अलवर. लालकृष्ण आडवाणी के साथ कुछ लोगों ने 28 सिंतबर को 24 साल पहले सिंधु दर्शन यात्रा शुरू की थी. वहीं 24 साल पूरे होने पर लेह में कार्यक्रम का आयोदज किया गया है. इस यात्रा के माध्यम से सिंधु नदी के महत्व की जानकारी लोगों तक पहुंचाई गई. यह नदी विश्व की सबसे पुरानी नदी है. 1300 मीटर लंबी इस नदी का पानी पहले मानसरोवर में गिरता है और मानसरोवर सोती हुई लेह लद्दाख में इसका उद्गम होता है.
बता दें कि इस नदी का पानी भारत होता हुआ पाकिस्तान जाता है. लंबे समय से इस पानी को भारत में रोकने की मांग उठ रही थी. हालांकि मोदी सरकार द्वारा इस दिशा में कई प्रयास किए जा रही है. इस यात्रा के जून 2021 में 25 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर 25 हजार लोगों के लेह में पहुंचने का कार्यक्रम था. लेकिन कोरोना के चलते अभी कार्यक्रम स्थगित किया गया है. हालांकि उससे पहले 25 साल के मौके पर होने वाले विशेष आयोजनों की तैयारी को लेकर अक्टूबर माह में एक कार्यक्रम होगा. इसमें पूरे देश भर से 100 से अधिक आरएसएसबी राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग पहुंचेंगे राजस्थान से 4 लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
इसमें अलवर के रामगढ़ के पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा भी शामिल है. ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि सिंधु नदी अपने आप का इतिहास है. इस यात्रा में सभी जाति व धर्म के लोग जाते हैं. जयपुर, अलवर अजमेर से लोग कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. सिंधु नदी को भारत में रोकने सहित अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. आहूजा ने कहा यह हमारा देश हिंदू राष्ट्र है. इसमें सिंधु नदी का खास महत्व है. सिंधु नदी हिंदुस्तान की संस्कृति परंपरा से भी जुड़ी हुई है.
साथ ही उन्होंने बताया कि 2021 में 25 साल पूरे होने पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने का फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर में लेह में एक मीटिंग होगी. इस दौरान भारतीय सेना का सम्मान किया जाएगा. वहीं सेना को सूखे मेवा उपहार स्वरूप उनका सम्मान बढ़ाने के लिए रद्द कराए जाएंगे. ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि केंद्र सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि सिंधु नदी का पानी भारत में रहे. अगर ऐसा होता है जो सिंधु नदी के पानी से उत्तर भारत के सभी राज्यों को बड़ा फायदा होगा. इन राज्यों में पानी की कमी नहीं रहेगी.