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Coal ban in NCR: एनसीआर में कारोबारियों की बढ़ेगी परेशानी, प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कोयले के उपयोग पर लगेगी रोक - Coal use in NCR area

अलवर सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेजी से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए 1 जनवरी, 2023 से कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लग (Coal use ban in NCR from Next year) जाएगा. इसका सीधा असर गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद की औद्योगिक इकाइयों पर पड़ेगा. हालांकि थर्मल पावर प्लांटों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध में छूट दी गई है.

Coal use ban in NCR from Next year
एनसीआर में कारोबारियों की बढ़ेगी परेशानी, प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए कोयले के उपयोग पर लगेगी रोक
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Published : Jun 14, 2022, 6:01 AM IST

अलवर. अलवर सहित एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर में औधोगिक और अन्य कार्यों में कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश दिए (Coal ban in NCR) हैं. सीएक्यूएम ने आदेश में कहा है कि जिन क्षेत्रों में पीएनजी की सप्लाई हो रही है, वहां 1 अक्टूबर से कोयले पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. जहां पीएनजी की उपलब्धता नहीं है, उन क्षेत्रों में 1 जनवरी, 2023 से यह आदेश लागू होगा. इस तरह पूरे एनसीआर क्षेत्र में अगले वर्ष से कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. हालांकि थर्मल पावर प्लांटों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से छूट दी गई है.

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि एनसीआर में शामिल 6 औधोगिक जिलों में कोयले की अधिक खपत है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एनसीआर में औद्योगिक इकाइयों में सालाना 17 लाख टन कोयले का उपयोग किया जाता है. जिनमें गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद जिलों में 14 लाख टन कोयले की खपत होती (Coal use in NCR area) है. इनमें भी कोयले का अधिकतर उपयोग लघु उद्योगों में हो रहा है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पैनल ने पूर्व में वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए आमजन और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे. पैनल को अधिकतर सुझाव कोयले के प्रतिबंध को लेकर मिले थे. जिसके बाद आयोग ने यह फैसला लिया.

पढ़ें: क्या राजस्थान का भिवाड़ी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है ?

सीएक्यूएम के इस आदेश से अलवर और भिवाड़ी क्षेत्र भी प्रभावित होगा. आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि औद्योगिक क्षेत्रों में लघु उद्योगों में कोयले का उपयोग वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है. अगर वातावरण को बेहतर करना है तो कोयले के उपयोग पर रोक जरूरी है. इस आदेश ने सैकड़ों कारोबारियों की परेशानी बढ़ा दी है. क्योंकि अलवर सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में लाखों टन कोयले की खपत होती है. सभी जगहों पर पीएनजी गैस उपलब्ध नहीं है. साथ ही पीएनजी गैस महंगी पड़ती है. इसलिए कारोबारी पीएनजी पर शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं है.

पढ़ें: Special : रिपोर्ट कुछ और हकीकत कुछ और...भिवाड़ी कैसे हो गया दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर ?

अलवर व भिवाड़ी पर एक नजर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक अलवर में प्रतिवर्ष 1.4 लाख टन और भिवाड़ी में 2.7 लाख टन कोयले का उपयोग होता है. वहीं अलवर में प्रतिवर्ष 4.3 लाख टन एग्रो फ्यूल का इस्तेमाल होता है. रिपोर्ट के मुताबिक अलवर और भिवाड़ी में पीएनजी की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन पीएनजी में शिफ्ट नहीं होने के पीछे अधिक लागत एक बड़ा कारण है. एनसीआर में आने वाले गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद में सबसे ज्यादा कोयले का उपयोग सोनीपत क्षेत्र में होता है. जबकि सबसे कम कोयले का उपयोग अलवर जिले में पाया गया है. कोयले के अलावा औद्योगिक इकाइयों में गैस, लकड़ी सहित अन्य कई तरह की चीजें जलाने में काम आती है.

अलवर. अलवर सहित एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने एनसीआर में औधोगिक और अन्य कार्यों में कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश दिए (Coal ban in NCR) हैं. सीएक्यूएम ने आदेश में कहा है कि जिन क्षेत्रों में पीएनजी की सप्लाई हो रही है, वहां 1 अक्टूबर से कोयले पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. जहां पीएनजी की उपलब्धता नहीं है, उन क्षेत्रों में 1 जनवरी, 2023 से यह आदेश लागू होगा. इस तरह पूरे एनसीआर क्षेत्र में अगले वर्ष से कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. हालांकि थर्मल पावर प्लांटों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से छूट दी गई है.

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि एनसीआर में शामिल 6 औधोगिक जिलों में कोयले की अधिक खपत है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एनसीआर में औद्योगिक इकाइयों में सालाना 17 लाख टन कोयले का उपयोग किया जाता है. जिनमें गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद जिलों में 14 लाख टन कोयले की खपत होती (Coal use in NCR area) है. इनमें भी कोयले का अधिकतर उपयोग लघु उद्योगों में हो रहा है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पैनल ने पूर्व में वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए आमजन और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे. पैनल को अधिकतर सुझाव कोयले के प्रतिबंध को लेकर मिले थे. जिसके बाद आयोग ने यह फैसला लिया.

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सीएक्यूएम के इस आदेश से अलवर और भिवाड़ी क्षेत्र भी प्रभावित होगा. आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि औद्योगिक क्षेत्रों में लघु उद्योगों में कोयले का उपयोग वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है. अगर वातावरण को बेहतर करना है तो कोयले के उपयोग पर रोक जरूरी है. इस आदेश ने सैकड़ों कारोबारियों की परेशानी बढ़ा दी है. क्योंकि अलवर सहित एनसीआर के विभिन्न शहरों में लाखों टन कोयले की खपत होती है. सभी जगहों पर पीएनजी गैस उपलब्ध नहीं है. साथ ही पीएनजी गैस महंगी पड़ती है. इसलिए कारोबारी पीएनजी पर शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं है.

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अलवर व भिवाड़ी पर एक नजर: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक अलवर में प्रतिवर्ष 1.4 लाख टन और भिवाड़ी में 2.7 लाख टन कोयले का उपयोग होता है. वहीं अलवर में प्रतिवर्ष 4.3 लाख टन एग्रो फ्यूल का इस्तेमाल होता है. रिपोर्ट के मुताबिक अलवर और भिवाड़ी में पीएनजी की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन पीएनजी में शिफ्ट नहीं होने के पीछे अधिक लागत एक बड़ा कारण है. एनसीआर में आने वाले गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद में सबसे ज्यादा कोयले का उपयोग सोनीपत क्षेत्र में होता है. जबकि सबसे कम कोयले का उपयोग अलवर जिले में पाया गया है. कोयले के अलावा औद्योगिक इकाइयों में गैस, लकड़ी सहित अन्य कई तरह की चीजें जलाने में काम आती है.

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