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राजस्थान संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में हो रहे हैं बड़े खुलासे, 3 दिन की रिमांड का दिख रहा असर

अलवर के ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज (ESIC Medical College) में नर्सिंग स्टाफ की भर्ती के घोटाले (Nursing staff recruitment scam) ने पूरे प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है. लगातार एसीबी (ACB) एक के बाद एक बड़े खुलासे कर रही है. इस मामले में कई राजनेताओं का भी हस्तक्षेप नजर आने लगा है.

Disclosures in contractual worker recruitment scam, संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में बड़े खुलासे
संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में बड़े खुलासे
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Published : Jun 19, 2021, 2:09 PM IST

अलवर. शहर के ESIC मेडिकल कॉलेज (ESIC Medical College) में नर्सिंग कर्मी (nursing personnel) और नर्सिंग सहायक (nursing assistant) के भर्ती घोटाले मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. बता दें कि एसीबी (ACB) ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था, जहां न्यायालय ने सभी को 3 दिन की रिमांड पर भेज दिया.

मेडिकल कॉलेज से मिले दस्तावेज और पूछताछ के बाद एसीबी को पता चला कि ज्यादातर कर्मचारियों को बिना दस्तावेज के ही नौकरी पर रख लिया गया है. इनमें से कुछ लोग तो नौकरी भी करने लगे हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के स्टाफ की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है. एसीबी ने मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चार कर्मचारियों को पाबंद किया है. सभी से इस मामले में पूछताछ शुरू की गई है. जल्द ही एसीबी की तरफ से कुछ और खुलासे इस मामले में हो सकते हैं.

संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में बड़े खुलासे

पढ़ें: राजस्थान संविदा कर्मी भर्ती घोटाला: एसीबी ने ESIC मेडिकल कॉलेज के डीन सहित 7 डॉक्टरों के चेंबर सील किए

एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह ने बताया कि भर्ती का ठेका लेने वाली प्लेसमेंट एजेंसी गुजरात के राजकोट की एमजे सोलंकी कंपनी के हिस्सेदार और मालिक मंजल पटेल उर्फ मिनेश पटेल निवासी ए-302 उमीया तीर्थ विले, गायत्री मंदिर रोड कलोल गांधी नगर गुजरात, कंपनी के फील्ड इंचार्ज भरत पुत्र कमलेश पूनिया निवासी पाल चौहटे थाना बोरानाड़ा जोधपुर, कंपनी के सुपरवाइजर काना राम पुत्र रामाराम चौधरी निवासी धायलों की ढाणी गंगाणा जिला जोधपुर और एम्स जोधपुर के सीनियर नर्सिंग ऑफिसर महिपाल निवासी गुलहेडा मुंडावर अलवर को रिमांड पर लिया है. इन लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है.

दस्तावेजों की जांच पड़ताल और पूछताछ के बाद पता चला कि मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चार अफसरों ने बिना कागज लिए ही 78 जनों को नौकरी दे दी. जिनमें से 12 नर्सिंगकर्मी और 20 नर्सिंग सहायक तो ड्यूटी भी कर रहे हैं. एसीबी की टीम को केवल 90 में से केवल 12 अभ्यर्थियों के ही दस्तावेज मिले हैं.

पढ़ें: संविदाकर्मी भर्ती घोटाला : गुजराती कंपनी ने राजस्थान में बिछाया था ऐसा जाल, नोटों की चमक में चलता रहा भर्तियों का सिलसिला

ऐसे में मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. हरनाम कौर, मेडिकल सुपरीडेंट डॉ. विवेक तिवाड़ी, मेडिकल असिस्टेंट सुपरीडेंट डॉक्टर विनोद काला और एडम असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. मुकेश को पाबंद किया है. साथ ही एसीबी ने सभी अधिकारियों के चेम्बरों को खोल दिया है, क्योंकि शुक्रवार को एसीबी ने दस्तावेजों की जांच पड़ताल के लिए 7 अधिकारियों के चयन सील किए थे.

