भरतपुर. भाई दूज के दिन एक बहन को उसका बिछड़ा हुआ भाई मिल गया. भाई को देखकर बहन की आखें नम हो गई और उसके सीने से लिपट कर वह बहुत रोई. बता दें कि धनतेरस के दिन आए 'कौन बनेगा करोड़पति' शो में बहन शर्मिष्ठा को भाई की झलक दिखी थी.
दरअसल, एक साल पहले दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर शर्मिष्ठा का भाई उनसे बिछड़ गया था. बीते 1 साल से वह अपने भाई की तलाश में जुटी थी, लेकिन धनतेरस के दिन 'कौन बनेगा करोड़पति' के कर्मवीर शो में उनको अपने बिछड़े हुए भाई की झलक दिखी. उसके बाद परिजनों ने फेसबुक के माध्यम से अपना घर आश्रम से संपर्क किया तो पता चला कि उनका बिछड़ा हुआ भाई वहां रह रहा है. सूचना मिलते ही बहन शर्मिष्ठा और उनके परिजन अपना घर आश्रम पहुंचे. भाई दूज के दिन एक बहन को उसका बिछड़ा हुआ भाई मिल गया. भाई को देखते ही बहन की आंखें नम हो गई.
बहन शर्मिष्ठा के साथ अपना घर आश्रम पहुंचे छोटे भाई विनय कुमार गुप्ता ने बताया कि उनका बड़ा भाई सत्यनारायण 23 अक्टूबर 2018 को दिल्ली के एक रेलवे स्टेशन पर उनसे बिछड़ गया था. उसके बाद भाई की बहुत तलाश की, लेकिन वह नहीं मिल पाया. उसके बाद 25 अक्टूबर 2019 को टीवी पर 'कौन बनेगा करोड़पति' शो देखने के दौरान उन्हें अपने भाई की झलक दिखी. बहन शर्मिष्ठा ने बताया कि उन्होंने फेसबुक के माध्यम से अपना घर आश्रम से संपर्क किया और अपने भाई के फोटो भेजे. उसके बाद उन्हें अपना घर आश्रम से उनके भाई सत्यनारायण के वहां होने की सूचना मिली, जिसके बाद दोनों भाई बहन अपने बड़े भाई को लेने के लिए आश्रम पहुंचे.
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भाई ने पहचान ली अपनी बहन
आश्रम पहुंची बहन शर्मिष्ठा, छोटा भाई विनय और अन्य परिजनों के सामने जैसे ही सत्यनारायण को लाया गया तो बहन की आंखें नम हो गई. अपना घर आश्रम की प्रशासनिक अधिकारी बबीता गुलाटी ने बताया कि सत्यनारायण से जब उनके बारे में पूछा तो उन्होंने अपनी बहन को पहचानते हुए उनका नाम बता दिया.
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सत्यनारायण यू पहुंचा था अपना घर आश्रम
बबीता गुलाटी ने बताया कि 2 नवंबर 2018 को सत्यनारायण बयाना तहसील के शालाबाद रेलवे फाटक पर लावारिस स्थिति में मिला था. उस समय सत्यनारायण की मानसिक स्थिति सही नहीं थी. ऐसे में सत्यनारायण को अपना घर आश्रम लाया गया और उनका उपचार व देखभाल की गई. अब सत्यनारायण स्वस्थ है और अपने परिजनों को भी आसानी से पहचान रहा है. इसलिए मंगलवार को उसे उसके परिजनों के साथ भेज दिया गया.
गौरतलब है कि भरतपुर के पास संचालित अपना घर आश्रम में सैकड़ों असहाय और बेसहारा लोगों को आश्रय दिया जाता है. जो लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, उनका उपचार किया जाता है और उनके परिजनों के आने पर पहचान कर उन्हें घर भेज दिया जाता है. ऐसे में सैकड़ों महिला, पुरुष और बच्चे अभी भी वहां अपनों के आने का इंतजार कर रहे हैं.