भरतपुर. पूरे भारतवर्ष में तेल उत्पादन और सप्लाई में सबसे अग्रणी भरतपुर जिले (mustard oil freed from ncr rules) के तेल व्यवसायियों के लिए अब एनसीआर के नियमों की पाबंदियां हट गई हैं. एनसीआर नियमों के चलते बीते कई वर्षों से शहर में नई तेल मिल स्थापित नहीं हो पा रही थीं. जिसके चलते जिले के तेल व्यवसाय की वृद्धि मानो थम सी गई थी. लेकिन अब एनसीआर के नियम तेल मिलों पर लागू नहीं होंगे. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद अब शहरी क्षेत्र में फिर से नई तेल मिलें (new oil mills to set up in bharatpur) स्थापित हो सकेंगी.
ऑयल मिलर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित 42 वीं राष्ट्रीय रबी सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि राज्यमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने बताया कि जिले में सरसों तेल उत्पादन की वृद्धि की प्रचुर संभावनाएं हैं. उन्होंने बताया कि बीते कई वर्षों से भरतपुर जिला एनसीआर में शामिल होने के चलते शहरी क्षेत्र में सरसों तेल की नई मिलें स्थापित नहीं हो पा रही थीं. व्यापारियों को मिल स्थापित करने के लिए जिला मुख्यालय से दूर के कस्बों का रुख करना पड़ता था. लेकिन अब भरतपुर जिले की तेल मिलों से एनसीआर के नियमों की पाबंदियां हटा ली गई हैं. ऐसे में अब शहरी क्षेत्र में फिर से नई तेल मिलें स्थापित हो सकेंगी। इसका जल्द ही नोटिफिकेशन भी जारी हो जाएगा.
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पॉल्युशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहींः तेल मिल व्यवसाई ताराचंद गोयल ने बताया कि बीते माह इस संबंध में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में तेल एसोसिएशन की बैठक हुई थी. जिसमें व्यापारियों को बताया गया कि तेल मिलों को एनसीआर और ताज ट्रेपेजियम जॉन (टीटीजेड) के नियमों से परे (मुक्त) कर दिया गया है. ऐसे में शहर में नई तेल मिल स्थापित करने के लिए तो पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के सर्टिफिकेट की जरूरत होगी. लेकिन संचालन के लिए जरूरत नहीं पड़ेगी.
तेल उत्पादन बढ़ाने का रास्ता साफः भरतपुर जिला पूरे देश में सरसों तेल उत्पादन करने में सबसे अग्रणी जिला है. यहां से वर्षभर औसतन 5 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल उत्पादन होता है. साथ ही यहां से सरसों का तेल देश के करीब- करीब प्रत्येक राज्य में सप्लाई किया जाता है. शहर में सरसों तेल उत्पादन की करीब 100 से 125 मिलें संचालित हैं. लेकिन एनसीआर नियमों के चलते बीते कई वर्षों से नई तेल मिल स्थापित नहीं हो पा रहीं थीं. जिससे तेल उत्पादन में भी आशानुरूप वृद्धि नहीं हो पा रही थी. अब शहरी क्षेत्र में नई मिल स्थापित करने का रास्ता साफ होने के साथ ही तेल उत्पादन में भी वृद्धि हो सकेगी.
बता दें कि वर्ष 2013 में एनसीआर क्षेत्र में वृद्धि की गई थी. जिसके तहत हरियाणा राज्य के भिवाड़ी, महेंद्रगढ़ और राजस्थान के भरतपुर जिले को एनसीआर में शामिल किया गया था. ऐसे में बीते 9 साल से एनसीआर के नियमों के चलते भरतपुर शहर में नई तेल मिलें स्थापित नहीं हो पा रही थीं. राजमंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने कहा कि भरतपुर जिले को एनसीआर में शामिल करने का फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ था.