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जेंडर चेंज स्टोरी : बचपन की मीरा अब आरव बन निभा रहा घर की जिम्मेदारियां...

भरतपुर की मीरा को लोग अब आरव के नाम से पहचानते हैं. मीरा शारीरिक बनावट से भले ही लड़की रही हो, लेकिन उसका मन हमेशा लड़कों की जिंदगी जीने की चाहत रखता था. मीरा का लालन-पालन भी लड़कों की तरह ही हुआ. एक दिन ऐसा भी आया जब मीरा यानी की आरव परिजनों को समझाने के बाद जेंडर चेंज करा लिया. अब ये आरव बनकर (Gender Change in Bharatpur) घर की जिम्मेदारियों में हाथ बंटा रहा है.

Childhood Meera is now playing responsibilities of house as Aarav
बचपन की मीरा अब आरव बन निभा रही घर की जिम्मेदारियां...
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Published : Jan 28, 2022, 10:37 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 1:07 PM IST

भरतपुर. मीरा का बचपन से ही शरीर लड़की का था, लेकिन मन और मस्तिष्क पूरी तरह से पुरुष का था. बचपन से ही मीरा लड़कों के साथ खेलती, लड़कों जैसे कपड़े पहनती. यहां तक कि मीरा की चार बड़ी बहनें भी उसे रखी बांधकर भाई वाला प्यार देतीं. बढ़ती उम्र के साथ मीरा के मन में जेंडर चेंज का ख्याल भी बढ़ने लगा. आखिरकार में मीरा ने वर्ष 2019 में अपने माता-पिता को साथ लिया और जेंडर चेंज करा लिया. इसके बाद मीरा ने अपना नाम बदलकर आरव कुंतल रख लिया.

समाज में अब लोग इसे आरव कुंतल के नाम से ही जानते हैं. आरव शारीरिक शिक्षक के रूप में जहां कंपनी की जॉब की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है. वहीं, अपने बुजुर्ग माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी बन सामान्य जीवन जी रहा है.

बचपन की मीरा अब आरव बन निभा रहा घर की जिम्मेदारियां

बहनें राखी बांधती : आरव के पिता बीरी सिंह ने बताया कि उनके चार बेटियां हैं, लेकिन सबसे छोटी बेटी मीरा बचपन से ही लड़कों की तरह रहती थी. लड़कों की तरह बात करना, लड़कों के साथ खेलना. यहां तक कि चारों बहनें भी उसे राखी बांधती. सभी भांजे मीरा को मौसी कहने के बजाय मामा बोलते.

पढ़ें : Special: RAS 2018 की टॉपर शिवाक्षी खांडल और वर्षा शर्मा से सुनिए कामयाबी की कहानी

बचपन में कपड़े फाड़ दिए : आरव की मां किरण देवी ने बताया कि बचपन में जब मीरा को लड़कियों की तरह फ्रॉक आदि कपड़े लाते तो ये उनको फाड़ देती और बोलती कि मेरे लिए पैंट-शर्ट लेकर आओ. 12वीं कक्षा में स्कूल टीचर ने लड़कियों की तरह कपड़े पहनकर आने को कहा तो मीरा तीन दिन तक रोती रही और स्कूल नहीं गई. मीरा लड़कों के साथ खेलती तो लोग बोलते, इसे बच्चियों के साथ खिलाया करो. जब माता-पिता ने सारे हालात देखे तो आखिर में घर में मीरा का लालन-पालन भी लड़कों की तरह ही करना शुरू कर दिया.

जेंडर डिस्फोरिया था वजह : मीरा (आरव) ने बताया कि बचपन से ही उसका मन लड़कों की तरह था. शारीरिक संरचना भले ही लड़कियों की तरह थी, लेकिन उसे खुद को लड़की के रूप में देखना अच्छा नहीं लगता था. इसलिए वो हमेशा लड़कों की तरह ही जिंदगी जीती थी. 12वीं कक्षा में आते आते यह तय कर लिया था कि जिंदगी लड़के की तरह ही जिएगी. एक बार जब एक मनोचिकित्सक से बात की तो पता चला कि ये एक तरह की बीमारी (Gender Dysphoria Problem of Bharatpur Resident) होती है, जिसे जेंडर डिस्फोरिया कहा जाता है.

2019 में शुरू हुई सर्जरी : मीरा (आरव) ने बताया कि बाद में दोस्तों से, इंटरनेट से यह जानकारी मिली कि जेंडर चेंज कराया जा सकता है. इसके बाद वर्ष 2019 में मीरा ने माता-पिता को समझाया और दिल्ली में जेंडर चेंज की सर्जरी शुरू करा दी. हाल ही में मीरा की फाइनल सर्जरी हो गई है और वो पूरी तरह से तन और मन से आरव बन गया है.

