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स्पेशल: अलवर की 'गजक' नहीं खाई तो क्या खाया, सर्दी में कराती है गर्मी का एहसास

सर्दी आते ही अलवर के बाजारों में 'गजक' नजर आने लगा है. गजक बनाने और बेचने के काम में तेजी आई है. यहां के बने हुए गजक जिले के साथ ही आसपास के बाजारों में भी प्रचलित हैं.

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सर्दी की शुरुआत होते ही सज जाता है गजक का मार्केट
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Published : Dec 5, 2019, 9:32 AM IST

Updated : Dec 5, 2019, 9:44 AM IST

अलवर. सर्दी की शुरुआत होते ही अलवर में गजब का मार्केट सज चुका है. लोग बड़ी संख्या में गजक खरीदते हुए नजर आ रहे हैं. सर्दी के मौसम में गजक का खास महत्व है. ठंड के समय गजक खाना सेहत के लिए बेहतर होता है. गजक में तिल मिला होता है, जिससे ठंडी में शरीर को गर्माहट मिलती है.

सर्दी की शुरुआत होते ही सज जाता है गजक का मार्केट

ऐसे में अलवर में बनी हुई गजक आसपास के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखती है. यहां की गजक खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग अलवर आते हैं. इस उत्पाद को आसपास के इलाकों के बाजारों तक भी पहुंचाया जाता है. अलवर की गजक स्वाद में स्वादिष्ट होती है. गजक को बुजुर्ग, बच्चे और बड़े सभी आसानी से खा सकते हैं.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: 30 साल बाद फिर शुरू हाट बाजार, लोगों के चेहरे पर दिखी खुशी

आप भी 'गजक' बनाने की प्रक्रिया जान लीजिए...

गजक को खास तकनीक से बनाया जाता है. सबसे पहले एक मशीन में गुड को पिघलाया जाता है. उसके बाद उसमें तिल मिलाए जाते हैं. तिल को गुड़ में मिलाने से पहले गर्म करके सेका जाता है. उसके बाद तिल और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं. इसके बाद की प्रक्रिया में लड्डू को तिल में कूटा जाता है, जिससे गजक तैयार होती है.

कई प्रकार के मिलते हैं गजक...

वैसे तो अलवर में मुख्य रूप से गुड़ और तिल के गजक ही प्रचलित है. ज्यादातर लोग तिल की गजक ही पसंद करते हैं. लेकिन यहां इसके अलावा गजक की और भी कई वैराइटियां बनाई जाती हैं. जो कि बाजारों में आसानी से उपलब्ध हैं. इनमें खासतौर पर शक्कर और तिल की गजक, गुड़ और मूंगफली की गजक, तिल के लड्डू, तिल और मावे की बर्फी सहित लगभग 15 प्रकार की गजक यहां बनाए जाते हैं.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: इस श्मशान घाट में नहीं लगता किसी को भय, लोग करने आते है सैर सपाटा

सर्दी के मौसम में खूब होती है डिमांड...

सर्दी के मौसम में तिल और मूंगफली और गुड़ का खास महत्व है. सेहत के लिए यह फायदेमंद होते हैं. वहीं सर्दी के मौसम में इन पदार्थों को खाने से गर्माहट मिलती है. इसलिए इसे मौसमी मिठाई और सर्दियों की मेवा भी कहा जाता है. अलवर की गजक आसपास क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है. इसलिए लोग दूर-दराज के क्षेत्रों से भी पहले खरीदने के लिए अलवर आते हैं. कुछ लोग इस कारोबार को कई पीढ़ियों से कर रहे हैं.

अलवर. सर्दी की शुरुआत होते ही अलवर में गजब का मार्केट सज चुका है. लोग बड़ी संख्या में गजक खरीदते हुए नजर आ रहे हैं. सर्दी के मौसम में गजक का खास महत्व है. ठंड के समय गजक खाना सेहत के लिए बेहतर होता है. गजक में तिल मिला होता है, जिससे ठंडी में शरीर को गर्माहट मिलती है.

सर्दी की शुरुआत होते ही सज जाता है गजक का मार्केट

ऐसे में अलवर में बनी हुई गजक आसपास के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखती है. यहां की गजक खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग अलवर आते हैं. इस उत्पाद को आसपास के इलाकों के बाजारों तक भी पहुंचाया जाता है. अलवर की गजक स्वाद में स्वादिष्ट होती है. गजक को बुजुर्ग, बच्चे और बड़े सभी आसानी से खा सकते हैं.

