अलवर. जिले के ESIC मेडिकल कॉलेज में नर्सिंगकर्मी और सहायक नर्सिंगकर्मी भर्ती घोटाले मामले में ईएसआईसी की तरफ से बड़ा फैसला लेते हुए भर्ती प्रक्रिया करने वाली गुजरात की एजेंसी का टेंडर निरस्त कर दिया गया है. साथ ही एजेंसी की तरफ से अब तक जितने कर्मचारी लगाए हैं, सभी को हटाने के आदेश जारी किया गया है.
वहीं, दूसरी तरफ एसीबी ने गिरफ्तार लोगों, मेडिकल कॉलेज के डीन और अधिकारियों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की. इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज का स्टाफ फंसता हुआ नजर आ रहा है. ईएसआईसी की विजिलेंस टीम भी मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है.
विजिलेंस की टीम पहुंची अलवर
इस पूरे मामले की जांच पड़ताल के लिए ईएसआईसी की तरफ से एक विजिलेंस की टीम को अलवर भेजा गया है. टीम ने शनिवार को अलवर पहुंचकर भर्ती संबंधी दस्तावेज चेक किए. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में रिकॉर्ड जुटाए. बता दें, विजिलेंस की टीम लगातार जांच पड़ताल कर रही है. इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के स्टाफ से भी पूछताछ की गई है.
एसीबी की टीम कर रही है मामले की जांच
इस मामले में एसीबी की टीम ने गिरफ्तार चारों आरोपी, मेडिकल कॉलेज के डीन और अन्य संदिग्ध स्टाफ को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की. एसीबी के सूत्रों ने बताया कि सभी की बातें और बयान अलग-अलग हैं. ऐसे में साफ है कि इस पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज का स्टाफ शामिल है और पूरे स्टाफ संदिग्ध नजर आ रहे हैं.
यह है पूरा मामला...
ईएसआई हॉस्पिटल अलवर (ESI Hospital Alwar) में मेडिकल कॉलेज खोलने पर सरकार ने गुजरात की एमजे सोलंकी कंपनी को संविदा पर भर्ती का जिम्मा सौंप दिया था. इसके लिए बोर्ड का भी गठन किया गया था. इसमें सरकार की ओर से यह तय किया गया था कि भर्ती में कर्मचारियों की सैलरी का 2 प्रतिशत कंपनी को मिलेगा, लेकिन कंपनी ने पैसे लेकर बोर्ड के जरिए सीधे भर्ती करना शुरू कर दिया. एसीबी को लगातार शिकायतें मिल रही थी कि संविदा भर्ती में रिश्वत का काला खेल शुरू हो गया है. इसमें अभ्यार्थियों से एक से डेढ़ लाख रुपए तक मांगे जा रहे हैं. तब एसीबी ने एडिशनल एसपी बजरंग सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर मामले की मॉनिटरिंग शुरू की.