भरतपुर. हाईकोर्ट ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है लेकिन फिर भी बाजारों में इसका प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. छोटे-बड़े सभी दुकानदार इसका प्रयोग कर रहे हैं. पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने के लिए सरकार लोगों को जागरूक कर रही है. प्रदेश के कई संगठन तरह-तरह से लोगों को प्लास्टिक इस्तेमाल न करने की अपील भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में भरतपुर की एक संस्था ऐसी भी है जो न केवल लोगों को पॉलीथिन के इस्तेमाल बंद करने के लिए जागरूक (Swastha Mandir campaign against polythene) कर रही है, बल्कि उनको विकल्प के तौर पर कपड़े के बैग तैयार कर निशुल्क उपलब्ध करा रही है.
संस्था ने अपनी इस अनूठी मुहिम के तहत न केवल भरतपुर बल्कि उत्तराखंड के हरिद्वार की भी कई संस्थाओं को कपड़े के बैग उपलब्ध कराए हैं. इतना ही नहीं, बीते दो साल में संस्था कपड़े के बैग तैयार कर 60 हजार लोगों को निशुल्क वितरित (Swastha Mandir distributed 60 thousand cloth bags) कर चुकी है. संस्था की जागरूकता की यह मुहिम आज भी जारी है.
इस तरह शुरू की मुहिम
सामाजिक संगठन स्वास्थ्य मंदिर संस्था के डॉ. दिगंबर सिंह (Swastha Mandir organization bharatpur) ने बताया कि कोरोना काल में संस्था की ओर से शहर के जरूरतमंद लोगों को घर-घर जाकर निशुल्क अनाज, आटा, दाल आदि वितरित कर रहे थे. उसी दौरान देखा गया कि लोग जगह-जगह घरों के आसपास पॉलीथिन जला देते थे. इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है. कचरे में पड़ी पॉलीथिन को गाय और आवारा पशु खा जाते हैं जिससे उनकी मौत भी हो जाती है.
डॉ. दिगंबर सिंह ने बताया कि सारे हालात देखने के बाद विचार आया कि क्यों न लोगों को पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद करने के लिए जागरूक किया जाए. इसी सोच के साथ जब लोगों को घरेलू सामग्री देने जाते तो उन्हें पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए जागरूक (Swastha Mandir appeal to stop using polythene) करते. लोगों का यह भी कहना था कि पॉलीथिन बंद कर देंगे तो घर का सामान कैसे लाएंगे. इसके लिए विकल्प निकाला कि हम लोगों को कपड़े के बैग तैयार कर निशुल्क उपलब्ध कराएंगे.
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हर दिन 600 बैग तैयार किए
डॉ. दिगंबर ने बताया कि कपड़े के बैग तैयार करने के लिए संस्था ने लोगों के घरों से पुराने कपड़े जुटाए. कई दुकानदारों से भी पुराने कपड़े इकट्ठे किए और दो महिलाओं को बैग तैयार करने के लिए काम पर लगाया. उसके बाद हर दिन करीब 600 बैग तैयार किए और गरीब जरूरतमंद लोगों को निशुल्क उपलब्ध कराए. संस्था बीते दो साल में करीब 60 हजार कपड़े के बैग निशुल्क वितरित कर चुकी है.
इनमें ठेला वाले, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब परिवार, स्वास्थ्य मंदिर के स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को कपड़े के बैग वितरित किए गए हैं. इसके साथ ही हरिद्वार की कई संस्थाओं को करीब 15 हजार बैग पहुंचाए गए हैं. संस्था के डॉ. दिगंबर सिंह ने बताया कि चार प्रकार के कपड़े के बैग तैयार किए जा रहे हैं. इनमें 1 किलो, 5, 10 और 20 किलो क्षमता के बैग तैयार किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह मुहिम आगे भी जारी रहेगी और प्रयास रहेगा कि भरतपुर के लोग पूरी तरह से पॉलीथिन का इस्तेमाल बंद कर कपड़े के बैग का प्रयोग शुरू कर दें.