आने वाले छात्र-छात्राओं को सरकारी गाइडलाइन के तहत स्कूल में प्रवेश किया जा रहा है. स्कूल के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाने के लिए चॉक से गोले भी बनाए गए हैं और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद हाथों को सैनिटाइज करवाने के बाद स्कूल में प्रवेश दिया जा रहा है.
मेडिकल वैन भी मंगवाई
वहीं स्कूल परिसर में कोरोना का खतरा नहीं है. हमने जिला स्वास्थ्य विभाग से बात कर एक मेडिकल वैन को भी स्कूल में बुलाया है जिसमें शिक्षक और छात्र छात्राओं सभी की कोविड 19 जांच करवाई गई. वहीं सामाजिक दूरी के कक्षा कक्ष में पालना हो उसके लिए गाइडलाइन के अनुसार 50% ही बच्चों को बुलाया जा रहा है. स्कूली शैक्षणिक गतिविधि दो चरण में चलाई जा रही है जिसमें 50% बच्चों को पहले और 50% बच्चों को बाद स्कूल में बुलाकर पढ़ाया जा रहा है.
टिफिन व अन्य वस्तुएं शेयर करने पर रोक
वहीं सरकारी गाइड लाइन के अनुसार क्लास टीचर हमेशा छात्र-छात्राओं के सामने रहकर इस बात का ध्यान रखते हैं कि कोई गाइडलाइन की अवहेलना न करे. इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को पेन, पेंसिल, रबड़ और खाद्य सामग्री का आदान प्रदान करने के लिए भी सख्त मना किया गया है. स्कूल में बच्चों पर शारीरिक और मानसिक रूप पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़े इसको लेकर स्कूल में 6 पीरियड चलाए जा रहे हैं जिसमें पहले पीरियड में गणित, दूसरे पीरियड में कला संस्कृति जैसे सब्जेक्ट पढ़ाए जा रहे जिससे बच्चों पर मानसिक रूप पर प्रभाव नहीं पड़े.
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वहीं दूसरी तरफ विद्यालय के शारीरिक शिक्षक केसरीमल खटीक ने कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए स्कूल में पढ़ाई के साथ ही छात्र-छात्राओं को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के बारे में भी बताया जा रहा है. इसमें रोजाना व्यायाम करना और पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाना जैसी जानकारी दी जा रही है. स्कूल प्रशासन की ओर से छात्र छात्राओं को दी गई गाइडलाइन पर शिक्षक अमीन खान ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद भीलवाड़ा में स्कूलों को खोल लिया गया है जिसको लेकर छात्र-छात्राओं में एक अलग ही उत्साह है.
एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने की हिदायत
वहीं स्कूल प्रशासन के लिए भी एक बड़ा चैलेंज है कि स्कूल परिसर में कोरोना के खतरे को किस तरह कम किया जा सके. शिक्षकों की ओर से छात्र-छात्राओं से समझाइश कर कहा गया कि सभी छात्र एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखें. पहले की तरह दोस्तों से आपस में हाथ ना मिलाए, टिफिन शेयर नहीं करें, पानी की बोतल भी घर से लाएं. यदि किसी छात्र या छात्रा की तबीयत खराब है तो उन्हें स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जाता है.
वहीं राज्य सरकार की ओर से दिए गए स्माइल कंटेंट के साथ अलग-अलग प्रोजेक्ट के साथ छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ाई भी करवाई जा रही है, जिसमें विभिन्न विषयों पर उन्हें जानकारी दी जा रही है और उसके बाद क्लास रूम में ऑफलाइन होने सब्जेक्ट्स के बारे में पढ़ाया जा रहा है. बच्चों में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए शिक्षक हमेशा क्लास के दौरान छात्र-छात्राओं के साथ रहकर कोरोना की जानकारी देते हुए इस बात की निगरानी रखेंगे कि कोई बच्चा कोरोना की गाइडलाइन की अवहेलना नहीं करें इसके साथ ही बच्चों को स्कूल में ही नहीं घर में भी इसकी पालना करवाने के लिए शिक्षकों द्वारा जानकारी दी जा रही है.
वहीं अभिभावक रेखा पारीक और अंजना त्रिवेदी का कहना है कि विद्यालयों में शिक्षण गतिविधि शुरू होने से पहले स्कूल प्रशासन और अभिभावकों की बैठक की गई थी जिसमें स्कूल प्रशासन की ओर से हमें संतुष्ट किया गया था कि विद्यालय में आने वाले छात्र-छात्राओं कोरोना से सुरक्षित रहेंगे. वहीं स्कूल में अभिभावक की ओर से दिए गए अनुमति पत्र के बाद ही बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा.
विद्यालय के छात्र ने कहा कि लंबे समय बाद हमें विद्यालय में आ कर काफी खुशी महसूस हो रही है. स्कूल में सैनिटाइजर छात्राओं को मास्क पहनाना अनिवार्य होने के साथ थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है. स्कूल से हमें गाइड लाइन मिली है कि कोई भी विद्यार्थी अपने किसी सहपाठी के साथ लंच बॉक्स या फिर कॉपी-पेंसिल आदि सामग्री शेयर नहीं करेगा. ऑनलाइन क्लास में भी कुछ मुश्किल प्रश्न और सवाल होते थे जो आसानी से समझ नहीं आते थे मगर अब स्कूल आने पर ठीक से पढ़ाई हो सकेगी.