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मिसाल : मुश्किल हालातों का सामना कर रवीना ने परीक्षा में प्राप्त किए 97.20 प्रतिशत अंक

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Published : Aug 10, 2020, 2:44 PM IST

भरतपुर में एक बालिका ने अपनी शारीरिक कमजोरी को अपनी ढाल बनाते हुए एक मिसाल पेश की है. दिव्यांग रवीना ने इस बार की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सीनियर सेकेंडरी डीफ एंड डम्ब और सीडब्ल्यूएसएन (मूक-बधिर एवं चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड) परीक्षा में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.

दिव्यांग रवीना ने पेश की मिशाल, Divyang presented the missal
दिव्यांग रवीना ने पेश की मिशाल

भरतपुर. कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज्बा हो तो लाख बाधाओं के बावजूद वो अपना लक्ष्य हासिल कर ही लेता है. जिले के बयाना क्षेत्र के गांव नगला चिम्मन निवासी दिव्यांग रवीना गुर्जर ने भी कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है.

रवीना ने पेश की मिसाल

रवीना अपनी शारीरिक कमजोरियों को मात देकर हर दिन 3 किलोमीटर का सफर तय करके सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाती और इस बार की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सीनियर सेकेंडरी डीफ एंड डम्ब और सीडब्ल्यूएसएन (मूक-बधिर एवं चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड) परीक्षा में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.

पढ़ेंःLIVE : सीएम आज लौटेंगे जयपुर, SC में मदन दिलावर की SLP पर आज हो सकती है सुनवाई

रवीना के पिता ओम प्रकाश गुर्जर ने बताया कि उनकी बेटी पैर से दिव्यांग है, लेकिन पढ़ाई के प्रति उसकी लग्न इतनी है कि वह गांव से 3 किलोमीटर दूर हर दिन सफर तय करके कनावर गांव स्थित सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाती है.

बेटी रवीना को कई बार बोला कि उसका एडमिशन किसी प्राइवेट स्कूल में करवा देते हैं, लेकिन उसने सरकारी स्कूल में ही पढ़ने की ठान रखी थी. पिता ओमप्रकाश ने बताया कि उनके सोने के बाद तक बेटी रवीना पढ़ती रहती और उनके जागने से पहले ही जाग जाती. उसकी लगन का ही नतीजा है कि उसने परीक्षा में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं और परिवार और गांव का नाम रोशन किया है.

प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है रवीना...

रवीना गुर्जर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों और गुरुजनों को देते हुए बताया कि वह भविष्य में प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है. जिससे वह समाज की सेवा कर सके. उसने समाज से अपील की कि सभी लोग अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दें और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.

पढ़ेंः प्रदेश में 1,169 नए पॉजिटिव केस, 11 मरीजों की मौत, कुल आंकड़ा 52,497

हिंदी साहित्य में 100 में से 100 अंक...

हिंदी साहित्य जैसे विषय को कठिन विषय माना जाता है, लेकिन रवीना ने इस परीक्षा में हिंदी अनिवार्य, हिंदी साहित्य और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों में 100 में से 100 अंक अर्जित किए हैं, जो कि अन्य विद्यार्थियों के लिए एक मिसाल है.

भरतपुर. कहते हैं अगर इंसान के मन में कुछ करने का जज्बा हो तो लाख बाधाओं के बावजूद वो अपना लक्ष्य हासिल कर ही लेता है. जिले के बयाना क्षेत्र के गांव नगला चिम्मन निवासी दिव्यांग रवीना गुर्जर ने भी कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है.

रवीना ने पेश की मिसाल

रवीना अपनी शारीरिक कमजोरियों को मात देकर हर दिन 3 किलोमीटर का सफर तय करके सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाती और इस बार की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की सीनियर सेकेंडरी डीफ एंड डम्ब और सीडब्ल्यूएसएन (मूक-बधिर एवं चिल्ड्रन विद स्पेशल नीड) परीक्षा में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.

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रवीना के पिता ओम प्रकाश गुर्जर ने बताया कि उनकी बेटी पैर से दिव्यांग है, लेकिन पढ़ाई के प्रति उसकी लग्न इतनी है कि वह गांव से 3 किलोमीटर दूर हर दिन सफर तय करके कनावर गांव स्थित सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाती है.

बेटी रवीना को कई बार बोला कि उसका एडमिशन किसी प्राइवेट स्कूल में करवा देते हैं, लेकिन उसने सरकारी स्कूल में ही पढ़ने की ठान रखी थी. पिता ओमप्रकाश ने बताया कि उनके सोने के बाद तक बेटी रवीना पढ़ती रहती और उनके जागने से पहले ही जाग जाती. उसकी लगन का ही नतीजा है कि उसने परीक्षा में 97.20 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं और परिवार और गांव का नाम रोशन किया है.

प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है रवीना...

रवीना गुर्जर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों और गुरुजनों को देते हुए बताया कि वह भविष्य में प्रशासनिक सेवा में जाना चाहती है. जिससे वह समाज की सेवा कर सके. उसने समाज से अपील की कि सभी लोग अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दें और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.

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हिंदी साहित्य में 100 में से 100 अंक...

हिंदी साहित्य जैसे विषय को कठिन विषय माना जाता है, लेकिन रवीना ने इस परीक्षा में हिंदी अनिवार्य, हिंदी साहित्य और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों में 100 में से 100 अंक अर्जित किए हैं, जो कि अन्य विद्यार्थियों के लिए एक मिसाल है.

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