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Forest Area Reduced in Ranthambore and Sariska : राजस्थान के रणथंभौर व सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन क्षेत्र घटा, ऐसे हुआ खुलासा... - Removal of Solanaceous Acacia in Sariska

देश-विदेश में जंगल के लिए अपनी खास पहचान रखने वाले रणथंभौर व सरिस्का टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र में कमी (Forest Area Reduced in Ranthambore and Sariska) दर्ज की गई है. जबकि 2019 की तुलना में राज्य के अन्य हिस्सों में 25.45 वर्ग किलोमीटर की मामूली वृद्धि हुई है. नुकसान का एक बड़ा हिस्सा खुले वन क्षेत्रों में था, जो वन्यजीव अभयारण्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

Forest Area Reduced in Ranthambore and Sariska
राजस्थान के रणथंभौर व सरिस्का टाइगर रिजर्व में वन क्षेत्र घटा
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Published : Jan 24, 2022, 6:03 PM IST

अलवर. भारतीय वन राज्य रिपोर्ट, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से हाल ही में एक रिपोर्ट (Ministry of Environment and Climate Change Report) जारी की गई है. भारतीय वन सर्वेक्षण के द्विवार्षिक प्रकाशन के अनुसार रणथंभौर में 44.57 वर्ग किलोमीटर और सरिस्का में 15.95 वर्ग किलोमीटर के हरित आवरण के कुल क्षेत्रफल में कमी आई है. सरकार की पुरानी डिजिटल रिपोर्ट के अनुसार टाइगर रिजर्व सीमा के क्षेत्रों के संबंध में वन क्षेत्र रणथंभौर में 45.39 प्रतिशत और सरिस्का में 66.83 प्रतिशत था. यह चिंता की बात है कि जंगल में जंगल क्षेत्र कम हो रहा है.

हालांकि, वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सरिस्का क्षेत्र में सरकार के आदेश पर विलायती बबूल को हटाने का काम (Removal of Solanaceous Acacia in Sariska) किया गया है. जिस क्षेत्र से विलायती बबूल हटी है, उस क्षेत्र को जंगल विहीन माना गया है. जबकि रणथंभौर में गांव का रीलोकेशन करने के लिए पेड़ों को हटाया गया है. अलवर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और जयपुर जिलों में घने जंगल के साथ भूमि के पैच पाए गए और उनका आकार 78.15 वर्ग किलोमीटर पर अपरिवर्तित रहा. जबकि मामूली घने और खुले वन क्षेत्र में कुछ परिवर्तन मिला है.

पढ़ें : Health Monitoring in Ranthambore Chambal Gharial: राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य में की गई घड़ियालों और बर्ड की हैल्थ मॉनिटरिंग

केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कुल 16,645.96 वर्ग किलोमीटर के हरित क्षेत्र में राज्य के कुल क्षेत्रफल का 4.87 प्रतिशत शामिल था. रिपोर्ट में विभिन्न श्रेणियों में दर्ज वन क्षेत्र के अंदर और बाहर वन क्षेत्र के विस्तार का विश्लेषण किया गया है. उसमें साफ है कि प्रदेशभर में हरित आवरण में 2545 वर्ग किलोमीटर की मामूली वृद्धि हुई है. इसके अलावा पेड़ों की पांच आक्रामक प्रजातियों ने दर्ज वन क्षेत्र के कुल 511 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं.

