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मकर संक्रांति के मौके पर तिल के दान का है विशेष महत्व : पंडित शर्मा - Makar Sankranti speacial in alwar

मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है. लेकिन इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति के मौके पर दान-पुण्य का खास महत्व होता है. पंडितों के अनुसार इस दिन तिल का दान आने वाले जीवन के लिए काफी लाभदायक व बेहतर माना गया है.

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पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
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Published : Jan 14, 2020, 6:51 AM IST

अलवर. मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में अंतर आने के कारण यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाने लगा है. इस बार सूर्य मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहे हैं. इसलिए हिंदू पंचांग के मुताबिक इस पर्व को 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन का खास महत्व होता है.

पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया कि इस बार 14 जनवरी को रात 2 बजकर 08 मिनट पर मकर संक्रांति प्रवेश करेगी. उन्होंने बताया कि इस पर्व को धर्म प्रधान माना जाता है. इस दिन लोग जमकर दान-पुण्य करते हैं. इसका मनुष्य के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

यह भी पढ़ें : मकर संक्रांति विशेष : जानिए कैसे मनाया जाता है अलवर में यह त्यौहार, क्या है इस पर्व का महत्व

उन्होंने कहा कि तिल मोक्ष देने वाला होता है. इसलिए इस दिन तिल के दान का विशेष महत्व होता है. वहीं लोग गाय, गरीब व किसी को भी दान कर सकते हैं. जरूरतमंद को दान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है. उनका कहना रहा कि मकर संक्रांति के बाद राशियों की चाल भी बदल जाती है. ऐसे में कई राशियों पर प्रभाव लाभदायक तो कुछ का परेशानी वाला समय शुरू हो जाता है.

अलवर. मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में अंतर आने के कारण यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाने लगा है. इस बार सूर्य मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहे हैं. इसलिए हिंदू पंचांग के मुताबिक इस पर्व को 15 जनवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन का खास महत्व होता है.

पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया कि इस बार 14 जनवरी को रात 2 बजकर 08 मिनट पर मकर संक्रांति प्रवेश करेगी. उन्होंने बताया कि इस पर्व को धर्म प्रधान माना जाता है. इस दिन लोग जमकर दान-पुण्य करते हैं. इसका मनुष्य के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

यह भी पढ़ें : मकर संक्रांति विशेष : जानिए कैसे मनाया जाता है अलवर में यह त्यौहार, क्या है इस पर्व का महत्व

उन्होंने कहा कि तिल मोक्ष देने वाला होता है. इसलिए इस दिन तिल के दान का विशेष महत्व होता है. वहीं लोग गाय, गरीब व किसी को भी दान कर सकते हैं. जरूरतमंद को दान करने से ज्यादा पुण्य मिलता है. उनका कहना रहा कि मकर संक्रांति के बाद राशियों की चाल भी बदल जाती है. ऐसे में कई राशियों पर प्रभाव लाभदायक तो कुछ का परेशानी वाला समय शुरू हो जाता है.

Intro:अलवर
मकर सक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाई जाती है। लेकिन पहली बार मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के मौके पर दान पुण्य का खास महत्व होता है। इस दिन तिल का दान आने वाले जीवन के लिए काफी लाभदायक व बेहतर माना गया है।


Body:हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार मकर सक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ समय से सूर्य के राशि परिवर्तन के समय में अंतर आने के कारण यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाने लगा है। इस बार सूर्य कमर मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहा है। इसलिए हिंदू पंचांग में इस पर्व को 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। इस दिल का खास महत्व होता है। ऐसे में पंडित ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया 14 जनवरी को रात 2 बजकर 08 मिनट पर मकर सक्रांति प्रवेश करेगी। उन्होंने कहा कि जीवन में धर्म काम मोक्ष वेद चार अर्थ बताएं हैं। ऐसे में इस पर्व को धर्म प्रधान पर माना जाता है। इस दिन लोग जमकर दान पूण्य करते हैं। इसका मनुष्य के जीवन में सीधा प्रभाव पड़ता है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि संसार में तिल मोक्ष देने वाला होता है। इसलिए इस दिन तिल का दान का विशेष महत्व है। तो वही लोग गाय, बुजुर्ग गरीब किसी को भी दान कर सकते हैं। जरूरतमंद को दान करने से ज्यादा लाभ मिलता है। मकर सक्रांति के बाद राशियों की चाल भी बदल जाती है। ऐसे में कई राशियों पर प्रभाव लाभदायक तो कुछ का परेशानी वाला समय शुरू हो जाता है।


बाइट- पंडित ब्रह्मानंद शर्मा
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