अलवर. मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में अंतर आने के कारण यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाने लगा है. इस बार सूर्य मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहे हैं. इसलिए हिंदू पंचांग के मुताबिक इस पर्व को 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन का खास महत्व होता है.
पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया कि इस बार 14 जनवरी को रात 2 बजकर 08 मिनट पर मकर संक्रांति प्रवेश करेगी. उन्होंने बताया कि इस पर्व को धर्म प्रधान माना जाता है. इस दिन लोग जमकर दान-पुण्य करते हैं. इसका मनुष्य के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
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उन्होंने कहा कि तिल मोक्ष देने वाला होता है. इसलिए इस दिन तिल के दान का विशेष महत्व होता है. वहीं लोग गाय, गरीब व किसी को भी दान कर सकते हैं. जरूरतमंद को दान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है. उनका कहना रहा कि मकर संक्रांति के बाद राशियों की चाल भी बदल जाती है. ऐसे में कई राशियों पर प्रभाव लाभदायक तो कुछ का परेशानी वाला समय शुरू हो जाता है.