More places Map of रणथंभौर  रणथम्भोर दुर्ग - विकिपीडियाhttps://hi.wikipedia.org › wiki › रणथ...· Translate this page रणथम्भौर का किला ... और उसके बाद से उनके कई उत्तराधिकारियों ने रणथंभौर किले के निर्माण ... स्थान: सवाई माधोपुर, ‎राजस्थान‎, ‎भा...‎ युनेस्को क्षेत्र: दक्षिण एशिया प्रकार: सांस्कृतिक शिलालेख: 2013 (36th सत्र)‎ ‎इतिहास · ‎निर्माण काल · ‎शासक · ‎आक्रमण  रणथम्भोर राष्ट्रीय उद्यान - विकिपीडियाhttps://hi.wikipedia.org › wiki › रणथ...· Translate this page रणथंभौर को भारत सरकार द्वारा 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया ... Videos  3:50 रणथंभौर किले का इतिहास || Ranthambore Fort history in Hindi ... YouTube · Rare Facts 28-Nov-2018  PREVIEW 20:56 Ground Report - Ranthambhore | रणथंभौर YouTube · Sansad TV 01-Oct-2019  PREVIEW 20:30 Ranthambore किले की history जान आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे ... YouTube · The Lallantop 07-Dec-2018 View all  राजस्थान के रणथंभौर में हैं घूमने की कई बेहतरीन जगह, आप भी इन 7 ...https://navbharattimes.indiatimes.com › ...· Translate this page 18-Aug-2021 — रणथंभौर का किला - Ranthambore Fort in Hindi. -ranthambore-fort-in-hindi. रणथंभौर में घूमने के लिए सबसे ...  रणथम्भौर क़िला - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागरhttps://m.bharatdiscovery.org › india· Translate this page रणथम्भौर क़िला (अंग्रेज़ी: Ranthambore Fort) राजस्थान के सवाईमाधोपुर ज़िले में स्थित प्राचीन ...  History of Ranthambore Fort in Hindi - रणथंभौर किले का इतिहास ...https://historyofindia1.com › history-...· Translate this page Ranthambore Fort राजस्थान का एक बहुत ही शानदार किला है जो राज्य के रणथंभौर में स्थित चौहान ... किले का नाम: रणथंभौर किला दरवाजे के नाम: नवलाखा पोल, हथिया प... किले के दरवाजे: 7 दरवाजे निर्माण: ई.स 944  रणथम्भौर दुर्ग का इतिहास Ranthambore Fort - Skill Educationhttps://skilleducation.org › रणथम्भ...· Translate this page 11-Sept-2021 — सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथमRanthambore national park in Rajasthan
लाखों पर्यटक आते हैं रणथंभौर...

यहां वन और वन्यजीव विशेषज्ञों ने कृषि के लिए अतिक्रमण और व्यापक क्षेत्रों में जानवरों के अनियंत्रित चराई के लिए वन क्षेत्र के सिकुड़ते आकार को जिम्मेदार ठहराया है. वन प्रेमियों व विशेषज्ञों के अनुसार चारागाह भूमि काफी हद तक नष्ट हो गई थी. इसलिए वन भूमि पर चराई का अत्यधिक दबाव था. जहां भी जंगल में विस्तार दिखाई दे रहा था, उस क्षेत्र में झाड़ियां ज्यादा हैं. इससे वन्यजीव व वातावरण को कोई फायदा नहीं मिलता है.

रणथंभौर व सरिस्का का खास स्थान...

देश-विदेश से लाखों लोग घूमने और जंगल का आनंद लेने के लिए (Tourist Places in Rajasthan) रणथंभौर व सरिस्का आते हैं. दोनों ही जगहें अपना खास स्थान रखती हैं और दोनों ही टाइगर रिजर्व हैं. यहां पर हजारों प्रकार के पौधों-वनस्पतियों की प्रजातियां हैं. साथ ही बाघ, पैंथर, नीलगाय, हिरण, सांभर सहित फनी जीवों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं.

पढ़ें : Ranthambore National Park : बाघिन सुल्ताना के अटैक ने उठाए सुरक्षा इंतजामों पर सवाल..इस हादसे के दिन ही अजय माकन ने भी सपरिवार की थी जंगल सफारी

जिम्मेदार अधिकारियों ने यह कहा...

वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा कि सरिस्का में विलायती बबूल को जंगल से हटाया गया है. विलायती बबूल हटाने का काम बड़े स्तर पर चलता है. विलायती बबूल को जड़ से उखाड़ा जाता है. तीन साल तक यह प्रक्रिया चलती है. विलायती बबूल अपने आसपास के क्षेत्र को बंजर बना देता है. अन्य पेड़-पौधों को पनपने नहीं देता है व वनस्पतियों को समाप्त करता है. इसलिए बड़े स्तर पर तेजी से फैलते विलायती बबूल को हटाने की प्रक्रिया चल रही है. जिस भूमि से विलायती बबूल को हटाया गया है, उस जगह पर प्लांटेशन का काम भी चल रहा है. जबकि रणथंभौर में गांव को रीलोकेट किया गया है. इसलिए पेड़-पौधों को हटाकर वहां बस्ती बसाई गई है, जिसके कारण वन क्षेत्र कम हुआ है.

पढ़ें : सरिस्का में बाघों की संदिग्ध मौतों से उठने लगे सवाल, पहले भी हो चुकी है टाइगर रिजर्व को बदनाम करने की साजिश

हर साल लगाए जाते हैं पौधे...

वन विभाग की तरफ से हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन उनमें से आधे पेड़ ही लग पाते हैं. लाखों पौधे नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा हाईवे व नए सड़क मार्गों के लिए भी (Trees Cutting for Highway Construction in Rajasthan) लाखों पेड़ काटने की प्रक्रिया होती है.

