अलवर. शहर में समितियों के हालात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने अंबेडकर नगर और लक्ष्मी नगर के हालात जाने. वहां की समिति के पदाधिकारियों से बातचीत की. विकास समितियों और डवलपमेंट सोसायटी का काम होता है कॉलोनी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना. लेकिन यहां हमें सिर्फ खानापूर्ति ही मिली. रिपोर्ट देखिये.
शहर की अधिकतर नई बसी कॉलोनियों के हाल कमोबेस एक जैसे हैं. बिजली, पानी, सड़क, सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी इन कॉलोनियों की महिलाओं के लिए परेशानी का सबब है.
अंबेडकरनगर कॉलोनी का हाल
अंबेडकरनगर डवलपमेंट सोसाइटी 2009 से पंजीकृत है. यहां की समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि अंबेडकरनगर डवलपमेंट सोसाइटी के प्रयासों से अंबेडकरनगर में पोस्ट ऑफिस संचालित है. स्कूल की जमीन को भूमाफियाओं से बचाया गया है. 5 ब्लॉक में 2016 तक पानी की पाइप लाइन नहीं थी, वहां पाइपलाइन डलवाई गई है. नगर परिषद से एलइडी लाइट लगवाई गई है. मुख्य रोड से गुजरने वाले भारी वाहनों को डायवर्ट किया गया है. इसके साथ ही सोसायटी के पदाधिकारियों ने दर्जनों दावे किए. लेकिन इन दावों की पोल धरातल पर खुल गई.
कॉलोनी में समस्याओं की भरमार
अंबेडकरनगर में आरयूआईडीपी की ओर से जो सीवरेज लाइन डाली गई थी वो कई ब्लॉक में बंद पड़ी है. सड़क पर गंदा पानी भरा रहता है. घरों के सामने पानी भरा रहने से लोग परेशान हैं. कॉलोनी में रोड लाइट का कार्य नगर परिषद को सौंपा गया है लेकिन इलाके में 150 से 200 लाइटें बंद पड़ी हुई है. नए बने लगभग 200 मकानों के आस-पास लाइट की व्यवस्था 2 साल से नहीं है.
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शिकायत के बाद भी हल नहीं
अंबेडकरनगर के निवासियों का कहना है कि उन्होंने नगर परिषद और नगर विकास न्यास में शिकायत की. लेकिन समाधान नहीं हो पाया. स्थानीय लोग कहते हैं कि कॉलोनी में पेयजल की भारी किल्लत है. लोगों को टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं. अंबेडकरनगर में जलदाय विभाग लगभग 50 ट्यूबवेल खोदकर आधे अलवर शहर को पानी सप्लाई कर रहा है लेकिन खुद अंबेडकर नगर प्यासा है.
यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि अंबेडकर नगर के K ब्लॉक में पानी सप्लाई केवल 10 से 15 मिनट होती है. जिसकी शिकायत कई बार जलदाय विभाग को की गई लेकिन समाधान नहीं हुआ. इलाके में 17 जगह पाइप लाइनों में लीकेज हो रहा है. साथ ही कॉलोनी को शहर से जोड़ने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन भी नहीं है.
लक्ष्मीनगर में बुनियादी ढांचे का अभाव
अंबेडकर नगर के बाद हमने रुख किया लक्ष्मीनगर का. इलाके के विकास के कार्यों के लिए आवाज उठाने का जिम्मा लक्ष्मीनगर विकास समिति का है. लेकिन यहां भी लोग बुनियादी जरूरतों के लिए जूझते नजर आए.
ज्यादातर सड़कें टूटी हुई
लक्ष्मीनगर की ज्यादातर सड़कें टूटी हुई मिली. इलाके की लिंक सड़कें कच्चा रास्ता हैं. बारिश में ये पानी से लबालब हो जाती हैं. जिससे आने-जाने में दिक्कत होती है. वाहन चालकों के साथ आए दिन हादसे होते हैं.
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लक्ष्मीनगर भिवाड़ी-सिकंदरा मेगा हाईवे पर स्थित है. यह कॉलोनी नई डवलप कॉलोनियों में से एक है. लेकिन यहां बुनियादी जरूरतों के लिए प्रशासन ने कुछ नहीं किया. यहां तक कि लोगों ने सड़क और नाली के लिए कई बार ज्ञापन दिये, प्रदर्शन किये लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. नगर परिषद की तरफ से यहां सफाई तक नहीं कराई जाती.
लोगों का कहना है कि लाइट और सड़क की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां शाम अंधेरे में निकलना खतरे से खाली नहीं होता. शराब पीकर असामाजिक तत्व महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं. लेकिन फिर भी समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इलाके में पार्कों की हालत भी खराब है.
अलवर में 25 यूआईटी कॉलोनी
अलवर शहर में करीब 25 यूआईटी की कॉलोनी हैं. इसके अलावा 6 हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियां हैं जिसमें यूआईटीन ने मकान धारकों को पट्टे दिए हैं. अलवर शहर में 62 छोटे-बड़े मोहल्ले हैं. यूआईटी की कॉलोनियों और नई बसी कॉलोनियों में सोसाइटी और वेलफेयर एसोसिएशन बने हुए हैं. लेकिन समय समय पर विवाद होने और समय पर चुनाव नहीं होने के कारण ये भंग हो जाते हैं.