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स्पेशल: कनाडा और कुवैत तक मिठास घोल रहा भरतपुर का शहद, देश के शीर्ष 5 शहद उत्पादकों में से एक

भरतपुर के शहद ने विदेशों में भरतपुर को पहचान दी है. भरतपुर में बनने वाला शहद कनाडा, कुवैत, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों में मिठास घोल रहा है. खास बात ये है, कि देश के शीर्ष पांच शहद उत्पादकों में से भरतपुर एक है. देखिए भरतपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

Bharatpur Honey production, भरतपुर का शहद
कनाडा और कुवैत तक मिठास घोल रहा भरतपुर का शहद
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Published : Dec 13, 2019, 3:48 PM IST

भरतपुर. देश के सबसे ज्यादा शहद उत्पादक जिलों में भरतपुर भी शामिल है. राजस्थान में उत्पादित शहद का करीब एक तिहाई हिस्सा भरतपुर से ही आता है. भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित एक फर्म की बात करें तो करीब 20 साल पहले मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद उत्पादन शुरू किया, लेकिन आज ना सिर्फ भारत में बल्कि कनाडा, कुवैत, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों तक शहद की मिठास घोल रहा है.

कनाडा और कुवैत तक मिठास घोल रहा भरतपुर का शहद

बहुत ही छोटे स्तर पर शुरू किया गया शहद उत्पादन आज इतना विस्तार पा चुका है, कि ये फर्म देश की शीर्ष 5 शहद उत्पादक फर्मों में शामिल हो चुकी है. इतना ही नहीं इस फर्म में तैयार किया जाने वाला शहद ना केवल स्वाद की दृष्टि से बेहतरीन होता है, बल्कि गुणवत्ता की दृष्टि से भी काफी मायने रखता है. ईटीवी भारत की टीम ने जब फर्म का दौरा किया तो ये जाना कि किस तरह से फर्म में शहद का उत्पादन किया जाता है और उसकी शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.

पढ़ें- Special: इन गांवों में लगे डीप बोर सर्दी में भी उगल रहे खौलता हुआ पानी, किसानों के लिए बना मुसीबत

सालभर में 8 हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन
भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित फर्म के मैनेजर नितिन कुमार ने बताया, कि फर्म की स्थापना साल 2005 में की गई, लेकिन उससे करीब 5-6 साल पहले फर्म के विनीत सिंह और उनके एक अन्य साथी ने मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद का उत्पादन कार्य शुरू किया. फर्म स्थापित करने के बाद आज की तारीख में हर साल करीब आठ हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन किया जा रहा है. फर्म के साथ भरतपुर जिले के साथ ही दूसरे जिलों और राज्यों के करीब 1000 मधुमक्खी पालक जुड़े हुए हैं. जिनसे फर्म को कच्चा शहद सप्लाई होता है.

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गुणवत्ता और शुद्धता का रखा जाता है ख्याल
मैनेजर नितिन ने बताया, कि शहद में किसी तरह का कोई हानिकारक तत्व नहीं आए, इसके लिए शहद को फिल्टर करने से पहले फर्म की लैब में जांच की जाती है. लैब की ओर से क्लीयरेंस मिलने के बाद ही शहद को फिल्टर किया जाता है और उन्हें पैक करके मार्केट में सप्लाई किया जाता है.

पढ़ें- इस सीन पर चल रहा है फिल्म 'पानीपत' का विरोध...असली कहानी सुनिए भरतपुर के इतिहासकार की जुबानी

किसानों को कराया जाता है भ्रमण
कृषि विभाग के उप निदेशक एवं आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया, कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की मिसाल कायम करने वाली इस फर्म में जिले के किसानों को भ्रमण कराया जाता है. किसानों को शहद उत्पादन के फायदे और कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में बताया जाता है और उन्हें इसे अपनाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

भरतपुर. देश के सबसे ज्यादा शहद उत्पादक जिलों में भरतपुर भी शामिल है. राजस्थान में उत्पादित शहद का करीब एक तिहाई हिस्सा भरतपुर से ही आता है. भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित एक फर्म की बात करें तो करीब 20 साल पहले मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद उत्पादन शुरू किया, लेकिन आज ना सिर्फ भारत में बल्कि कनाडा, कुवैत, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों तक शहद की मिठास घोल रहा है.

कनाडा और कुवैत तक मिठास घोल रहा भरतपुर का शहद

बहुत ही छोटे स्तर पर शुरू किया गया शहद उत्पादन आज इतना विस्तार पा चुका है, कि ये फर्म देश की शीर्ष 5 शहद उत्पादक फर्मों में शामिल हो चुकी है. इतना ही नहीं इस फर्म में तैयार किया जाने वाला शहद ना केवल स्वाद की दृष्टि से बेहतरीन होता है, बल्कि गुणवत्ता की दृष्टि से भी काफी मायने रखता है. ईटीवी भारत की टीम ने जब फर्म का दौरा किया तो ये जाना कि किस तरह से फर्म में शहद का उत्पादन किया जाता है और उसकी शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.

