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स्पेशल रिपोर्ट: 'कचरा-कचरा' जिंदगी, नोह कचरा प्लांट से आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान

भरतपुर शहर के लाखों टन कचरे की बदबू और धुएं से आधा दर्जन गांवों के हजारों लोग परेशान हैं. भरतपुर नगर निगम को 3 साल से कचरा प्लांट संचालन के लिए पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पा रही है. ऐसे में लोग गंदगी और बीमारियों का सामना कर रहे हैं. भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट..

नोह कचरा प्लांट, Noh waste plant
नोह कचरा प्लांट से आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान
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Published : Dec 11, 2019, 2:51 PM IST

भरतपुर. नोह कचरा प्लांट में नगर निगम कई सालों से कचरा फेंक रहा है. यहां हर दिन करीब 130 टन कचरा डंप होता है, लेकिन अबतक नियम के मुताबिक कचरे का निस्तारण शुरू नहीं हो पाया है. आलम ये है, कि कचरे में से उठने वाली बदबू और धुआं, आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों के हजारों लोगों के लिए परेशानी का सबब गया है.

नोह कचरा प्लांट से आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान

पढ़ें- विदेशी कार एमजी हेक्टर उदयपुर में बनी गधा गाड़ी, अब उदयपुर के विशाल इसे बनाएंगे कचरा गाड़ी

नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है, कि उनकी ओर से पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, लेकिन ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की ओर से अबतक पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से कचरा प्लांट संयंत्र का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है.

3 साल पहले हुए थे प्रोजेक्ट के कार्य आदेश
नगर निगम कमिश्नर नीलिमा तक्षक ने बताया, कि अक्टूबर 2016 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत नोह में ठोस कचरा प्रसंस्करण संयंत्र के कार्य आदेश जारी हुए थे. करीब 7 हेक्टेयर जमीन में इस संयंत्र को संचालित किया जाना था. दिल्ली की रोल्स मैटेरियल हैंडलिंग सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को जिम्मा दिया गया, लेकिन ये क्षेत्र टीटीजेड में आने की वजह से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई.

कमिश्नर नीलिमा ने बताया, कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए निगम की ओर से एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (ईएसी) को एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट की फाइनल रिपोर्ट भी सबमिट कर दी गई है. जिसके बाद टीटीजेड ने प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल भरतपुर के क्षेत्रीय अधिकारी से मांगी है, लेकिन संयंत्र को संचालित करने के लिए अबतक टीटीजेड की ओर से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जिसकी वजह से इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है.

पढ़ें- जयपुर के रेनवाल में डपिंग यार्ड बनी मुसीबत, खुले में डाला जाता है कचरा

हर दिन 130 टन कचरा डंप
भरतपुर शहर में रोजाना निगम के 50 ऑटो टिपर में भरकर करीब 130 टन कचरा नोह स्थित कचरा प्लांट पर डंप किया जा रहा है. 3 साल में यहां पर लाखों टन कचरा जमा हो चुका है, लेकिन अबतक कचरे का निस्तारण नहीं किया गया है.

आधा दर्जन गांव के हजारों लोग परेशान
कचरा प्लांट में लगातार डाले जा रहे कचरे की वजह से आसपास के गांव के लोग परेशान हैं. कचरे से उठने वाली बदबू और धुएं की वजह से नगला अस्तावन, नगला लोधा, नोह, नगला केवल, पीर नगर, मडरपुर, बछामदी समेत करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांवों के हजारों लोगों को परेशानी हो रही है. बरसात के मौसम में ये परेशानी और बढ़ जाती है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: खंडहर हो गया 'न्यू पाली' का सपना, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था करोड़ों रुपये की योजना का उद्धघाटन

कचरा निस्तारण नहीं किए जाने को लेकर क्षेत्रवासियों की ओर से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं, लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. जिससे साफ होता है, कि जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हैं.

भरतपुर. नोह कचरा प्लांट में नगर निगम कई सालों से कचरा फेंक रहा है. यहां हर दिन करीब 130 टन कचरा डंप होता है, लेकिन अबतक नियम के मुताबिक कचरे का निस्तारण शुरू नहीं हो पाया है. आलम ये है, कि कचरे में से उठने वाली बदबू और धुआं, आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों के हजारों लोगों के लिए परेशानी का सबब गया है.

नोह कचरा प्लांट से आधा दर्जन गांवों के लोग परेशान

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नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है, कि उनकी ओर से पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, लेकिन ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की ओर से अबतक पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से कचरा प्लांट संयंत्र का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है.

3 साल पहले हुए थे प्रोजेक्ट के कार्य आदेश
नगर निगम कमिश्नर नीलिमा तक्षक ने बताया, कि अक्टूबर 2016 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत नोह में ठोस कचरा प्रसंस्करण संयंत्र के कार्य आदेश जारी हुए थे. करीब 7 हेक्टेयर जमीन में इस संयंत्र को संचालित किया जाना था. दिल्ली की रोल्स मैटेरियल हैंडलिंग सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को जिम्मा दिया गया, लेकिन ये क्षेत्र टीटीजेड में आने की वजह से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई.

