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स्पेशल: अलवर की मिट्टी से बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...कोरोना के चलते कामकाज ठप

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Published : Oct 6, 2020, 4:27 PM IST

अलवर की मिट्टी की बनी मूर्तियां और सजावटी सामान देश-विदेश में अपनी अलग पहचान रखते हैं. यहां बने स्टैचू, मूर्ति, खिलौने और अन्य मिट्टी के सामान 20 देशों से ज्यादा देशों में सप्लाई होते हैं, लेकिन इस साल कोरोना के चलते यह कारोबार पूरी तरह से ठप हो चुका है. डिमांड समाप्त हो चुकी है तो वहीं घरेलू जरूरत के हिसाब से सामान बनाया जा रहा है. जबकि प्रत्येक त्योहार पर अलग जरूरत के हिसाब से सामान तैयार होता है. इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों को दिवाली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन दिवाली में भी लोगों को राहत नहीं मिली है. देखिये ये रिपोर्ट...

मिट्टी की मूर्तियां  मूर्तिकारों पर कोरोना का प्रभाव  मिट्टी के सामान  मूर्तिकारों का कामकाज ठप  मूर्तिकारों पर रोजी रोटी का संकट  alwar news  rajasthan news  effect of corona on sculptors  Clay sculptures  Corona influence on sculptors  Earthenware  Sculptors work stalled  Crisis of living bread on sculptors
मिट्टी की बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान

अलवर. गणेश चतुर्थी के समय गणेश जी, दुर्गा पूजा के समय दुर्गा की मूर्ति और दिवाली के समय लक्ष्मी गणेश जी व इसके अलावा सजावटी सामान में काम आने वाले विशेष तरह के सजावटी सामान अलवर की मिट्टी से बनाए जाते हैं. अलवर की मिट्टी चिकनी होती है, इसलिए इस मिट्टी में यह सामान खान से बेहतर सदस्य तैयार होते हैं. इस कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि अलवर में बना हुआ सामान देश-विदेश में सप्लाई होता है. करीब 20 से भी ज्यादा देशों में इसकी डिमांड है. वैसे तो साल भर आने वाले ऑर्डर के हिसाब से माल तैयार होता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते हालात खराब है. कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका है. विदेशों से आने वाले ऑर्डर भी इस साल नहीं आए हैं. ऐसे में हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इन लोगों को दिवाली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन कोरोना के चलते इस बार दिवाली भी फीकी रहेगी.

मिट्टी की बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...

इस काम में जुड़े हुए लोगों ने बताया की मूर्ति बनाने का काम खासा मेहनत का काम है. पहले अलग-अलग जगह से मिट्टी लाकर उसको मिक्स किया जाता है. उसके बाद मिट्टी को बारीक किया जाता है और पानी में भिगोया जाता है. इसके बाद मिट्टी मुलायम होती है फिर उसको सांचे में डालकर अलग-अलग शेप के डिजाइनर सामान तैयार किए जाते हैं. चाक पर कई तरह के बर्तन, मूर्ति और अन्य सजावटी पोर्ट भी तैयार होते हैं. इस गांव में दुकानदार से लेकर व्यापारी तक सभी लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सभी का काम ठप है.

यह भी पढ़ें: Special: ब्लड कलेक्शन पर कोरोना की मार, गत वर्ष की तुलना में आधा हुआ ब्लड स्टोरेज

बाहर से आने वाले ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं, जबकि स्थानीय बाजारों में भी डिमांड कम हो गई है. दरसअल, प्रशासन की तरफ से त्योहारों के सीजन पर लगने वाली दुकानें भी नहीं लगाई जा रही हैं. इसके अलावा आए दिन बाजार बंद करवाने भीड़-भाड़ नहीं रखने सहित कई गाइडलाइन भी प्रशासन की तरफ से जारी की गई है, जिनकी पालना में खासा समय लगता है. वहीं छोटे दुकानदार उन गाइडलाइन को पूरा नहीं कर पाते हैं. ऐसे में दुकानदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसलिए सभी का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. गणेश चतुर्थी सहित अब तक के सभी त्योहार और कार्यक्रम बेकार रहे. लोगों को इस बार दीपावली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन दिवाली का त्योहार भी इस बार फीका रहने की उम्मीद है.

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मिट्टी की बनी मूर्तियां...

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हजारों लोगों का व्यवसाय हो रहा है प्रभावित...

मूर्ति बनाने वाले और बेचने वालों से लेकर इस व्यापार से हजारों लोग जुड़े हुए हैं, जिनकी रोजी-रोटी त्योहारों के ऊपर निर्भर रहती है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सभी त्योहार फीके हैं. वहीं लोगों को दिवाली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन दिवाली पर भी कामकाज खास नहीं रहने की उम्मीद है. क्योंकि अभी तक लोगों के पास दुकानदार और व्यापारियों के ऑर्डर नहीं आए हैं.

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लागत में हो रही बढ़ोतरी, कीमत में आ रही कमी...

इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों ने बताया कि डिमांड नहीं होने के कारण कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है. जबकि सामान महंगे हो रहे हैं. इससे लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है, जो डिजाइनर दीपक पहले पांच रुपए का तैयार होकर दुकानदार को दिया जाता था. वो आज चार रुपए में तैयार होकर दुकानदार को दिया जा रहा है. लेकिन उसके बाद भी दुकानदार खरीदने के लिए तैयार नहीं है.

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हजारों लोगों का व्यवसाय हो रहा है प्रभावित...

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नहीं मिली सरकार की कोई मदद...