एसीबी के अधिकारियों ने कहा कि जांच पड़ताल में बड़ी अनियमितता सामने आ रही है. यह अनियमितताएं बिना मेडिकल कॉलेज के स्टाफ शामिल हुए नहीं हो सकती हैं. प्लेसमेंट एजेंसी को केवल भर्ती करने की अनुमति थी, लेकिन नौकरी पर रखने दस्तावेज पूरे होने सहित अन्य जो जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज की टीम और अन्य अधिकारियों की थी. दस्तावेजों की जांच पड़ताल में पता चला कि केवल 12 लोगों युवाओं से दस्तावेज लिए गए. जबकि 78 लोगों के अभी तक दस्तावेज नहीं मिले है.

एजेंसी की तरफ से 90 लोगों को नौकरी दी जा चुकी हैं, जिनमें से 32 ने तो ड़्यूटी भी शुरू कर दी थी. इसमें नर्सिंग कर्मी में नर्सिंग सहायक दोनों शामिल हैं. ऐसे में साफ है कि अलवर का ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था. जहां कांग्रेस अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ पर गंभीर आरोप लगा रही है. बहरोड़ विधायक बलजीत यादव के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह टीकाराम जूली सहित प्रदेश के सभी नेता और मंत्री भाजपा को घेरने में लगे हुए हैं.

पढ़ें: राजस्थान में संविदा कर्मियों की भर्ती में बड़े घोटाले का पर्दाफाश, अलवर सांसद के PA की भूमिका संदिग्ध

इस मामलें में अब तक क्या-क्या हुआ, देखें

ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में संविदा कर्मियों की भर्ती में घोटाले (recruitment scam in rajasthan) का 17 जून को एसीबी ने खुलासा किया था. एसीबी ने घोटाले में शामिल भरत पूनिया, मिनेश पटेल, महिपाल यादव और कान्हाराम को भर्ती के नाम पर पैसे वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोपियों को अलवर, अजमेर, जोधपुर में संयुक्त दबिश देकर गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान 20 लाख से अधिक कैश भी बरामद हुआ. शुक्रवार को एसीबी कोर्ट ने सभी आरोपियों को 3 दिन के रिमांड पर भेज दिया है. राजस्थान एसीबी (rajasthan acb) की टीम लगातार ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज से भर्ती से सम्बंधित रिकार्ड जब्त कर उनकी जांच कर रही है. 7 डॉक्टरों के चैंबर्स एसीबी ने सील कर दिए हैं. भर्ती से जुड़े अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है.

अलवर. शहर के ESIC मेडिकल कॉलेज (ESIC Medical College) में नर्सिंग कर्मी (nursing personnel) और नर्सिंग सहायक (nursing assistant) के भर्ती घोटाले मामले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. बता दें कि एसीबी (ACB) ने इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था, जहां न्यायालय ने सभी को 3 दिन की रिमांड पर भेज दिया.

मेडिकल कॉलेज से मिले दस्तावेज और पूछताछ के बाद एसीबी को पता चला कि ज्यादातर कर्मचारियों को बिना दस्तावेज के ही नौकरी पर रख लिया गया है. इनमें से कुछ लोग तो नौकरी भी करने लगे हैं. ऐसे में मेडिकल कॉलेज के स्टाफ की परेशानी बढ़ती नजर आ रही है. एसीबी ने मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चार कर्मचारियों को पाबंद किया है. सभी से इस मामले में पूछताछ शुरू की गई है. जल्द ही एसीबी की तरफ से कुछ और खुलासे इस मामले में हो सकते हैं.