कमिश्नर नीलिमा ने बताया, कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए निगम की ओर से एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (ईएसी) को एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट की फाइनल रिपोर्ट भी सबमिट कर दी गई है. जिसके बाद टीटीजेड ने प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल भरतपुर के क्षेत्रीय अधिकारी से मांगी है, लेकिन संयंत्र को संचालित करने के लिए अबतक टीटीजेड की ओर से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जिसकी वजह से इसका संचालन शुरू नहीं हो पाया है.

पढ़ें- जयपुर के रेनवाल में डपिंग यार्ड बनी मुसीबत, खुले में डाला जाता है कचरा

हर दिन 130 टन कचरा डंप
भरतपुर शहर में रोजाना निगम के 50 ऑटो टिपर में भरकर करीब 130 टन कचरा नोह स्थित कचरा प्लांट पर डंप किया जा रहा है. 3 साल में यहां पर लाखों टन कचरा जमा हो चुका है, लेकिन अबतक कचरे का निस्तारण नहीं किया गया है.

आधा दर्जन गांव के हजारों लोग परेशान
कचरा प्लांट में लगातार डाले जा रहे कचरे की वजह से आसपास के गांव के लोग परेशान हैं. कचरे से उठने वाली बदबू और धुएं की वजह से नगला अस्तावन, नगला लोधा, नोह, नगला केवल, पीर नगर, मडरपुर, बछामदी समेत करीब आधा दर्जन से ज्यादा गांवों के हजारों लोगों को परेशानी हो रही है. बरसात के मौसम में ये परेशानी और बढ़ जाती है.

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कचरा निस्तारण नहीं किए जाने को लेकर क्षेत्रवासियों की ओर से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं, लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. जिससे साफ होता है, कि जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हैं.

Intro:स्पेशल स्टोरी

भरतपुर.
भरतपुर नगर निगम की ओर से गांवों में वर्षों से शहर भर का कचरा डाला जा रहा है। यह कचरा प्लांट पर हर दिन करीब 130 टन कचरा डाला जा रहा है लेकिन नियमानुसार उसका निस्तारण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। हालात यह है कि कचरे में से उठने वाली बदबू और धुआं आसपास के करीब आधा दर्जन गांवों के हजारों लोगों के लिए मुसीबत बानी हुई है। वहीं नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि उनकी ओर से पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है लेकिन ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) की ओर से अभी तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से कचरा प्लांट संयंत्र का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है।



Body:3 साल पहले हुए थे प्रोजेक्ट के कार्य आदेश
नगर निगम कमिश्नर नीलिमा तक्षक ने बताया कि अक्टूबर 2016 में स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों नोह में ठोस कचरा प्रसंस्करण संयंत्र के कार्य आदेश हुए थे। करीब 7 हेक्टेयर जमीन में इस संयंत्र को संचालित किया जाना था, जिसका दिल्ली की रोल्स मैटेरियल हैंडलिंग सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को जिम्मा दिया गया। लेकिन यह क्षेत्र टीटीजेड में आने की वजह से इसके संचालन के लिए पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई। कमिश्नर नीलिमा ने बताया कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए निगम की ओर से एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटी (ई ए सी) को एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट की फाइनल रिपोर्ट भी सबमिट कर दी गई है। जिसके बाद टीटीजेड ने प्रोजेक्ट से संबंधित जानकारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल भरतपुर के क्षेत्रीय अधिकारी से मांगी है। लेकिन संयंत्र को संचालित करने के लिए अभी तक टीटीजेड की ओर से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जिसकी वजह से इसका संचालन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।

हर दिन डाला जा रहा है 130 टन कचरा
नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार भरतपुर शहर में से प्रतिदिन निगम के 50 ऑटो टिपर में भरकर करीब 130 टन कचरा हर दिन नोह स्थित कचरा प्लांट पर डाला जा रहा है। ऐसे में बीते 3 साल में यहां पर लाखों टन कचरा डाला जा चुका है लेकिन अभी तक निस्तारण बिल्कुल नहीं किया गया है।

आधा दर्जन गांव के हजारों लोग परेशान
कचरा प्लांट में लगातार डाले जा रहे कचरे की वजह से आसपास के गांव के लोग परेशान हैं। क्षेत्रवासी तेजवीर सिंह ने बताया कि कचरे से उठने वाली बदबू और धुआं की वजह से नगला अस्तावन, नगला लोधा, नोह, नगला केवल, पीर नगर, मडरपुर, बछामदी समेत करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोगों को परेशानी हो रही है। बरसात के मौसम में यह परेशानी और बढ़ जाती है।



Conclusion:गौरतलब है कि नगर निगम के कचरा प्लांट कचरा निस्तारण नहीं किए जाने को लेकर के क्षेत्रवासियों की ओर से समय-समय पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।


बाईट 1- नीलिमा तक्षक, कमिश्नर, नगर निगम भरतपुर।

बाईट 2- तेजवीर सिंह, क्षेत्रवासी

सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर।
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