भरतपुर. देश के सबसे ज्यादा शहद उत्पादक जिलों में भरतपुर भी शामिल है. राजस्थान में उत्पादित शहद का करीब एक तिहाई हिस्सा भरतपुर से ही आता है. भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित एक फर्म की बात करें तो करीब 20 साल पहले मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद उत्पादन शुरू किया, लेकिन आज ना सिर्फ भारत में बल्कि कनाडा, कुवैत, सऊदी अरब, अमेरिका जैसे देशों तक शहद की मिठास घोल रहा है.
बहुत ही छोटे स्तर पर शुरू किया गया शहद उत्पादन आज इतना विस्तार पा चुका है, कि ये फर्म देश की शीर्ष 5 शहद उत्पादक फर्मों में शामिल हो चुकी है. इतना ही नहीं इस फर्म में तैयार किया जाने वाला शहद ना केवल स्वाद की दृष्टि से बेहतरीन होता है, बल्कि गुणवत्ता की दृष्टि से भी काफी मायने रखता है. ईटीवी भारत की टीम ने जब फर्म का दौरा किया तो ये जाना कि किस तरह से फर्म में शहद का उत्पादन किया जाता है और उसकी शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.
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सालभर में 8 हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन
भरतपुर शहर के आगरा हाईवे पर स्थित फर्म के मैनेजर नितिन कुमार ने बताया, कि फर्म की स्थापना साल 2005 में की गई, लेकिन उससे करीब 5-6 साल पहले फर्म के विनीत सिंह और उनके एक अन्य साथी ने मधुमक्खियों के 50 बॉक्स से शहद का उत्पादन कार्य शुरू किया. फर्म स्थापित करने के बाद आज की तारीख में हर साल करीब आठ हजार मीट्रिक टन शहद उत्पादन किया जा रहा है. फर्म के साथ भरतपुर जिले के साथ ही दूसरे जिलों और राज्यों के करीब 1000 मधुमक्खी पालक जुड़े हुए हैं. जिनसे फर्म को कच्चा शहद सप्लाई होता है.
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गुणवत्ता और शुद्धता का रखा जाता है ख्याल
मैनेजर नितिन ने बताया, कि शहद में किसी तरह का कोई हानिकारक तत्व नहीं आए, इसके लिए शहद को फिल्टर करने से पहले फर्म की लैब में जांच की जाती है. लैब की ओर से क्लीयरेंस मिलने के बाद ही शहद को फिल्टर किया जाता है और उन्हें पैक करके मार्केट में सप्लाई किया जाता है.
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किसानों को कराया जाता है भ्रमण
कृषि विभाग के उप निदेशक एवं आत्मा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर योगेश कुमार शर्मा ने बताया, कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में सफलता की मिसाल कायम करने वाली इस फर्म में जिले के किसानों को भ्रमण कराया जाता है. किसानों को शहद उत्पादन के फायदे और कृषि विभाग की योजनाओं के बारे में बताया जाता है और उन्हें इसे अपनाने के लिए भी प्रेरित किया जाता है.