अलवर. सोमवार यानि 17 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया गया, जिसके चलते अलवर के एडवांस न्यूरोलॉजी सेंटर में मिर्गी जागरूकता अभियान कार्यक्रम चलाया गया. इसमें न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित खंडेलवाल ने बताया कि मिर्गी मस्तिष्क की बीमारी है, जो एक दूसरे में नहीं फैलती. दुनिया भर में करीब 50 मिलियन लोग इससे ग्रस्त हैं, जिसमें से अधिकतर विकासशील देशों के निवासी हैं.
खंडेलवाल ने बताया कि भारत में 12 मिलियन से अधिक लोगों को मिर्गी की बीमारी है. भारत में करीब 2.73 मिलियन महिला मिर्गी से ग्रस्त हैं और इनमें से 52 प्रतिशत प्रजनन 15 से 49 आयु के हैं. अनुमान के अनुसार तीन मिलियन लोग ऐसे हैं, जिन पर दवा का असर नहीं होता. 1 मिलियन यानि 10 लाख लोग भारत में ऐसे संभावित लोग हैं, जिनकी मिर्गी से संबंधित सर्जरी की जा सकती है.
क्या होता है मिर्गी के दौरे में
डॉक्टर ने बताया कि बार-बार पड़ने वाले दौरों को मिर्गी कहा जाता है, जो कि व्यक्ति के शरीर को थोड़ी देर के लिए झकझोर देता है या इसमें पूरा शरीर हिल जाता है. उन्होंने बताया कि कुछ एक बार इसमें होश नहीं रहता और मल-मूत्र आदि भी निकल जाता है. फिर भी यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि दौरा मिर्गी का ही हो, यह जरूरी नहीं है. उन्होंने बताया कि मिर्गी उसे कहा जाता है, जब अकारण ही दो या अधिक दौरे पड़े.
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छुआछूत की बीमारी नहीं है मिर्गी
उन्होंने बताया कि मिर्गी साधारण बीमारी है. इसमें मुख्य रूप से जागरूकता की कमी के कारण लोग गलत धारणा लेकर बैठे हैं. यह कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है और ना ही कोई जादू टोने या किसी अन्य तरीके से इसका इलाज हो सकता है. सामान्य तरीके से इलाज हो सकता है और प्रारंभिक उपायों से मिर्गी के रोगी को ठीक किया जा सकता है.