अलवर. जिले के जंगलों की हरियाली बरकरार रखने के लिए सालों पहले विदेशी धरती से विदेशी बबूल के बीज लाकर अलवर सहित आसपास क्षेत्र में फेंके गए थे. तेजी से यह बबूल जिले भर में फैल चुकी है. लेकिन यह बबूल अब अलवर की जमीन को बंजर कर रही है. तेजी से बबूल के पेड़ पढ़ रहे हैं और अन्य पेड़ों को समाप्त कर रहे हैं. इसके पानी और खाद की आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पेड़ तेजी से फैलते हैं. विदेशी बबूल से ना तो छांव मिलती है ना ही कोई फल मिलता है. ऐसे में अलवर की जंगल को यह तेजी से समाप्त कर रही है. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कई बार विदेशी बबूल हटाकर अन्य पौधे लगाने का फैसला लिया गया.
वहीं, प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस संबंध में आदेश भी निकाले, लेकिन उसके बाद भी आज तक कोई सुधार नहीं हुआ. विशेषज्ञों की मानें तो विदेशी बबूल को पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती है. यह कंपनी में भी हरी भरी नजर आती है. लेकिन इसका एक पौधा अपने आसपास के अन्य फिर भी पौधों को पूरी तरीके से समाप्त कर देता है.
दरअसल, वन विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले में 40 प्रतिशत हिस्से में विदेशी बबूल फैली हुई है. विदेशी बबूल में होने वाली फली से बीज निकलता है. ऐसे में यह बीज जीवज सेवा केके साथ एक जगह से दूसरी जगह पर फैलता है तो. जानवर भी इसे खाते हैं. ऐसे में जानवरों के माध्यम से भी इसका भी एक जगह से दूसरे घर पर जाता है. इसलिए अलवर में विदेशी बबूल तेजी से फैल रही है.