निभा रहा जिम्मेदारी : आरव डीग क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक विद्यालय नगला मोती में शारीरिक शिक्षक के रूप में कार्यरत है. यहां आरव स्कूल के विद्यार्थियों को खेलों में मुकाम हासिल करने का प्रशिक्षण देते हैं और अन्य जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रहे हैं.

भरतपुर. मीरा का बचपन से ही शरीर लड़की का था, लेकिन मन और मस्तिष्क पूरी तरह से पुरुष का था. बचपन से ही मीरा लड़कों के साथ खेलती, लड़कों जैसे कपड़े पहनती. यहां तक कि मीरा की चार बड़ी बहनें भी उसे रखी बांधकर भाई वाला प्यार देतीं. बढ़ती उम्र के साथ मीरा के मन में जेंडर चेंज का ख्याल भी बढ़ने लगा. आखिरकार में मीरा ने वर्ष 2019 में अपने माता-पिता को साथ लिया और जेंडर चेंज करा लिया. इसके बाद मीरा ने अपना नाम बदलकर आरव कुंतल रख लिया.

समाज में अब लोग इसे आरव कुंतल के नाम से ही जानते हैं. आरव शारीरिक शिक्षक के रूप में जहां कंपनी की जॉब की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है. वहीं, अपने बुजुर्ग माता-पिता के बुढ़ापे की लाठी बन सामान्य जीवन जी रहा है.

बचपन की मीरा अब आरव बन निभा रहा घर की जिम्मेदारियां

बहनें राखी बांधती : आरव के पिता बीरी सिंह ने बताया कि उनके चार बेटियां हैं, लेकिन सबसे छोटी बेटी मीरा बचपन से ही लड़कों की तरह रहती थी. लड़कों की तरह बात करना, लड़कों के साथ खेलना. यहां तक कि चारों बहनें भी उसे राखी बांधती. सभी भांजे मीरा को मौसी कहने के बजाय मामा बोलते.

पढ़ें : Special: RAS 2018 की टॉपर शिवाक्षी खांडल और वर्षा शर्मा से सुनिए कामयाबी की कहानी

बचपन में कपड़े फाड़ दिए : आरव की मां किरण देवी ने बताया कि बचपन में जब मीरा को लड़कियों की तरह फ्रॉक आदि कपड़े लाते तो ये उनको फाड़ देती और बोलती कि मेरे लिए पैंट-शर्ट लेकर आओ. 12वीं कक्षा में स्कूल टीचर ने लड़कियों की तरह कपड़े पहनकर आने को कहा तो मीरा तीन दिन तक रोती रही और स्कूल नहीं गई. मीरा लड़कों के साथ खेलती तो लोग बोलते, इसे बच्चियों के साथ खिलाया करो. जब माता-पिता ने सारे हालात देखे तो आखिर में घर में मीरा का लालन-पालन भी लड़कों की तरह ही करना शुरू कर दिया.

जेंडर डिस्फोरिया था वजह : मीरा (आरव) ने बताया कि बचपन से ही उसका मन लड़कों की तरह था. शारीरिक संरचना भले ही लड़कियों की तरह थी, लेकिन उसे खुद को लड़की के रूप में देखना अच्छा नहीं लगता था. इसलिए वो हमेशा लड़कों की तरह ही जिंदगी जीती थी. 12वीं कक्षा में आते आते यह तय कर लिया था कि जिंदगी लड़के की तरह ही जिएगी. एक बार जब एक मनोचिकित्सक से बात की तो पता चला कि ये एक तरह की बीमारी (Gender Dysphoria Problem of Bharatpur Resident) होती है, जिसे जेंडर डिस्फोरिया कहा जाता है.

2019 में शुरू हुई सर्जरी : मीरा (आरव) ने बताया कि बाद में दोस्तों से, इंटरनेट से यह जानकारी मिली कि जेंडर चेंज कराया जा सकता है. इसके बाद वर्ष 2019 में मीरा ने माता-पिता को समझाया और दिल्ली में जेंडर चेंज की सर्जरी शुरू करा दी. हाल ही में मीरा की फाइनल सर्जरी हो गई है और वो पूरी तरह से तन और मन से आरव बन गया है.

निभा रहा जिम्मेदारी : आरव डीग क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक विद्यालय नगला मोती में शारीरिक शिक्षक के रूप में कार्यरत है. यहां आरव स्कूल के विद्यार्थियों को खेलों में मुकाम हासिल करने का प्रशिक्षण देते हैं और अन्य जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रहे हैं.

Last Updated : Jan 29, 2022, 1:07 PM IST
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