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कोरोना काल में यात्री भार नहीं मिलने से अलवर डिपो को हो रहा लाखों रुपए का नुकसान

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Published : May 8, 2021, 10:56 AM IST

अलवर में एक तरफ जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है, वहीं दूसरी ओर इसका असर अब राजस्थान रोडवेज की बसों पर भी दिखाई दे रहा है. जहां 40 से 50 फीसदी बसों के पहिए जाम है. वहीं रोडवेज की आय में भी 60 से 70 फीसदी तक गिरावट आई है.

अलवर डिपो को हो रहा लाखों रुपए का नुकसान, Alwar depot is losing millions of rupees
अलवर डिपो को हो रहा लाखों रुपए का नुकसान

अलवर. कोरोना संक्रमण का कहर अलवर सहित पूरा देश झेल रहा है. आए दिन कोरोना वायरस की तादाद बढ़ रही है. जिले में कोरोना का असर अब राजस्थान रोडवेज की बसों पर भी दिखाई दे रहा है. जहां 40 से 50 फीसदी बसों के पहिए जाम है. वहीं रोडवेज की आय में भी 60 से 70 फीसदी तक गिरावट आई है. कोरोना काल से पहले बसों में भारी भीड़ दिखाई देती थी. वहां अब कोरोना के चलते यात्रियों की भीड़ कम दिखाई देती है. इस समय आमजन में डर इतना बैठ गया है कि वह अब बसों में सफर नहीं कर रहे हैं, जिससे सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है.

अलवर डिपो को हो रहा लाखों रुपए का नुकसान

अलवर आगार के मुख्य प्रबंधक निशू कटारा ने बताया कि वैसे तो राजस्थान रोडवेज बसों का संचालन नियमित रूप से हो रहा है, लेकिन यात्री भार के आधार पर संचालन किया जा रहा है. यात्री भार कम होने के कारण रोडवेज की बसे निरस्त भी की जा रही है. बसों के संचालन की संख्या भी करीब 50 से 60 फीसदी तक हो गई है. इनमें सभी प्रकार की यात्री शामिल हैं. मजदूर वर्ग, विद्यार्थी वर्ग भी शामिल है. यात्री भार ज्यादा होता है और बसों की डिमांड होती है, तो उन्हें भेज दिया जाता है.

पढ़ें- कोरोना संक्रमित आसाराम जोधपुर AIIMS में शिफ्ट, ऑक्सीजन लेवल में सुधार

कोरोना गाइडलाइन की पूरी पालना की जा रही है. बिना मास्क के यात्रियों को नहीं बैठाया जा रहा है. बसों को नियमित रूप से सैनिटाइज किया जा रहा है. बस स्टैंड को भी सैनिटाइज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यात्री भार कम होने के कारण 40 से 50 फीसदी बसे निरस्त की जा चुकी हैं, जिससे राजस्थान रोडवेज के रेवेन्यू में भी काफी असर दिखाई दिया है. उन्होंने बताया कि अलवर आगार में प्रतिदिन करीब 12 लाख रुपए की आय होती थी, जो अब सिर्फ करीब 4 लाख की आय हो रही है। इसी घाटे के चलते बसों का संचालन कम किया गया है.

मत्स्य आगार में लगभग 100 बसें है, जिसमें 90 बसें संचालित होती है, लेकिन यात्री भार कम होने की वजह से बसों के रूटों पर रवानगी नहीं हो पा रही है. पहले बसों का प्रतिदिन 32 से 34 हजार किलोमीटर चलने का टारगेट होता था, जो फिलहाल 18 से 20 हजार किलोमीटर हो पा रहा है. इधर बसों के निरस्त होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- सुकेत गैंगरेप केस: पुलिस ने पेश किया चालान, 1750 पन्नों में दर्ज की जुर्म की दास्तां

जहां पहले एक रोड पर 10-10 बसे जाया करती थी. अब यात्री भार कम होने से उस मार्ग पर दो-तीन बस ही संचालित की जा रही है. जिससे यात्रियों को बस स्टैंड पर बैठकर ही समय गंवाना पड़ रहा है या फिर प्राइवेट वाहनों में धक्के खाने पड़ रहे हैं. इसमें एक कारण यह भी है राजस्व कम होने का सरकार की गाइड लाइन के अनुसार बसों में 50 फीसदी यात्री ही सफर कर सकेंगे. बता दें कि अलवर में दो आगार हैं, एक मत्स्य नगर आगार और दूसरा अलवर आगार दोनों की स्थिति इसी प्रकार है. जिसमें लाखों रुपए का सरकार को घाटा हो रहा है.

