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अलवर में अवैध खनन माफियाओं पर कार्रवाई, खनन विभाग और पुलिस ने अचानक बोला धावा

खनन माफियाओं के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र में जारी है. खनन विभाग व पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में ट्रैक्टर व पोकलेन मशीन पकड़े. भारी पुलिस बल व खनन विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं.

Alwar illegal mine
अवैध खनन माफियाओं पर कार्रवाई
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Published : Aug 29, 2021, 12:15 PM IST

Updated : Aug 29, 2021, 12:47 PM IST

अलवर: अलवर जिला अवैध खनन के लिए पूरे प्रदेश में बदनाम है. आए दिन अवैध खनन के मामले सामने आते हैं. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र के आसपास अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन की लंबे समय से शिकायतें मिल रही थी. इस पर खनन विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में ट्रैक्टर व पोकलेन मशीन पकड़े. कार्रवाई अभी चल जारी है.भारी पुलिस बल और खनन विभाग के अफसर मौके पर मौजूद हैं.
CM गहलोत को SMS अस्पताल से किया गया डिस्चार्ज, हाथ जोड़कर जनता को दिया धन्यवाद

शिकायत पर Joint Operation

अलवर के उद्योग नगर क्षेत्र के गांव घेघौली में पहाड़ों में अवैध खनन कि लंबे समय से शिकायतें मिल रही थी. पहाड़ों को तोड़ कर ट्रैक्टर्स में अवैध तरीके से पत्थर की ढुलाई की खबर लगातार मिल रही थी. इन्हीं टिप्स पर पुलिस ने एक्शन लिया. रविवार सुबह खनन विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने धावा बोला और बड़ी संख्या में ट्रैक्टर- ट्रॉली, पोकलेन मशीन जब्त की.

इन क्षेत्रों में हो रहा है अवैध खनन

अगर खनन के इतिहास पर जाएं तो पाएंगे कि अलवर हमेशा सॉफ्ट टारगेट रहा है. सबसे ज्यादा अवैध खनन (Illegal Mining) की घटनाएं किशनगढ़बास, गढ़ीसवाईराम, राजगढ़ और लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में हो रही है. वन क्षेत्र में अवैध खनन माफिया अवैध खनन करके ट्रैक्टरों के माध्यम से पत्थर सप्लाई कर रहे हैं.

कोरोना काल में थमा नहीं अवैध सिलसिला

जहां कोरोना के इस दौर में सभी आर्थिक गतिविधियां जाम रहीं वहीं अलवर में ये अवैध कारोबार खूब फला फूला. ईटीवी भारत लगातार इसकी कवरेज करता रहा. इस अहम मुद्दे को लेकर संबंधित अफसरों को, विभागों को अवगत कराया. तब खनन विभाग ने अपनी मजबूरी बयान की. कहा- उसके पास अवैध खनन रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. पहले वन विभाग को आरएसी मिली थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते आरएसी वापस ले ली गई. इसके अलावा खनन विभाग को बॉर्डर होमगार्ड मिले थे लेकिन उनको भी कोरोना महामारी के चलते वापस ले लिया गया. जिसके बाद ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला और RAC नसीब हुआ.

अवैध खनन के दर्ज मामले

बता दें, साल 2016- 17 में अवैध खनन (Illegal Mining) के 70 मामले सामने आए. साल 2017-18 में 128 मामले सामने आए. साल 2018-19 में 168 मामले सामने आए. साल 2019-20 में 184 मामले सामने आए. वहीं, अलवर में साल 2020-21 में अवैध खनन के 164 मामले सामने आए हैं.

3 साल में 15 बार हुए हमले

वन विभाग की टीम पर साल 2019 से अब तक करीब 15 बार हमले हो चुके हैं. जून माह में अवैध खनन माफियाओं ने वन विभाग की टीम पर हमला कर ट्रैक्टर चढ़ाने का भी प्रयास किया था. इससे पहले भी अवैध खनन (Illegal Mining) रोकने के लिए मौके पर पहुंचने वाले अधिकारियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने, पथराव करने और फायरिंग करने के मामले सामने आए हैं. सभी मामलों में जांच पड़ताल चल रही है.

वहीं, कुछ मामलों में आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के पास हथियार नहीं होते हैं. इसके अलावा वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को कोई ट्रेनिंग भी अलग से नहीं दी जाती है. उनका कहना है कि अगर हमें पीएसी के सुरक्षा बल मिल जाते हैं तो हम अवैध खनन (Illegal Mining) करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर पाएंगे.