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सालभर में 8 हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन
भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित फर्म के मैनेजर नितिन कुमार ने बताया, कि फर्म की स्थापना साल 2005 में की गई, लेकिन उससे करीब 5-6 साल पहले फर्म के विनीत सिंह और उनके एक अन्य साथी ने मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद का उत्पादन कार्य शुरू किया. फर्म स्थापित करने के बाद आज की तारीख में हर साल करीब आठ हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन किया जा रहा है. फर्म के साथ भरतपुर जिले के साथ ही दूसरे जिलों और राज्यों के करीब 1000 मधुमक्खी पालक जुड़े हुए हैं. जिनसे फर्म को कच्चा शहद सप्लाई होता है.

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गुणवत्ता और शुद्धता का रखा जाता है ख्याल
मैनेजर नितिन ने बताया, कि शहद में किसी तरह का कोई हानिकारक तत्व नहीं आए, इसके लिए शहद को फिल्टर करने से पहले फर्म की लैब में जांच की जाती है. लैब की ओर से क्लीयरेंस मिलने के बाद ही शहद को फिल्टर किया जाता है और उन्हें पैक करके मार्केट में सप्लाई किया जाता है.

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किसानों को कराया जाता है भ्रमण
कृषि विभाग के उप निदेशक एवं आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया, कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की मिसाल कायम करने वाली इस फर्म में जिले के किसानों को भ्रमण कराया जाता है. किसानों को शहद उत्पादन के फायदे और कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में बताया जाता है और उन्हें इसे अपनाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

भरतपुर.
शहद का ख्याल मन में आते ही मुंह में मिठास घुल जाती है। आज से करीब 20 साल पहले मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद उत्पादन का कार्य शुरू किया लेकिन आज ना केवल भारत में बल्कि कनाडा, कुवैत, सऊदी अरब, अमेरिका आदि देशों तक भरतपुर के शहद की मिठास घुल रही है। बहुत ही छोटे स्तर पर शुरू किया गया शहद उत्पादन आज इतना विस्तार पा चुका है कि यह फर्म आज की तारीख में देश की शीर्ष पांच शहद उत्पादक फर्मों में शामिल हो चुकी है। इतना ही नहीं इस फार्म में तैयार किया जाने वाला शहर ना केवल स्वाद की दृष्टि से बेहतरीन होता है बल्कि गुणवत्ता की दृष्टि से भी काफी मायने रखता है। ईटीवी भारत की टीम ने जब फार्म का दौरा किया तो यह जाना कि किस तरह से फर्म में शहद का उत्पादन किया जाता है और उसकी शुद्धता का ख्याल रखा जाता है।


Body:साल भर में 8 हजार मैट्रिक टन शहद उत्पादन
भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित फार्म के मैनेजर नितिन कुमार ने बताया कि फर्म की स्थापना वर्ष 2005 में की गई। लेकिन उससे करीब 5-6 वर्ष पूर्व फर्म के विनीत सिंह और उनके एक अन्य साथी ने मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद का उत्पादन कार्य शुरू किया। फर्म स्थापित करने के बाद आज की तारीख में हर वर्ष करीब आठ हजार मैट्रिक टन शहद उत्पादन किया जा रहा है। फर्म के साथ में भरतपुर जिले के साथ ही अन्य जिलों व राज्यों के करीब 1000 मधुमक्खी पालक जुड़े हुए हैं जिनसे फर्म को कच्चा शहद सप्लाई होता है।

मैनेजर नितिन कुमार ने बताया कि यह शहद देश की कई नामी संस्थाओं को सप्लाई करने के साथ ही देश के बाहर अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, कनाडा, दुबई समेत कई देशों में भी सप्लाई किया जाता है।

गुणवत्ता और शुद्धता का रखा जाता है ख्याल
मैनेजर नितिन ने बताया शहद में किसी प्रकार का कोई हानिकारक तत्व नहीं आए इसके लिए शहद को फिल्टर करने से पूर्व फर्म की लैब में उसकी जांच की जाती है। लैब की ओर से क्लीयरेंस मिलने के बाद ही शहद को फिल्टर किया जाता है और उन्हें पैक करके मार्केट में सप्लाई किया जाता है।



Conclusion:किसानों को कराया जाता है भ्रमण
कृषि विभाग के उप निदेशक एवं आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया की शहद उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की मिसाल कायम करने वाली इस फर्म में जिले के किसानों का भ्रमण कराया जाता है। किसानों को शहद उत्पादन के फायदों के बारे में और कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में बताते हुए उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।


वन टू वन - नितिन कुमार, मैनेजर, बृज हनी ( नीली शर्ट)

वन टू वन 2- योगेश कुमार शर्मा, उप निदेशक, कृषि विभाग भरतपुर। (डार्क शर्ट)

सादर
श्यामवीर सिंह
भरतपुर
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