इस व्यापार से जुड़े हुए लोगों ने कहा कि सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन असल में आम इंसान तक सरकार की कोई मदद नहीं पहुंची है. कुछ लोगों को बीपीएल योजना के तहत राशन जरूर मिला है. लेकिन वो भी एक सतत प्रक्रिया है. हर साल मिलता है, इस बार सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए देने के दावे किए जा रहे थे. लेकिन आम इंसान तक किसी भी तरह की कोई मदद नहीं पहुंच पाई है.

अलवर. गणेश चतुर्थी के समय गणेश जी, दुर्गा पूजा के समय दुर्गा की मूर्ति और दिवाली के समय लक्ष्मी गणेश जी व इसके अलावा सजावटी सामान में काम आने वाले विशेष तरह के सजावटी सामान अलवर की मिट्टी से बनाए जाते हैं. अलवर की मिट्टी चिकनी होती है, इसलिए इस मिट्टी में यह सामान खान से बेहतर सदस्य तैयार होते हैं. इस कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि अलवर में बना हुआ सामान देश-विदेश में सप्लाई होता है. करीब 20 से भी ज्यादा देशों में इसकी डिमांड है. वैसे तो साल भर आने वाले ऑर्डर के हिसाब से माल तैयार होता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते हालात खराब है. कामकाज पूरी तरह से ठप हो चुका है. विदेशों से आने वाले ऑर्डर भी इस साल नहीं आए हैं. ऐसे में हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इन लोगों को दिवाली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन कोरोना के चलते इस बार दिवाली भी फीकी रहेगी.

मिट्टी की बनी मूर्तियां रखती हैं विशेष पहचान...

इस काम में जुड़े हुए लोगों ने बताया की मूर्ति बनाने का काम खासा मेहनत का काम है. पहले अलग-अलग जगह से मिट्टी लाकर उसको मिक्स किया जाता है. उसके बाद मिट्टी को बारीक किया जाता है और पानी में भिगोया जाता है. इसके बाद मिट्टी मुलायम होती है फिर उसको सांचे में डालकर अलग-अलग शेप के डिजाइनर सामान तैयार किए जाते हैं. चाक पर कई तरह के बर्तन, मूर्ति और अन्य सजावटी पोर्ट भी तैयार होते हैं. इस गांव में दुकानदार से लेकर व्यापारी तक सभी लोग जुड़े हुए हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सभी का काम ठप है.

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बाहर से आने वाले ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं, जबकि स्थानीय बाजारों में भी डिमांड कम हो गई है. दरसअल, प्रशासन की तरफ से त्योहारों के सीजन पर लगने वाली दुकानें भी नहीं लगाई जा रही हैं. इसके अलावा आए दिन बाजार बंद करवाने भीड़-भाड़ नहीं रखने सहित कई गाइडलाइन भी प्रशासन की तरफ से जारी की गई है, जिनकी पालना में खासा समय लगता है. वहीं छोटे दुकानदार उन गाइडलाइन को पूरा नहीं कर पाते हैं. ऐसे में दुकानदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसलिए सभी का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. गणेश चतुर्थी सहित अब तक के सभी त्योहार और कार्यक्रम बेकार रहे. लोगों को इस बार दीपावली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन दिवाली का त्योहार भी इस बार फीका रहने की उम्मीद है.

मिट्टी की मूर्तियां  मूर्तिकारों पर कोरोना का प्रभाव  मिट्टी के सामान  मूर्तिकारों का कामकाज ठप  मूर्तिकारों पर रोजी रोटी का संकट  alwar news  rajasthan news  effect of corona on sculptors  Clay sculptures  Corona influence on sculptors  Earthenware  Sculptors work stalled  Crisis of living bread on sculptors
मिट्टी की बनी मूर्तियां...

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हजारों लोगों का व्यवसाय हो रहा है प्रभावित...

मूर्ति बनाने वाले और बेचने वालों से लेकर इस व्यापार से हजारों लोग जुड़े हुए हैं, जिनकी रोजी-रोटी त्योहारों के ऊपर निर्भर रहती है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते सभी त्योहार फीके हैं. वहीं लोगों को दिवाली से खासी उम्मीदें थी, लेकिन दिवाली पर भी कामकाज खास नहीं रहने की उम्मीद है. क्योंकि अभी तक लोगों के पास दुकानदार और व्यापारियों के ऑर्डर नहीं आए हैं.

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लागत में हो रही बढ़ोतरी, कीमत में आ रही कमी...

इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों ने बताया कि डिमांड नहीं होने के कारण कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है. जबकि सामान महंगे हो रहे हैं. इससे लागत में भी बढ़ोतरी हो रही है, जो डिजाइनर दीपक पहले पांच रुपए का तैयार होकर दुकानदार को दिया जाता था. वो आज चार रुपए में तैयार होकर दुकानदार को दिया जा रहा है. लेकिन उसके बाद भी दुकानदार खरीदने के लिए तैयार नहीं है.

मिट्टी की मूर्तियां  मूर्तिकारों पर कोरोना का प्रभाव  मिट्टी के सामान  मूर्तिकारों का कामकाज ठप  मूर्तिकारों पर रोजी रोटी का संकट  alwar news  rajasthan news  effect of corona on sculptors  Clay sculptures  Corona influence on sculptors  Earthenware  Sculptors work stalled  Crisis of living bread on sculptors
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नहीं मिली सरकार की कोई मदद...

इस व्यापार से जुड़े हुए लोगों ने कहा कि सरकार की तरफ से बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन असल में आम इंसान तक सरकार की कोई मदद नहीं पहुंची है. कुछ लोगों को बीपीएल योजना के तहत राशन जरूर मिला है. लेकिन वो भी एक सतत प्रक्रिया है. हर साल मिलता है, इस बार सरकार की तरफ से करोड़ों रुपए देने के दावे किए जा रहे थे. लेकिन आम इंसान तक किसी भी तरह की कोई मदद नहीं पहुंच पाई है.

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