भरतपुर. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार-हरियाणा के पूर्व राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया का कोरोना से निधन हो गया. पहाड़िया गुड़गांव के एक अस्पताल में भर्ती थे जहां बुधवार देर रात को उन्होंने अंतिम सांस ली. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहाड़िया के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति बताया है. वहीं, भरतपुर के जनप्रतिनिधियों ने भी संवेदना व्यक्त की है.
भरतपुर जिले के भुसावर क्षेत्र के पथेना गांव में दलित परिवार में जन्मे जगन्नाथ पहाड़िया ने देश के सबसे युवा सांसद से प्रदेश के मुख्यमंत्री और बिहार-हरियाणा के राज्यपाल तक का सफर तय किया. कांग्रेस की वफादार नेताओं में शुमार जगन्नाथ पहाड़िया दलितों के मसीहा के रूप में पहचान रखते थे.
राजनीतिक सफर
जगन्नाथ पहाड़िया 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक सिर्फ 13 महीने ही राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे थे. लेकिन इस छोटे कार्यकाल में पहाड़िया ने प्रदेश में पूरी तरह शराबबंदी लागू की. वे 1957, 1967, 1971 और 1980 में सांसद और 1980, 1985, 1999 और 2003 में विधायक भी रहे. पहाड़िया इंदिरा गांधी कैबिनेट में मंत्री भी रहे थे. उनके पास वित्त, उद्योग, श्रम, कृषि जैसे विभाग थे. वे 1989 से 1990 तक एक साल के लिए बिहार और 2009 से 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल भी रहे थे.
नेताओं ने व्यक्त की शोक संवेदना
पहाड़िया के निधन पर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की. गृह रक्षा राज्य मंत्री भजन लाल जाटव ने कहा कि पहाड़िया ने मुख्यमंत्री के रूप में, केंद्रीय मंत्री के रूप में, राज्यपाल के रूप में और उच्च पदों पर रहकर प्रदेश एवं देश की सेवा की. उन्होंने कहा कि जगन्नाथ पहाड़िया का निधन देश के साथ ही मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है.
पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष गिरधारी तिवारी ने बताया कि पहाड़िया के निधन से भरतपुर के साथ राजस्थान को अपूरणीय क्षति हुई है. विद्यार्थी जीवन से राजनीतिक शुरुआत करने के बाद वो देश की शीर्ष राजनीति तक पहुंचे. वे एक सिद्दांतवादी नेता रहे. भरतपुर और राजस्थान के विकास में उनका योगदान रहा. पूर्व विधायक विजय बंसल का कहना है कि पहाड़िया राजस्थान ही नहीं देश के दलित वर्ग के बड़े नेता रहे. उन्होंने दलित के उत्थान के लिए हमेशा काम किया.