संविदा कर्मी भर्ती घोटाले में बड़े खुलासे

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एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह ने बताया कि भर्ती का ठेका लेने वाली प्लेसमेंट एजेंसी गुजरात के राजकोट की एमजे सोलंकी कंपनी के हिस्सेदार और मालिक मंजल पटेल उर्फ मिनेश पटेल निवासी ए-302 उमीया तीर्थ विले, गायत्री मंदिर रोड कलोल गांधी नगर गुजरात, कंपनी के फील्ड इंचार्ज भरत पुत्र कमलेश पूनिया निवासी पाल चौहटे थाना बोरानाड़ा जोधपुर, कंपनी के सुपरवाइजर काना राम पुत्र रामाराम चौधरी निवासी धायलों की ढाणी गंगाणा जिला जोधपुर और एम्स जोधपुर के सीनियर नर्सिंग ऑफिसर महिपाल निवासी गुलहेडा मुंडावर अलवर को रिमांड पर लिया है. इन लोगों से लगातार पूछताछ की जा रही है.

दस्तावेजों की जांच पड़ताल और पूछताछ के बाद पता चला कि मेडिकल कॉलेज के डीन सहित चार अफसरों ने बिना कागज लिए ही 78 जनों को नौकरी दे दी. जिनमें से 12 नर्सिंगकर्मी और 20 नर्सिंग सहायक तो ड्यूटी भी कर रहे हैं. एसीबी की टीम को केवल 90 में से केवल 12 अभ्यर्थियों के ही दस्तावेज मिले हैं.

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ऐसे में मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. हरनाम कौर, मेडिकल सुपरीडेंट डॉ. विवेक तिवाड़ी, मेडिकल असिस्टेंट सुपरीडेंट डॉक्टर विनोद काला और एडम असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. मुकेश को पाबंद किया है. साथ ही एसीबी ने सभी अधिकारियों के चेम्बरों को खोल दिया है, क्योंकि शुक्रवार को एसीबी ने दस्तावेजों की जांच पड़ताल के लिए 7 अधिकारियों के चयन सील किए थे.

एसीबी के अधिकारियों ने कहा कि जांच पड़ताल में बड़ी अनियमितता सामने आ रही है. यह अनियमितताएं बिना मेडिकल कॉलेज के स्टाफ शामिल हुए नहीं हो सकती हैं. प्लेसमेंट एजेंसी को केवल भर्ती करने की अनुमति थी, लेकिन नौकरी पर रखने दस्तावेज पूरे होने सहित अन्य जो जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज की टीम और अन्य अधिकारियों की थी. दस्तावेजों की जांच पड़ताल में पता चला कि केवल 12 लोगों युवाओं से दस्तावेज लिए गए. जबकि 78 लोगों के अभी तक दस्तावेज नहीं मिले है.

एजेंसी की तरफ से 90 लोगों को नौकरी दी जा चुकी हैं, जिनमें से 32 ने तो ड़्यूटी भी शुरू कर दी थी. इसमें नर्सिंग कर्मी में नर्सिंग सहायक दोनों शामिल हैं. ऐसे में साफ है कि अलवर का ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका था. जहां कांग्रेस अलवर के सांसद बाबा बालक नाथ पर गंभीर आरोप लगा रही है. बहरोड़ विधायक बलजीत यादव के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह टीकाराम जूली सहित प्रदेश के सभी नेता और मंत्री भाजपा को घेरने में लगे हुए हैं.

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इस मामलें में अब तक क्या-क्या हुआ, देखें

ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में संविदा कर्मियों की भर्ती में घोटाले (recruitment scam in rajasthan) का 17 जून को एसीबी ने खुलासा किया था. एसीबी ने घोटाले में शामिल भरत पूनिया, मिनेश पटेल, महिपाल यादव और कान्हाराम को भर्ती के नाम पर पैसे वसूलने के आरोप में गिरफ्तार किया था. आरोपियों को अलवर, अजमेर, जोधपुर में संयुक्त दबिश देकर गिरफ्तार किया गया था. इस दौरान 20 लाख से अधिक कैश भी बरामद हुआ. शुक्रवार को एसीबी कोर्ट ने सभी आरोपियों को 3 दिन के रिमांड पर भेज दिया है. राजस्थान एसीबी (rajasthan acb) की टीम लगातार ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज से भर्ती से सम्बंधित रिकार्ड जब्त कर उनकी जांच कर रही है. 7 डॉक्टरों के चैंबर्स एसीबी ने सील कर दिए हैं. भर्ती से जुड़े अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है.

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