अलवर. भारतीय वन राज्य रिपोर्ट, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से हाल ही में एक रिपोर्ट (Ministry of Environment and Climate Change Report) जारी की गई है. भारतीय वन सर्वेक्षण के द्विवार्षिक प्रकाशन के अनुसार रणथंभौर में 44.57 वर्ग किलोमीटर और सरिस्का में 15.95 वर्ग किलोमीटर के हरित आवरण के कुल क्षेत्रफल में कमी आई है. सरकार की पुरानी डिजिटल रिपोर्ट के अनुसार टाइगर रिजर्व सीमा के क्षेत्रों के संबंध में वन क्षेत्र रणथंभौर में 45.39 प्रतिशत और सरिस्का में 66.83 प्रतिशत था. यह चिंता की बात है कि जंगल में जंगल क्षेत्र कम हो रहा है.

हालांकि, वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सरिस्का क्षेत्र में सरकार के आदेश पर विलायती बबूल को हटाने का काम (Removal of Solanaceous Acacia in Sariska) किया गया है. जिस क्षेत्र से विलायती बबूल हटी है, उस क्षेत्र को जंगल विहीन माना गया है. जबकि रणथंभौर में गांव का रीलोकेशन करने के लिए पेड़ों को हटाया गया है. अलवर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और जयपुर जिलों में घने जंगल के साथ भूमि के पैच पाए गए और उनका आकार 78.15 वर्ग किलोमीटर पर अपरिवर्तित रहा. जबकि मामूली घने और खुले वन क्षेत्र में कुछ परिवर्तन मिला है.

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केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कुल 16,645.96 वर्ग किलोमीटर के हरित क्षेत्र में राज्य के कुल क्षेत्रफल का 4.87 प्रतिशत शामिल था. रिपोर्ट में विभिन्न श्रेणियों में दर्ज वन क्षेत्र के अंदर और बाहर वन क्षेत्र के विस्तार का विश्लेषण किया गया है. उसमें साफ है कि प्रदेशभर में हरित आवरण में 2545 वर्ग किलोमीटर की मामूली वृद्धि हुई है. इसके अलावा पेड़ों की पांच आक्रामक प्रजातियों ने दर्ज वन क्षेत्र के कुल 511 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं.

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यहां वन और वन्यजीव विशेषज्ञों ने कृषि के लिए अतिक्रमण और व्यापक क्षेत्रों में जानवरों के अनियंत्रित चराई के लिए वन क्षेत्र के सिकुड़ते आकार को जिम्मेदार ठहराया है. वन प्रेमियों व विशेषज्ञों के अनुसार चारागाह भूमि काफी हद तक नष्ट हो गई थी. इसलिए वन भूमि पर चराई का अत्यधिक दबाव था. जहां भी जंगल में विस्तार दिखाई दे रहा था, उस क्षेत्र में झाड़ियां ज्यादा हैं. इससे वन्यजीव व वातावरण को कोई फायदा नहीं मिलता है.

रणथंभौर व सरिस्का का खास स्थान...

देश-विदेश से लाखों लोग घूमने और जंगल का आनंद लेने के लिए (Tourist Places in Rajasthan) रणथंभौर व सरिस्का आते हैं. दोनों ही जगहें अपना खास स्थान रखती हैं और दोनों ही टाइगर रिजर्व हैं. यहां पर हजारों प्रकार के पौधों-वनस्पतियों की प्रजातियां हैं. साथ ही बाघ, पैंथर, नीलगाय, हिरण, सांभर सहित फनी जीवों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं.

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जिम्मेदार अधिकारियों ने यह कहा...

वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा कि सरिस्का में विलायती बबूल को जंगल से हटाया गया है. विलायती बबूल हटाने का काम बड़े स्तर पर चलता है. विलायती बबूल को जड़ से उखाड़ा जाता है. तीन साल तक यह प्रक्रिया चलती है. विलायती बबूल अपने आसपास के क्षेत्र को बंजर बना देता है. अन्य पेड़-पौधों को पनपने नहीं देता है व वनस्पतियों को समाप्त करता है. इसलिए बड़े स्तर पर तेजी से फैलते विलायती बबूल को हटाने की प्रक्रिया चल रही है. जिस भूमि से विलायती बबूल को हटाया गया है, उस जगह पर प्लांटेशन का काम भी चल रहा है. जबकि रणथंभौर में गांव को रीलोकेट किया गया है. इसलिए पेड़-पौधों को हटाकर वहां बस्ती बसाई गई है, जिसके कारण वन क्षेत्र कम हुआ है.

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हर साल लगाए जाते हैं पौधे...

वन विभाग की तरफ से हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन उनमें से आधे पेड़ ही लग पाते हैं. लाखों पौधे नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा हाईवे व नए सड़क मार्गों के लिए भी (Trees Cutting for Highway Construction in Rajasthan) लाखों पेड़ काटने की प्रक्रिया होती है.

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