अलवर. कोरोना संक्रमण का कहर अलवर सहित पूरा देश झेल रहा है. आए दिन कोरोना वायरस की तादाद बढ़ रही है. जिले में कोरोना का असर अब राजस्थान रोडवेज की बसों पर भी दिखाई दे रहा है. जहां 40 से 50 फीसदी बसों के पहिए जाम है. वहीं रोडवेज की आय में भी 60 से 70 फीसदी तक गिरावट आई है. कोरोना काल से पहले बसों में भारी भीड़ दिखाई देती थी. वहां अब कोरोना के चलते यात्रियों की भीड़ कम दिखाई देती है. इस समय आमजन में डर इतना बैठ गया है कि वह अब बसों में सफर नहीं कर रहे हैं, जिससे सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का घाटा हो रहा है.

अलवर डिपो को हो रहा लाखों रुपए का नुकसान

अलवर आगार के मुख्य प्रबंधक निशू कटारा ने बताया कि वैसे तो राजस्थान रोडवेज बसों का संचालन नियमित रूप से हो रहा है, लेकिन यात्री भार के आधार पर संचालन किया जा रहा है. यात्री भार कम होने के कारण रोडवेज की बसे निरस्त भी की जा रही है. बसों के संचालन की संख्या भी करीब 50 से 60 फीसदी तक हो गई है. इनमें सभी प्रकार की यात्री शामिल हैं. मजदूर वर्ग, विद्यार्थी वर्ग भी शामिल है. यात्री भार ज्यादा होता है और बसों की डिमांड होती है, तो उन्हें भेज दिया जाता है.

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कोरोना गाइडलाइन की पूरी पालना की जा रही है. बिना मास्क के यात्रियों को नहीं बैठाया जा रहा है. बसों को नियमित रूप से सैनिटाइज किया जा रहा है. बस स्टैंड को भी सैनिटाइज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि यात्री भार कम होने के कारण 40 से 50 फीसदी बसे निरस्त की जा चुकी हैं, जिससे राजस्थान रोडवेज के रेवेन्यू में भी काफी असर दिखाई दिया है. उन्होंने बताया कि अलवर आगार में प्रतिदिन करीब 12 लाख रुपए की आय होती थी, जो अब सिर्फ करीब 4 लाख की आय हो रही है। इसी घाटे के चलते बसों का संचालन कम किया गया है.

मत्स्य आगार में लगभग 100 बसें है, जिसमें 90 बसें संचालित होती है, लेकिन यात्री भार कम होने की वजह से बसों के रूटों पर रवानगी नहीं हो पा रही है. पहले बसों का प्रतिदिन 32 से 34 हजार किलोमीटर चलने का टारगेट होता था, जो फिलहाल 18 से 20 हजार किलोमीटर हो पा रहा है. इधर बसों के निरस्त होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें- सुकेत गैंगरेप केस: पुलिस ने पेश किया चालान, 1750 पन्नों में दर्ज की जुर्म की दास्तां

जहां पहले एक रोड पर 10-10 बसे जाया करती थी. अब यात्री भार कम होने से उस मार्ग पर दो-तीन बस ही संचालित की जा रही है. जिससे यात्रियों को बस स्टैंड पर बैठकर ही समय गंवाना पड़ रहा है या फिर प्राइवेट वाहनों में धक्के खाने पड़ रहे हैं. इसमें एक कारण यह भी है राजस्व कम होने का सरकार की गाइड लाइन के अनुसार बसों में 50 फीसदी यात्री ही सफर कर सकेंगे. बता दें कि अलवर में दो आगार हैं, एक मत्स्य नगर आगार और दूसरा अलवर आगार दोनों की स्थिति इसी प्रकार है. जिसमें लाखों रुपए का सरकार को घाटा हो रहा है.

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