अलवर. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजीव गांधी सामान्य अस्पताल, जनाना अस्पताल और गीतानंद शिशु अस्पताल में सफाई कर्मी, वार्डब्याय, गार्ड और ठेके पर लगे अन्य कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है. जिसके चलते तीनों अस्पताल में भर्ती सैकड़ों मरीज व उनके परिजन गंदगी व बदबू से परेशान हैं.
कर्मचारियों ने ठेकेदार और अस्पताल प्रशासन पर धांधली का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 2 महीने से वेतन नहीं मिला है. ठेकेदार उनका पीएफ का पैसा जमा नहीं करता है. इसके अलावा एक साल से उनको एरियर का पैसा भी नहीं मिला है. जबकि, कोविड समय में भी कर्मचारियों ने बेहतर काम किया था फिर भी उसका भी अभी तक किसी तरह का कोई पैसा कर्मचारियों तक नहीं पहुंचा है.
पढ़ें- भारत ने रचा इतिहास, 100 करोड़ डोज का आंकड़ा पार
700 से ज्यादा मरीज हैं भर्ती
अलवर जिले के 3 सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में 700 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं. तीनों अस्पतालों में ठेके पर लगे कर्मचारियों ने काम बंद करके हड़ताल कर दी है. ऐसे में वहां भर्ती मरीज व उनके परिजन परेशान हैं. अस्पताल में सुबह से सफाई नहीं हुई है. चारों तरफ कचरे के ढेर लगे हुए हैं. ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. तीनों अस्पताल में 123 वार्डब्याय ठेके पर लगे हुए हैं. इसके अलावा 110 सफाई कर्मचारी लगे हुए हैं.
44 सुरक्षा गार्ड तीनों अस्पताल में तैनात हैं. इसके अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर व अन्य विभिन्न पदों पर कर्मचारी कंपनी के माध्यम से ठेके पर लगे हुए हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि 8 महीने से कंपनी ने उनके एरियर का पैसा नहीं दिया है. कंप्यूटर ऑपरेटर व अन्य कर्मचारियों को 2 माह का वेतन नहीं मिला है. 1 साल से उनके पीएफ खाते में कंपनी ने पैसे जमा नहीं किए गए हैं. साथ ही कर्मचारियों को कंपनी की तरफ से गलत पीएफ नंबर दिया गया है.
यह भी पढ़ें- थम गई जयपुर शहर की लाइफलाइन, 9 सूत्रीय मांगों को लेकर 1140 कर्मचारी हड़ताल पर
अस्पताल प्रशासन पर आरोप
कर्मचारियों ने कहा कि हड़ताल करने पर अस्पताल प्रशासन नौकरी से निकालने की धमकी देता है. इस संबंध में जब ठेकेदार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने अभी तक उनके बिल पास नहीं की है. जबकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सारा पैसा कंपनी को दिया जा चुका है. ऐसे में ठेके पर लगे कर्मचारी परेशान हो रहे हैं.
कर्मचारियों ने कहा कि 4 साल से उनको पीएफ का भुगतान नहीं हुआ है. हर साल कंपनी आती है व कर्मचारियों का पैसा खा कर चली जाती है. लेकिन जिला प्रशासन व अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाई जाते हैं. ऐसे में साफ है कि प्रशासन व कंपनी की सांठगांठ से या खेल चल रहा है. कर्मचारियों को जो वेतन मिलता है, उसमें से भी ठेकेदार पैसे काट लेता है. कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाता है. इस संबंध में कई बार कर्मचारी हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन हर बार अस्पताल प्रशासन झूठा आश्वासन देकर उनकी हड़ताल समाप्त करवा देता है.
यह भी पढ़ें- Fuel Price Today :पेट्रोल और डीजल के दामों में फिर लगी 'आग', जानें आज का रेट
चारों तरफ लगे हैं कचरे के ढेर
वहीं कर्मचारियों की हड़ताल से अस्पताल में भर्ती मरीज परेशान हैं. साथ ही उनके परिजनों का कहना है कि गंदगी व बदबू से यहां रुकने में समस्या हो रही है. चारों तरफ कचरे के ढेर लगे हुए हैं. शौचालयों में हालात बेहद खराब है. सुबह से मरीज शौच नहीं गए हैं. इस संबंध में कई बार अस्पताल प्रशासन से शिकायत कर दी गई है. लेकिन उसके बाद भी अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है.