अलवर. भाजपा सरकार के कार्यकाल में जुलाई 2018 से गऊ संरक्षण के नाम पर गो-टैक्स वसूला (Cow Cess in Rajasthan) जाने लगा. नतीजतन स्टांप ड्यूटी पर 10 प्रतिशत तो शराब पर 20 प्रतिशत गो टैक्स वसूला जाता है. अकेली शराब पर नजर डालें तो 2018 से आज तक पूरे प्रदेश में 1793 करोड़ रुपए को टैक्स के रूप में वसूले गए. इसी तरह से स्टांप ड्यूटी पर नजर डालें तो 2500 करोड़ से ज्यादा का टैक्स पूरे प्रदेश में वसूला गया.
स्पष्ट होता है कि हर साल गायों के संरक्षण के नाम पर प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए का टैक्स वसूलती है लेकिन जब गायों के संरक्षण पर पैसे खर्च करने की बात आती है तो सरकार का खजाना खाली नजर आता है. लंपी वायरस की त्रासदी राजस्थान झेल ही रहा है. इस बीमारी से पूरे प्रदेश में अब तक लाखों गाय दम तोड़ चुकी हैं (Cattle death due to lumpy). विकराल रूप ले चुकी बीमारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग के पास कोई इंतजाम नहीं है. न वैक्सीन है और न इलाज में काम आने वाली दवाई या इंजेक्शन हैं.
लंपी वायरस ने खोली पोल: प्रदेश में दिन पर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. गऊ माता तड़प तड़प कर प्राण त्याग रही है और उसका शव कचरे के ढेर में मिल रहा है. स्पष्ट है कि गायों की बेकदरी हो रही है. वो भी तब जब प्रदेश सरकार गायों के नाम पर करोड़ों रुपए का टैक्स वसूल रही है. शराब पर प्रदेश में सबसे ज्यादा टैक्स जयपुर से 853 करोड़ रुपए अब तक वसूला गया है. इसके अलावा अलवर जिले से 706 करोड़ रुपए का टैक्स वसूला गया है. इसके अलावा उदयपुर सिटी से 191 करोड रुपए टैक्स वसूले गए हैं. इसी तरह से स्टांप ड्यूटी पर नजर डालें तो पूरे प्रदेश में साल 2018 से अब तक ढाई हजार से 3000 करोड़ का टैक्स वसूला गया है.
मृत गायों को दफनाने तक की नहीं व्यवस्था: लम्पी बीमारी के चलते पूरे प्रदेश में लाखों गाय मर रही हैं. पशुपालक गाय की मौत के बाद उसे गांव के बाहर या कचरे में फेंक देते हैं. हर जिले की तरह ही अलवर की भी तस्वीर है. यहां भी मृत गायों के ढेर लगे हुए हैं. प्रशासन के पास इन गायों को दफनाने तक की व्यवस्था नहीं है. कचरे में पड़े शवों से बदबू आ रही है. लोग हैरान हैं और संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ गया है.
नियम के मायने नहीं!: नियमानुसार गायों के नाम पर वसूले जाने वाले टैक्स को उन्हीं के संरक्षण पर खर्च करना चाहिए. लेकिन सरकार वसूली रकम को को अन्य मदों में खर्च कर रही है. इसका असर इस बार ज्यादा देखने को मिल रहा है. लंपी बीमारी से लड़ने के लिए सरकार के पास बजट अपर्याप्त है. जिससे गायों को वो सुविधाएं मिल ही नहीं पा रही जिनकी वो हकदार हैं.
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प्रदेश में है 15 हजार से ज्यादा गौशाला: अलवर सहित पूरे प्रदेश में 15,000 से ज्यादा गौशाला हैं. इनका करीब 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान सरकार की तरफ से बकाया चल रहा है. गौशालाओं को सरकार की तरफ से नियम अनुसार मदद मिलनी चाहिए लेकिन कुछ सालों से हालात खराब है. समय पर मदद नहीं मिल पाती और जो मदद मिलती है उससे गायों के लिए चारा भी नहीं आ पाता. इन परिस्थितियों में आम लोगों की कृपा पर ही गौशालाएं रेंग रही हैं.
निजी संस्थाएं आ रही है आगे: इस त्रासदी काल में कुछ निजी संस्थान हैं जो मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. गौशालाओं की मदद करने के लिए अलवर सहित पूरे प्रदेश में निजी संस्थाएं आगे आ रही हैं. अलवर में निजी संस्थाओं की तरफ से गायों का इलाज किया जाता है. संस्थाएं मिलकर गौशाला चला रही हैं तो वहीं लंपी बीमारी के प्रभाव के दौरान भी निजी संस्थाओं की तरफ से दवाई इंजेक्शन और अन्य चीजों की व्यवस्था की जा रही है.