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आप भी 'गजक' बनाने की प्रक्रिया जान लीजिए...

गजक को खास तकनीक से बनाया जाता है. सबसे पहले एक मशीन में गुड को पिघलाया जाता है. उसके बाद उसमें तिल मिलाए जाते हैं. तिल को गुड़ में मिलाने से पहले गर्म करके सेका जाता है. उसके बाद तिल और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं. इसके बाद की प्रक्रिया में लड्डू को तिल में कूटा जाता है, जिससे गजक तैयार होती है.

कई प्रकार के मिलते हैं गजक...

वैसे तो अलवर में मुख्य रूप से गुड़ और तिल के गजक ही प्रचलित है. ज्यादातर लोग तिल की गजक ही पसंद करते हैं. लेकिन यहां इसके अलावा गजक की और भी कई वैराइटियां बनाई जाती हैं. जो कि बाजारों में आसानी से उपलब्ध हैं. इनमें खासतौर पर शक्कर और तिल की गजक, गुड़ और मूंगफली की गजक, तिल के लड्डू, तिल और मावे की बर्फी सहित लगभग 15 प्रकार की गजक यहां बनाए जाते हैं.

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सर्दी के मौसम में खूब होती है डिमांड...

सर्दी के मौसम में तिल और मूंगफली और गुड़ का खास महत्व है. सेहत के लिए यह फायदेमंद होते हैं. वहीं सर्दी के मौसम में इन पदार्थों को खाने से गर्माहट मिलती है. इसलिए इसे मौसमी मिठाई और सर्दियों की मेवा भी कहा जाता है. अलवर की गजक आसपास क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है. इसलिए लोग दूर-दराज के क्षेत्रों से भी पहले खरीदने के लिए अलवर आते हैं. कुछ लोग इस कारोबार को कई पीढ़ियों से कर रहे हैं.

Intro:अलवर
सर्दी की शुरुआत होते ही अलवर में गजब का मार्केट सज चुका है। तो वही लोग बड़ी संख्या में गजक खरीदते हुए नजर आते हैं। सर्दी के मौसम में गजक का खास महत्व है। गजक सेहत के लिए बेहतर होती है। तो वही गजक में तिल होने के कारण तिल शरीर को गर्माहट देते हैं।


Body:अलवर की गजक आसपास के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखती है। लोग गजक खरीदने के लिए दूर-दूर से अलवर आते हैं। अलवर की गजक स्वाद में स्वादिष्ट होती है व गजब को बुजुर्ग बच्चे व बड़े सभी आसानी से खा सकते हैं। गजक को खास तकनीक से बनाया जाता है। सबसे पहले एक मशीन में गुड को पिघलाया जाता है। उसके बाद उसमें तिल मिलाए जाते हैं। तिल को गजल मिलाने से पहले गर्म करके सेका जाता है। उसके बाद तिल के लड्डू बनाकर उनको तिल में कूटा जाता है। जिससे गजक तैयार होती है। तो वहीं इसके अलावा गुड़ व मूंगफली की गजक, तिल के लड्डू, तिल व मावे की बर्फी सहित 10 से 15 तरह के व्यंजन दिल के तैयार की जाते हैं। सर्दी के मौसम में इनकी डिमांड बढ़ जाती है। तो वही लोग भी जमकर खरीदारी करते हैं।


Conclusion:सर्दी के मौसम में तिल व मूंगफली और गुड़ का खास महत्व है। सेहत के लिए यह फायदेमंद होते हैं। तो वहीं सर्दी के मौसम में इन व्यंजनों को खाने से गर्माहट मिलती है। इसलिए इसे मोसमी मिठाई व सर्दियों की मेवा भी कहा जाता है। अलवर की गजक आसपास क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है। इसलिए लोग दूर-दराज के क्षेत्रों से भी पहले खरीदने के लिए अलवर आते हैं। कुछ लोग इस कारोबार को कई पीढ़ियों से कर रहे हैं। उन्होंने कहा अलवर की गजल देश के विभिन्न शहरों में भी जाती है।

बाइट- शिवलाल सैनी, गजक कारोबारी
बाइट-दिनेश, गजक व्यापारी
Last Updated : Dec 5, 2019, 9:44 AM IST
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