अलवर. शहर के मोती डूंगरी स्थित भारतीय जीवन बीमा निगम कार्यालय में मंगलवार को कर्मचारियों और अधिकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा बजट में भारतीय जीवन बीमा निगम के शेयर बेचने के प्रस्ताव के विरोध में 1 घंटे की हड़ताल करते हुए नारेबाजी किया और जमकर प्रदर्शन किया. बीमा कर्मियों ने नारेबाजी कर केंद्र सरकार के निजीकरण की नीति के विरोध में आंदोलन की भी चेतावनी दी है.
भारतीय जीवन बीमा निगम अलवर अध्यक्ष घनश्याम शर्मा ने बताया कि एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी के कुछ प्रतिशत अंशधारिता को पूंजी बाजार में आईपीओ के माध्यम से बेचने का जो निर्णय लिया है. उसमें भविष्य में अधिकांश शेयर अंश बिक्री का रास्ता खुल जाएगा. यह ना सिर्फ एलआईसी की मूल प्रकृति के लिए विनाशकारी कदम है. बल्कि इससे पूरे देश के करोड़ों पॉलिसी धारक प्रभावित होंगे.
जो आम लोग अपनी मेहनत की कमाई को आंख बंद करके भरोसे के साथ एलआईसी के साथ रखकर सुरक्षित महसूस करते हैं. अब वह विश्वास टूटेगा. उन्होंने कहा कि सरकार की हिस्सेदारी घटने से लाभांश घटेगा. देश की अर्थव्यवस्था में विकास को भी नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि पिछले साल सरकार के लाभांश कि यह रकम 2 हजार 6 सौ 11 करोड़ रुपए थी. यह पैसा देश के विभिन्न क्षेत्रों में विकास के काम आता है.
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एलआईसी की नीव इतनी मजबूत रही है कि बीमा क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुलने के 20 साल बाद भी एलआईसी की 70 प्रतिशत से अधिक बाजार में हिस्सेदारी है. जबकि 23 अन्य जीवन बीमा कंपनियां लगातार एलआईसी से प्रतिस्पर्धा में रही है. इस वित्तीय वर्ष में एलआईसी ने 6 प्रतिशत अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल कर 76 प्रतिशत बाजार पर कब्जा कर लिया है. एलआईसी की बढ़ोतरी बीमा उद्योग की विकास दर से बहुत ज्यादा है और दावा भुगतान क्षमता विश्वास से सबसे अधिक है.