अलवर: अलवर जिला अवैध खनन के लिए पूरे प्रदेश में बदनाम है. आए दिन अवैध खनन के मामले सामने आते हैं. अलवर के एमआईए उद्योगी क्षेत्र के आसपास अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन की लंबे समय से शिकायतें मिल रही थी. इस पर खनन विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए बड़ी संख्या में ट्रैक्टर व पोकलेन मशीन पकड़े. कार्रवाई अभी चल जारी है.भारी पुलिस बल और खनन विभाग के अफसर मौके पर मौजूद हैं.
CM गहलोत को SMS अस्पताल से किया गया डिस्चार्ज, हाथ जोड़कर जनता को दिया धन्यवाद

शिकायत पर Joint Operation

अलवर के उद्योग नगर क्षेत्र के गांव घेघौली में पहाड़ों में अवैध खनन कि लंबे समय से शिकायतें मिल रही थी. पहाड़ों को तोड़ कर ट्रैक्टर्स में अवैध तरीके से पत्थर की ढुलाई की खबर लगातार मिल रही थी. इन्हीं टिप्स पर पुलिस ने एक्शन लिया. रविवार सुबह खनन विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम ने धावा बोला और बड़ी संख्या में ट्रैक्टर- ट्रॉली, पोकलेन मशीन जब्त की.

इन क्षेत्रों में हो रहा है अवैध खनन

अगर खनन के इतिहास पर जाएं तो पाएंगे कि अलवर हमेशा सॉफ्ट टारगेट रहा है. सबसे ज्यादा अवैध खनन (Illegal Mining) की घटनाएं किशनगढ़बास, गढ़ीसवाईराम, राजगढ़ और लक्ष्मणगढ़ क्षेत्र में हो रही है. वन क्षेत्र में अवैध खनन माफिया अवैध खनन करके ट्रैक्टरों के माध्यम से पत्थर सप्लाई कर रहे हैं.

कोरोना काल में थमा नहीं अवैध सिलसिला

जहां कोरोना के इस दौर में सभी आर्थिक गतिविधियां जाम रहीं वहीं अलवर में ये अवैध कारोबार खूब फला फूला. ईटीवी भारत लगातार इसकी कवरेज करता रहा. इस अहम मुद्दे को लेकर संबंधित अफसरों को, विभागों को अवगत कराया. तब खनन विभाग ने अपनी मजबूरी बयान की. कहा- उसके पास अवैध खनन रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है. पहले वन विभाग को आरएसी मिली थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते आरएसी वापस ले ली गई. इसके अलावा खनन विभाग को बॉर्डर होमगार्ड मिले थे लेकिन उनको भी कोरोना महामारी के चलते वापस ले लिया गया. जिसके बाद ईटीवी भारत की खबर का असर देखने को मिला और RAC नसीब हुआ.

अवैध खनन के दर्ज मामले

बता दें, साल 2016- 17 में अवैध खनन (Illegal Mining) के 70 मामले सामने आए. साल 2017-18 में 128 मामले सामने आए. साल 2018-19 में 168 मामले सामने आए. साल 2019-20 में 184 मामले सामने आए. वहीं, अलवर में साल 2020-21 में अवैध खनन के 164 मामले सामने आए हैं.

3 साल में 15 बार हुए हमले

वन विभाग की टीम पर साल 2019 से अब तक करीब 15 बार हमले हो चुके हैं. जून माह में अवैध खनन माफियाओं ने वन विभाग की टीम पर हमला कर ट्रैक्टर चढ़ाने का भी प्रयास किया था. इससे पहले भी अवैध खनन (Illegal Mining) रोकने के लिए मौके पर पहुंचने वाले अधिकारियों पर ट्रैक्टर चढ़ाने, पथराव करने और फायरिंग करने के मामले सामने आए हैं. सभी मामलों में जांच पड़ताल चल रही है.

वहीं, कुछ मामलों में आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों के पास हथियार नहीं होते हैं. इसके अलावा वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों को कोई ट्रेनिंग भी अलग से नहीं दी जाती है. उनका कहना है कि अगर हमें पीएसी के सुरक्षा बल मिल जाते हैं तो हम अवैध खनन (Illegal Mining) करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर पाएंगे.

Last Updated : Aug 29, 2021, 12:47 PM IST
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